अंग्रेजी नववर्ष : जोश में न खोएं होश
रमेश शर्मा
अंग्रेजी नववर्ष : जोश में न खोएं होश
अंग्रेजी नववर्ष मनाने की तैयारी हो रही है। नदी, झील, समन्दर और पहाड़ों के पर्यटन स्थल तथा महानगरों के बार, होटल, रेस्टोरेंट बुक हो चुके हैं। लेकिन एक बात समझ लें। गत वर्ष सौ से अधिक युवा घर नहीं लौट सके थे। वे या तो नशे में गाड़ी चलाने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हुए अथवा नशे में हुए झगड़ों का शिकार बने। घायलों की संख्या भी सैकड़ों में रही। गत वर्ष केवल उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों पर 6 मौतें हुईं और 75 घायल हुए थे। आपसी झगड़ों में पुलिस ने आधी रात को 55 युवा बंदी बनाये थे।
वर्ष 2024 के समापन के पल समीप हैं। भारत में यह वर्ष अनेक उपलब्धियों की सौगात देकर विदा हो रहा है। पूरी दुनिया के साथ भारत में भी नववर्ष के स्वागत की तैयारी के समाचार मीडिया में आने लगे हैं। अंग्रेज क्रिसमस की इन छुट्टियों में मसूरी, नैनीताल आदि पहाड़ी स्थानों पर जाया करते थे। आज अंग्रेज भले चले गये, लेकिन क्रिसमस और अंग्रेजी नव वर्ष पर पहाड़ों पर जाने का शगल यहीं छोड़ गये। हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी पहाड़ों के अधिकांश होटल बुक हो चुके हैं। पिछले वर्ष तो रास्ते में पाँच-पाँच किलोमीटर का जाम लगा था।
समय की तेज गति में अब यह प्रश्न पीछे छूट गया है कि भारतीय परंपरा में नया वर्ष कब आता है और कैसे मनाया जाता है? भारतीय शासन व्यवस्था और समाज जीवन एक जनवरी को नया वर्ष मनाने की परंपरा में ढल गया है। यह अंग्रेजी नया वर्ष प्रातःकालीन सूर्योदय से आरंभ नहीं होता। यह आधी रात से होता है। नये वर्ष का उत्सव भी आधी रात को मनाया जाता है। आधी रात के इस उत्सव की दो विशेषताएँ होती हैं। एक, यह बिना शराब पार्टी के पूरा नहीं होता और दूसरा, अधिकांश आयोजनों में स्त्री पुरुष साथ होते हैं। हालाँकि कुछ पार्टियां परिवार और पारिवारिक मित्रों के साथ होती हैं। लेकिन अनेक पार्टियों में भाग लेने वाले जोड़े, पति-पत्नी नहीं, “मित्र” होते हैं। इनमें अधिकांश वे युवा होते हैं, जो पढ़ाई या जॉब के लिये घरों से बहुत दूर रहते हैं। पिछले वर्ष नववर्ष की रात जो घटनाएँ घटी थीं, उनमें अधिकांश इसी प्रकार के समूहों के बीच घटीं थीं। जो हत्या, प्राण घातक मारपीट, बलात्कार, बलात्कार का प्रयास और बेहद घटिया छेड़छाड़ से भरी थीं। वर्ष 2022 और 2023 के बीच एवं वर्ष 2023 और 2024 के बीच मनाये गये नववर्ष उत्सव की मध्य रात्रि 10 बजे से 2-30 बजे के बीच केवल साढ़े चार घंटे में देश की राजधानी दिल्ली में कुल 32 बड़े अपराध घटे थे। जिनमें 19 बहुत गंभीर थे। इनमें 4 मर्डर, 12 बलात्कार एवं बलात्कार का प्रयास थे। यदि इसमें दून, मुम्बई, बेंगलूर, हैदराबाद, चेन्नई आदि 17 महानगरों के आँकड़े जोड़ें तो बड़े अपराधों की यह संख्या सौ से अधिक होती है।
गत वर्ष केवल उत्तराखंड के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर झगड़े और दुर्घटनाओं में 6 मौतें हुईं थीं। इनमें दून में 4, लालकुआँ, भीमताल में एक और हल्द्वानी में एक मौत हुई थी । शराब के नशे में आधीरात को जो झगड़े हुये उनमें कुल 55 लोग बंदी बनाये गये थे। इनमें अकेले दून में 30 लोग बंदी बनाये गये थे। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के जशपुर में एक कार पेड़ से टकराई, जिसमें चार मौतें हुईं, झारखंड में 6, हापुड़ में 2, जमशेदपुर में 6 मौतें हुईं थीं। नेशनल सिक्युरिटी काउन्सिल द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, देशभर में नववर्ष की रात को कुल 104 मौतें हुई थीं। गत वर्ष अर्थात 2023 की 30 एवं 31 दिसम्बर तथा वर्ष 2024 की एक जनवरी, इन तीन दिनों में कुल 308 मौतें हुई थीं। दो वर्ष पहले दिल्ली में एक बेटी को लगभग 14 किमी घसीटा गया था। यह घटना सुल्तानपुरी क्षेत्र में घटी थी। उस 20 वर्षीया लड़की की हड्डियां घिस चुकी थीं। शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। यह घटना मीडिया में सुर्खियाँ बनी थी, इसलिए दो वर्ष बाद अब भी सबके ध्यान में है। लेकिन बाकी सब घटनाएँ एक दिन से आगे नहीं बढ़ सकीं थीं।
गत वर्ष नशे की पार्टियों से अलग कुछ टोलियाँ ऐसी भी थीं, जो नया वर्ष मनाने किसी होटल में नहीं धार्मिक स्थलों पर गयी थीं। नववर्ष पर ऐसी ही एक घटना वैष्णो देवी से लौटते समय घटी। तेज रफ्तार गाड़ी खाई में गिरी और 12 लोग मारे गये। इन दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले कितने ही युवा अपने माता पिता की इकलौती संतान थे। वे बेटियाँ जो उत्साह से नववर्ष मनाने गईं, लेकिन बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का शिकार हुईं, उनकी मनोदशा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वे पीड़ित, प्रताड़ित युवा और उनके परिवार यह दर्द जीवन भर नहीं भूलेंगे।
अपराध के ये आंकड़े नए नहीं हैं। हर वर्ष ऐसी घटनाएँ घटती हैं। लेकिन पिछले दस वर्षों में ऐसी घटनाओं के आँकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। नववर्ष की पार्टी के लिये उत्साह का अतिरेक और नशा विवेक को शून्य कर देता है। जिससे व्यक्ति न तो अपने भविष्य का आंकलन कर पाता है और न पिछली घटनाओं से कोई सबक ही लेता है। इस वर्ष भी यही हो रहा है। नववर्ष उत्सव मनाने की तैयारी के जो समाचार आ रहे हैं, वे पिछले वर्ष से बहुत अलग नहीं हैं। इसे हम महानगरों के होटल बार और रेस्टोरेंट की बुकिंग से समझ सकते हैं। पर्यटन स्थलों पर जाने वाले मार्गों पर ट्रैफिक बढ़ गया है। यह ठीक है कि दुर्घटनाएँ सभी के साथ नहीं घटतीं। अधिकांश लोग हँसी खुशी से ही लौट आयेंगे। लेकिन सभी ऐसे सौभाग्यशाली नहीं होते। जिन बेटे बेटियों का जीवन और मान संकट में पड़ता है, उनकी क्षति की भरपाई कभी नहीं होती। इसलिए सावधानी और समझ दोनों आवश्यक हैं। किन मित्रों के साथ नया साल मनाना यह विचार आवश्यक है। जो युवक युवतियाँ अपने मित्रों के साथ नया साल मनाने जा रहे हैं वे सावधानी बरतें। सावधानी हटी, दुर्घटना घटी….।