सितंबर: ओवेरियन कैंसर अवेयरनेस मंथ – जागरूकता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
सितंबर: ओवेरियन कैंसर अवेयरनेस मंथ – जागरूकता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
सितंबर का महीना ओवेरियन कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य ओवेरियन कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाना और महिलाओं को इस गंभीर बीमारी से बचाव के लिए प्रेरित करना है। इस पहल की शुरुआत अमेरिकन कैंसर सोसाइटी द्वारा की गई थी, जिसने इस कैंसर के बारे में जानकारी फैलाने के महत्व को समझा।
ओवेरियन कैंसर महिलाओं में होने वाले सबसे गंभीर कैंसरों में से एक है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में यह महिलाओं में होने वाला तीसरा सबसे बड़ा कैंसर है। इस बीमारी के कारण देश में प्रति वर्ष हजारों महिलाओं की मृत्यु हो जाती है।
ग्लोबल परिदृश्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे विश्व में हर वर्ष लगभग पौने दो लाख महिलाएं इस खतरनाक बीमारी का शिकार हो जाती हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ओवेरियन कैंसर एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है।
भारत में स्थिति
भारत में, ओवेरियन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महिलाओं में इस कैंसर के बढ़ते मामलों का प्रमुख कारण इसकी पहचान में देरी और शुरुआती लक्षणों की अनदेखी करना है। कई बार इसके लक्षण सामान्य होते हैं, जैसे पेट में सूजन, पेट दर्द, भूख में कमी, और वजन में अचानक कमी, जिससे इसे पहचानना कठिन हो जाता है।
जागरूकता की आवश्यकता
सितंबर माह महिलाओं को इस बीमारी के प्रति सतर्क रहने और समय पर जांच कराने के लिए प्रेरित करने का महत्वपूर्ण अवसर है। समय पर जांच और इलाज से इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है। साथ ही, महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने और नियमित रूप से चिकित्सीय परामर्श लेने की आवश्यकता है।
इस महीने के दौरान विभिन्न संगठन, अस्पताल, और एनजीओ ओवेरियन कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। इन कार्यक्रमों में लोगों को इस बीमारी के लक्षण, कारण, और रोकथाम के तरीकों के बारे में जानकारी दी जाती है।
कैंसर से संबंधित कई जागरूकता कार्यक्रम और अभियान विभिन्न महीनों में आयोजित होते हैं, जैसे कि अक्टूबर को ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में जाना जाता है। इसी तर्ज पर, सितंबर को ओवेरियन कैंसर अवेयरनेस के लिए चुना गया, ताकि कैंसर जागरूकता अभियानों का एक समन्वित और प्रभावी ढांचा तैयार किया जा सके।
ओवेरियन कैंसर अवेयरनेस मंथ के माध्यम से महिलाओं को इस घातक बीमारी से बचाव के उपायों के प्रति जागरूक करना और उन्हें समय पर चिकित्सा सहायता लेने के लिए प्रेरित करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है। जागरूकता और समय पर जांच से ही इस गंभीर बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।
अब तक किए गए सर्वेक्षण
1. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) सर्वे (2019): ICMR द्वारा 2019 में किए गए सर्वे में पाया गया कि ओवेरियन कैंसर भारत में महिलाओं में होने वाला तीसरा सबसे बड़ा कैंसर है। इस सर्वे में यह भी बताया गया कि अधिकतर मामलों में कैंसर का निदान तब होता है जब यह बीमारी अपने उन्नत चरण में पहुंच चुकी होती है, जिससे इसका उपचार कठिन हो जाता है। सर्वे ने यह भी दिखाया कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता का स्तर बहुत कम है।
2. ग्लोबल कैंसर ऑब्ज़र्वेटरी (GLOBOCAN) रिपोर्ट (2018): विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अंतर्गत आने वाली GLOBOCAN 2018 रिपोर्ट में यह बताया कि पूरे विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 295,414 ओवेरियन कैंसर के नए मामले सामने आते हैं, और इनमें से 184,799 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। इस रिपोर्ट ने वैश्विक स्तर पर ओवेरियन कैंसर की गंभीरता को दर्शाया और इस पर शोध और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
3. नॉर्थ अमेरिका ओवेरियन कैंसर सर्वे: नॉर्थ अमेरिका में किए गए एक सर्वे में पाया गया कि अधिकांश महिलाएं ओवेरियन कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों को नहीं पहचान पातीं और इसे पेट की किसी साधारण समस्या के रूप में नजरअंदाज कर देती हैं। इस सर्वे में यह भी बताया गया कि जिन महिलाओं में इस बीमारी के बारे में अधिक जानकारी थी, उन्होंने प्रारंभिक लक्षणों की पहचान की और जल्दी ही चिकित्सकीय सलाह ली, जिससे उनकी स्थिति अच्छी रही।
4. इंडिया ओवेरियन कैंसर रिसर्च (IOCR) सर्वे: भारत में किए गए एक अन्य सर्वे में पाया गया कि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में ओवेरियन कैंसर के मामलों की पहचान में अधिक देरी होती है। सर्वे ने यह भी दिखाया कि परिवारों में कैंसर का इतिहास होने पर महिलाओं में इस बीमारी का जोखिम अधिक होता है, और ऐसी महिलाएं अधिक सतर्क रहती हैं।
5. सार्वजनिक स्वास्थ्य फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) सर्वे: PHFI द्वारा किए गए सर्वे में सामने आया कि महिलाओं में ओवेरियन कैंसर के लक्षणों के बारे में जानकारी का स्तर कम है, विशेषकर कम आयु और ग्रामीण पृष्ठभूमि की महिलाओं में। इस सर्वे में स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों को और अधिक व्यापक बनाने की बात कही।