पाकिस्तान के अत्याचारों के विरुद्ध बीएलए का हमला, दक्षिणी पंजाब के लोग निशाने पर

पाकिस्तान के अत्याचारों के विरुद्ध बीएलए का हमला, दक्षिणी पंजाब के लोग निशाने पर

पाकिस्तान के अत्याचारों के विरुद्ध बीएलए का हमला, दक्षिणी पंजाब के लोग निशाने परपाकिस्तान के अत्याचारों के विरुद्ध बीएलए का हमला, दक्षिणी पंजाब के लोग निशाने पर

भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले लम्बे समय से झेलता आ रहा है। इन आतंकी घटनाओं में अब तक हजारों सैनिकों और आमजन की मृत्यु हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर में तो ये आज भी जारी हैं। भारत को दंश देने वाला पाकिस्तान अब स्वयं इसी आग में जल रहा है। पाकिस्तान के ही एक संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने उसकी नाक में दम कर रखा है। हाल ही में बीएलए ने पंजाब प्रांत के कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इस घटना में सैनिक और पुलिसकर्मी भी मारे गए। बीएलए ने चीनी प्रोजेक्ट पर भी हमला किया और बीजिंग से बलूचिस्तान छोड़ने को कहा है।

पाकिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) उसी प्रकार आईडी देखकर लोगों को निशाना बना रही है, जैसे जम्मू कश्मीर में हमलों के समय अक्सर इस्लामिक आतंकी करते थे। अक्टूबर 2021 में श्रीनगर के डाउनटाउन क्षेत्र सफाकदल में आतंकियों ने ब्वॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल ईदगाह के दो शिक्षकों, श्रीनगर के ही हजूरीबाग निवासी प्रिसिंपल रुपिंदर कौर और जम्मू के जानीपुर पटोली मोड़ निवासी शिक्षक दीपक चंद को नाम पूछकर तब गोली मार दी थी, जब स्कूल में आगामी परीक्षा की तैयारियों की योजना को लेकर शिक्षकों की मीटिंग चल रही थी। आतंकियों ने सभी शिक्षकों के नाम पूछे और मुस्लिम शिक्षकों को छोड़कर दोनों हिन्दू शिक्षकों की हत्या कर दी। ऐसे ही जून 2024 में जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में हिन्दू तीर्थयात्रियों से भरी बस को आतंकियों ने निशाना बनाया। तीर्थयात्री शिवखोड़ी मंदिर जा रहे थे। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जब इस्लामिक आतंकियों ने अपनी मजहबी कट्टरता के चलते हिन्दुओं की हत्या की। अब पाकिस्तान में हो रही इसी तरह की घटनाएं उसके कर्मों का फल हैं।

बसों से उतार कर किया हमला

26 अगस्त का दिन पाकिस्तान को काफी भारी पड़ा। इस दिन बलूच राष्ट्रवादी नेता अकबर बुगती की पुण्यतिथि थी, जिन्हें 2006 में पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। इस बरसी वाले दिन अशांत बलूचिस्तान प्रांत में अज्ञात बंदूकधारियों ने पाकिस्तान के मुसाखेल में पंजाब प्रांत के लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। बंदूकधारियों ने लोगों को बसों से उतारा, उनकी पहचान की जांच की और गोली मार दी। उनके निशाने पर दक्षिणी पंजाब के लोग थे। क्योंकि बीएलए का मानना है कि सशस्त्र बलों, प्रशासन व शासन में दक्षिणी पंजाब के लोग अधिक हैं और वे बीएलए कार्यकर्ताओं को निशाना बनाते हैं।

खनिज और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है बलूचिस्तान

बलूचिस्तान, पाकिस्तान की कुल जमीन के 44 प्रतिशत हिस्से में फैला हुआ है। हालांकि यहां देश की कुल जनसंख्या के 6 प्रतिशत लोग ही रहते हैं। बलूचिस्तान गैस से लेकर खनिज और अनेक प्राकृतिक संसाधनों के मामले में पाकिस्तान का सबसे अमीर प्रांत है। संघर्ष का एक बड़ा कारण भी यही है। बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले बीएलए जैसे संगठन आरोप लगाते हैं कि पाकिस्तान यहां के संसाधनों का मनमानी से दोहन करता है। लोगों का शोषण करता है। यहां के लोगों को ना तो नौकरी मिल रही है और ना वो सुविधाएं, जिसके वे हकदार हैं। पाकिस्तान के इस भेदभाव और दमनपूर्ण रवैये के चलते 1948 के बाद से ही यहां के लोग अलग बलूचिस्तान की मांग कर रहे हैं।

पंजाबियों को चुन-चुनकर मार रहा बीएलए

बीएलए व कुछ अन्य संगठनों का दावा है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लोगों का पाकिस्तान की राजनीति से लेकर नौकरशाही तक में दबदबा है। वही सारी नीतियां तय करते हैं। पंजाबियों का बलूचिस्तान के संसाधनों के दोहन में भी बड़ा हाथ है। इसको लेकर बलोच और पंजाबियों के बीच लगातार टकराव होते रहे हैं। पंजाब, बलूचिस्तान से सटा क्षेत्र है, इसलिए वहां के काफी लोग बलूचिस्तान में काम करते हैं या अच्छे पदों पर हैं। इसे बीएलए जैसे संगठन कतई पसंद नहीं करते और उन्हें निशाना बनाते रहते हैं।

1947 से ही स्वतंत्रता की मांग कर रहा है बलूचिस्तान

1947 में पाकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद, बलूचिस्तान का पाकिस्तान में विलय विवादास्पद रहा। कई बलूच नेताओं और जनजातियों ने इस विलय का विरोध किया और स्वतंत्रता की मांग की। 1948, 1958-59, 1962-63 और 1973-77 में बलूचिस्तान में विद्रोह हुए, जिन्हें पाकिस्तान की सेना द्वारा कुचल दिया गया। 1973 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने बलूचिस्तान में एक सैन्य अभियान शुरू किया, जिसे बलूच राष्ट्रवादियों ने उनके अधिकारों के विरुद्ध माना। इस अभियान के दौरान, हज़ारों बलूच मारे गए और बलूच नेताओं को निर्वासन में जाना पड़ा। इस दौरान बलूच स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले कई गुटों का उदय हुआ, जिनमें से एक बीएलए भी था। बीएलए औपचारिक रूप से 2000 के दशक की शुरुआत में अस्तित्व में आई, जब बलूचिस्तान के कई विद्रोही गुटों ने एकजुट होकर स्वतंत्रता की लड़ाई को संगठित और सशक्त बनाने का प्रयास किया। बीएलए का मुख्य उद्देश्य बलूचिस्तान को स्वतंत्र करा कर इसे पाकिस्तान से अलग एक स्वतंत्र राज्य बनाना है।

बलूच लिबरेशन आर्मी – बीएलए के प्रमुख हमले

– मई 2024: बंदूकधारियों ने सात लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी, ये सभी पूर्वी पंजाब प्रांत के थे। 

– अप्रैल 2024: नोशकी के पास एक बस से 9 यात्रियों को उतार दिया गया था और बंदूकधारियों ने उनकी आईडी जांचने के बाद गोली मार दी थी। 

– अक्टूबर 2023: अज्ञात हमलावरों ने बलूचिस्तान के केच जिले के तुर्बत में पंजाब के छह मजदूरों की हत्या कर दी थी। पुलिस ने इन हत्याओं को टारगेट किलिंग बताया था।

– नवंबर, 2018: बीएलए उग्रवादियों ने कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास पर हमला करने का प्रयास किया। इसमें सात लोगों की जान गई।

– अगस्त, 2017: बीएलए ने बलूचिस्तान के हरनाई में आईईडी हमले की ज़िम्मेदारी ली। यह हमला पाकिस्तानी अर्धसैनिक सीमा बल फ्रंटियर कोर के सदस्यों पर किया गया था। इसमें 8 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई.

– मई, 2017: बलूचिस्तान के ग्वादर में मोटरसाइकिल पर सवार बीएलए के लड़ाकों ने निर्माण कार्य में जुटे श्रमिकों पर गोलीबारी की।

– जून, 2015: बीएलए उग्रवादियों ने पीर मसोरी इलाके में यूनाइटेड बलूच आर्मी के करम ख़ान कैंप पर हमला किया। हमले में 20 लोगों की जान गई।

– जून, 2013: बीएलए ने पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना के एक घर पर रॉकेट हमले और रेड की ज़िम्मेदारी ली। संगठन ने ज़िन्ना के आवास पर लगे पाकिस्तान के झंडे को भी बीएलए ध्वज से बदल दिया था।

– दिसंबर, 2011: बीएलए के लड़ाकों ने पूर्व राज्य मंत्री मीर नसीर मेंगल के घर के बाहर एक कार में बम विस्फ़ोट किया। हमले में 13 लोग मारे गए, वहीं 30 घायल हुए।

– नवंबर, 2011: बीएलए विद्रोहियों ने उत्तरी मुसाखे़ल ज़िले में एक निजी कोयला खदान की सुरक्षा कर रहे सरकारी सुरक्षा कर्मियों पर हमला किया। इसमें 14 लोगों की जान गई, वहीं 10 घायल हो गए।

– जुलाई, 2009: बीएलए हमलावरों ने सुई में 19 पाकिस्तानी पुलिसकर्मियों का अपहरण कर लिया। अपहृत कर्मियों के अलावा, बीएलए ने एक पुलिस अधिकारी की भी हत्या कर दी और 16 को घायल कर दिया। तीन सप्ताह के दौरान बीएलए ने अपहृत पुलिसकर्मियों में से एक को छोड़कर सभी को मार डाला।

– अप्रैल, 2009: बीएलए के कथित नेता ब्रह्मदाग ख़ान बुगती ने बलूच मूल के लोगों से बलूचिस्तान में रहने वाले गैर-मूल निवासियों को मारने की अपील की। बीएलए का दावा है कि इस अपील के बाद हुए हमलों में लगभग 500 पंजाबियों की जान चली गई।

– दिसंबर, 2005: बीएलए लड़ाकों ने कोहलू में एक अर्धसैनिक शिविर पर छह रॉकेट दागे, जहां तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ दौरा कर रहे थे। हालांकि मुशर्रफ़ को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने इस हमले को उनकी जान लेने का प्रयास करार दिया और जवाबी कार्रवाई में एक व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया।

– साल 2004: बीएलए ने पाकिस्तानी सरकार की मेगा-विकास परियोजनाओं में शामिल चीनी विदेशी श्रमिकों पर हमला किया।

– मई, 2003: बीएलए ने एक के बाद एक कई हमले किए, जिनमें पुलिस और ग़ैर बलोच निवासियों की मौत हुई।

– जुलाई, 2000: बीएलए ने क्वेटा में बम विस्फ़ोट की ज़िम्मेदारी ली। इस विस्फ़ोट में 7 लोग मारे गए, वहीं 25 घायल हुए।

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