राष्ट्रहित और सत्यनिष्ठा के लिए प्रतिबद्ध है पाथेय कण पत्रिका
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राष्ट्रहित और सत्यनिष्ठा के लिए प्रतिबद्ध है पाथेय कण पत्रिका
जैसलमेर। जैसलमेर ज़िले के फ़तेहगढ़ उपखंड में रविवार (4 अगस्त, 2024) को पाथेय कण पाठकों का वार्षिक सम्मेलन आयोजित हुआ। कार्यक्रम में सीमा क्षेत्र के प्रबुद्ध पाठकों ने भाग लिया। फ़तेहगढ़ उपखंड के 85 गांवों के 410 घरों में पाथेय कण पत्रिका जाती है। इनमें से लगभग 70 गांवों के 320 महिला और पुरुष पाठक सम्मेलन में शामिल हुए। प्रतिकूल मौसम और भारी बरसात के बावजूद इनके उत्साह में कोई कमी नहीं आयी। इस कार्यक्रम में सभी को संग्रहणीय विशेषांक तथा पर्यावरण गतिविधि द्वारा पौधे भेंट किए गए।
पाठकों के समक्ष अपने विचार व्यक्त करते हुए पाथेय कण के सह प्रबंध संपादक श्याम सिंह ने कहा, टीवी में ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं आता, जिसे पूरा परिवार साथ बैठकर देख सके। संस्कार निर्माण की दृष्टि से आज मीडिया जगत इतना ज़िम्मेदार नहीं है। ऐसे में क्या देखें और क्या पढ़ें, इसकी चिंता समाज को स्वयं करनी पड़ेगी। इंटरनेट के इस युग में मोबाइल पर हर प्रकार का कंटेंट उपलब्ध है। इतना कंटेंट कहॉं से आ रहा है और कौन बना रहा है, हमें अक्सर पता नहीं होता। इसमें नकारात्मक और राजनीतिक विषय ही अधिक होते हैं। ऐसे में उत्साह पैदा करने वाली, समाज को दिशा प्रदान करने वाली और सत्य को सामने लाने वाली बातें कहीं तो उपलब्ध होनी चाहिए।पाथेय कण पत्रिका उसी के प्रयास में लगी है।
उन्होंने कहा, यह पत्रिका व्यवसायिक नहीं है। पत्रिका में सत्य, तथ्य और राष्ट्रहित को आगे रखने वाले समाचारों, लेखों के साथ ही उपेक्षित समाचार, जो समाज के लिए आवश्यक हैं, को स्थान मिलता है। अपनी सत्यनिष्ठा के चलते ही पाथेय कण आज भारत की प्रमुख पत्रिकाओं में से एक है। राजस्थान के सर्वाधिक गांवों तक इसका प्रसार है। आज अनेक मीडिया घराने अपने लाभ के लिए समाज में वैमनस्य पैदा करने से भी नहीं चूकते, सनसनी फैला कर अपनी दर्शक और पाठक वर्ग बढ़ाना चाहते हैं, जबकि पाथेय कण के लिए देशहित और सामाजिक सद्भाव प्रथम है। हमारी संपादकीय टीम बहुत परिश्रम करके समाजोपयोगी मनोवैज्ञानिक युगानुकूल सामग्री संग्रह करती है। आप सभी के सहयोग से इस बार पत्रिका के पाठकों में वृद्धि हुई है। राजस्थान के 75 प्रतिशत गांवों तक इस पत्रिका की पहुंच बनी है।
सम्मेलन में पाठकों ने भी अपने विचार रखे। कृषक सवाई दान ने कहा,”मुझे किसानों के लिए उपयोगी सामग्री पढ़ना अच्छा लगता है। पाथेय कण में किसानों को ध्यान में रखते हुए कृषि सम्बंधी लेखों की संख्या बढ़नी चाहिए।
बचपन से ही पाथेय कण की पाठक रही स्थानीय चिकित्सक डॉ. मधु गाड़ी ने कहा, मोबाइल और टीवी के इस युग में पाथेय कण पत्रिका मनोचिकित्सक का काम करती है। इसकी सकारात्मक सामग्री जानकारीपरक होने के साथ ही मनभावन भी होती है।
शिक्षक ओमदान 25 वर्षों से पत्रिका के पाठक हैं, उनका कहना है, राष्ट्र भक्ति युक़्त पत्रकारिता के लिए पाथेय कण अनुकरणीय है। कारगिल युद्ध हो या अन्य कोई संकट यह पत्रिका देश की बात को मुखरता से कहती है।
सरपंच सुनील पालीवाल के अनुसार, यह पुस्तक छोटी भले ही है, परन्तु इसकी सामग्री में प्रमाणिकता बहुत है। गाँवों और शहरों में जमघट वाले स्थानों पर इसे अवश्य रखना चाहिए।
वयोवृद्ध कवि और साहित्यकार अम्बादान ने कहा, प्राचीन गूढ़ साहित्य का सरल सार पाथेय में छपता है जो आज के युग में तपस्या से कम नहीं। हमें बिना पुरुषार्थ के इतनी अनमोल सामग्री मिलती है, लाभ उठाना चाहिए।
शिक्षक राकेश और देवराज का कहना था, पाथेय कण के कंटेंट की चर्चा से कक्षा में पाठ रोचक बन जाते हैं। इसके विषय विद्यार्थियों का ज्ञान वर्धन करते हैं।