वायु को शुद्ध करने में पीपल है नं वन, शोध में हुआ खुलासा

प्रकृति का पूजन ही है पीपल पूर्णिमा

वायु को शुद्ध करने में पीपल है नं वन, शोध में हुआ खुलासावायु को शुद्ध करने में पीपल है नं वन, शोध में हुआ खुलासा

एक समय था जब लोग अपने घर और उसके पास नीम, पीपल, बरगद, गूलर के पेड़ लगाते थे और कहा जाता था कि इससे वातावरण शुद्ध रहता है। लेकिन धीरे धीरे चलन बदला और उनका स्थान फैंसी पेड़ों साइकस, पाम आदि ने ले लिया। हाल ही में हुए एक शोध के निष्कर्ष में बताया गया है कि वायु को शुद्ध करने में पीपल नं वन है। दूसरे स्थान पर जाल व तीसरे स्थान पर गिलोय का पेड़ पाया गया। यह शोध जोधपुर में प्रो. ज्ञानसिंह शेखावत (जयनारायण व्यास विवि, जोधपुर) और प्रो. रॉबर्ट पोपेक (लाइफ साइंसेज यूनिवर्सिटी ऑफ वारसा, पॉलैंड) ने मिलकर किया है।

प्रो. शेखावत का कहना है कि जोधपुर में वायु प्रदूषण बहुत अधिक है। यहॉं पार्टिकुलेट मैटर अर्थात हवा में उपस्थित छोटे कण बहुत अधिक मात्रा में हैं। जोधपुर में कैडमियम व लैड की मात्रा भी अधिक है। अत्यधिक वायु प्रदूषण के कारण ही उन्होंने अपने शोध के लिए जोधपुर का चयन किया। उन्होंने बताया कि शोध के लिए जोधपुर के सर्वाधिक प्रदूषित, मध्यम प्रदूषित, कम प्रदूषित और हरियाली वाले 35 क्षेत्रों से 10 पेड़ों की पत्तियों के नमूने लिए गए तथा इन पर शोध करके रिपोर्ट तैयार की गई है।

शोध में उन्होंने पाया कि पीपल के पेड़ पर मोम बहुत अधिक होता है। पेड़ों की पत्तियां अपनी सतह पर उपस्थित प्राकृतिक मोम के कारण हवा में तैर रहे भारी धातु कणों (कैडमियम, लैड, निकल, कॉपर, आयरन, कार्बन, सिलिकॉन आदि) को आकर्षित कर के चिपका लेती हैं। इससे वायु में उपस्थित धातुओं की मात्रा कम हो जाती है और वायु शुद्ध होती है। बारिश के मौसम में ये कण पानी के साथ बहकर वापस भूमि पर आ जाते हैं। 

यह शोध वायु प्रदूषण पर विज्ञान पत्रिका एनवायरमेंटल साइंस एंड पॉल्यूशन रिसर्च ने प्रकाशित किया है तथा भारत की विज्ञान पत्रिका करंट साइंस ने इसे प्रॉब्लम सोल्विंग रिसर्च के रूप में छापा है।

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