औपनिवेशिक पहचान के एक और चिन्ह से मिली मुक्ति, पोर्ट ब्लेयर हुआ श्री विजयपुरम

औपनिवेशिक पहचान के एक और चिन्ह से मिली मुक्ति, पोर्ट ब्लेयर हुआ श्री विजयपुरम

औपनिवेशिक पहचान के एक और चिन्ह से मिली मुक्ति, पोर्ट ब्लेयर हुआ श्री विजयपुरमऔपनिवेशिक पहचान के एक और चिन्ह से मिली मुक्ति, पोर्ट ब्लेयर हुआ श्री विजयपुरम

वर्ष 2018 में हैवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप और रॉस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप करने के बाद अब अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार, 13 सितंबर 2024 को यह घोषणा की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी विजन के अंतर्गत देश को औपनिवेशिक पहचान से मुक्त करने के लिए हमने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम करने का लिया है।

इस नाम परिवर्तन का उद्देश्य पोर्ट ब्लेयर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को फिर से स्थापित करना है, जिसका संबंध प्राचीन चोल साम्राज्य और स्वतंत्रता सेनानियों, विशेष रूप से वीर सावरकर से जुड़ा है।

अमित शाह ने कहा, “पोर्ट ब्लेयर के इतिहास में चोल साम्राज्य और स्वतंत्रता संग्राम की गाथाओं का विशेष स्थान रहा है। नया नाम ‘श्री विजयपुरम’ न केवल हमारे इतिहास का सम्मान करेगा बल्कि हमारे वीर स्वतंत्रता सेनानियों की अमर गाथा को भी संजोएगा।”

उल्लेखनीय है कि पोर्ट ब्लेयर का ऐतिहासिक महत्व 20वीं सदी के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी रहा है। कुख्यात सेल्युलर जेल, जिसे ‘काला पानी’ के नाम से जाना जाता है, ब्रिटिश राज के समय कई स्वतंत्रता सेनानियों को बंदी रखने का स्थल थी। वीर सावरकर सहित कई प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी यहाँ बंदी बनाकर रखे गए थे। 

इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है। चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है।

यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेल्युलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा माँ भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी है।

नाम परिवर्तन को लेकर आम जनता और इतिहासकारों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। कई लोग इसे भारतीय संस्कृति और इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे राजनीतिक निर्णय के रूप में देख रहे हैं। 

इतिहास से जुड़ा महत्व  

पोर्ट ब्लेयर का नाम चोल साम्राज्य से गहराई से जुड़ा है, जो दक्षिण भारत के प्राचीन शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। चोलों ने अपने समय में इस क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव डाला था और ‘विजयपुरम’ नाम उनके विजय अभियानों का सम्मान करता है। सरकार का मानना है कि इस बदलाव से क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान एक बार फिर उभरेगी।

विजयपुरम नाम और चोलों की विजय यात्रा

‘विजयपुरम’ नाम चोल साम्राज्य की विजय यात्रा और उनके सैन्य और समुद्री अभियानों का प्रतीक है। “विजय” का अर्थ है जीत, और “पुरम” का अर्थ है नगर या स्थान। चोल साम्राज्य की विजयी समुद्री यात्राएँ और अंडमान के द्वीपों पर उनका नियंत्रण इस नए नाम को ऐतिहासिक रूप से उपयुक्त बनाता है। यह नाम उनके महान समुद्री विजय अभियानों का सम्मान करता है, जिन्होंने चोलों को दक्षिण पूर्व एशिया के व्यापारिक मार्गों पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित किया।

चोल साम्राज्य के पतन के बाद, अंडमान निकोबार द्वीप समूह ने समय के साथ कई अन्य साम्राज्यों और विदेशी शक्तियों का शासन देखा। ब्रिटिश काल में, यह क्षेत्र एक प्रमुख जेल कॉलोनी के रूप में जाना गया, जहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कैद किया गया। सेल्युलर जेल, जिसे ‘काला पानी’ के नाम से जाना जाता है, वीर सावरकर और सैकड़ों अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का कारावास स्थल बना।

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