राजस्थान में अराजक तत्वों के निशाने पर मंदिर, पुजारियों के पद खाली पड़े

राजस्थान में अराजक तत्वों के निशाने पर मंदिर, पुजारियों के पद खाली पड़े

राजस्थान में अराजक तत्वों के निशाने पर मंदिर, पुजारियों के पद खाली पड़ेराजस्थान में अराजक तत्वों के निशाने पर मंदिर, पुजारियों के पद खाली पड़े

जयपुर। राजस्थान में मंदिरों में चोरी, हमलों और अतिक्रमण की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। बीते दो दिनों में ही कोटा, जयपुर, सवाई माधोपुर और सीकर में अराजक तत्वों ने कई मंदिरों को निशाना बनाया है।

10 फरवरी की रात कोटा के कैथून थाना अंतर्गत ग्राम मोरपा में माता जी के मंदिर से अष्टधातु की बनी मूर्ति चोरी हो गई।

8 फरवरी को सीकर जिले में स्थित हर्ष क्षेत्र के मालियों की ढाणी में एक मंदिर से चोरों ने 40-50 किलो वजनी मूर्ति और चांदी के सात छत्र चोरी कर लिए। मंदिर में पूजा करने वाले मूलचंद सैनी ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई है।

इसी दिन, सीकर शहर के वार्ड 52 में नायकों के मोहल्ले में स्थित बालाजी मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जे का प्रयास किया गया। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि शंकरलाल मूंड ने मंदिर की जमीन पर फर्जी दस्तावेज बनवा कर कब्जा करने का प्रयास किया।

इसके अतिरिक्त, जयपुर के गोविंदगढ़ के देवथला निवाणा स्थित श्री बावड़ी वाले बालाजी मंदिर में चोरों ने दानपेटी को निशाना बनाया। सुबह पुजारी कृष्णकांत शर्मा ने देखा कि मंदिर में तोड़फोड़ हुई थी और दानपेटियों के ताले टूटे हुए थे।

7 फरवरी को जयपुर के हरमाड़ा थाना क्षेत्र के पुनाना गांव में स्थित 500 वर्ष पुराने कालू बाबा के मंदिर में तोड़फोड़ की घटना सामने आई। 

इसी दिन, सवाई माधोपुर के बहरावंडा कला थाना क्षेत्र के क्यारदा कला गांव में स्थित जैन मंदिर से दो देव मूर्तियों की चोरी हो गई। मंदिर के संरक्षक शिवजी माली ने सुबह घटना की जानकारी दी।

31 जनवरी को चोरों ने कोटा के ऐतिहासिक गढ़ परिसर स्थित देवस्थान विभाग के तीन मंदिरों को निशाना बनाया। चोर मंदिर की छत से कूदकर अंदर गए और चार ताले तोड़कर नवनीत प्रिया जी, बृजराय जी और श्रीघरू मथुरेश जी मंदिर से 5 प्राचीन प्रतिमाएं चुरा ले गए। इनमें लड्डू गोपालजी की चार एवं श्रीघरू मथुरेश (चारभुजानाथ) की एक सवा फीट ऊंची प्रतिमा शामिल है। श्रीघरू मथुरेश की प्रतिमा काले पत्थर की बनी है और 300 वर्ष पुरानी है। मंदिर के पुजारी होतीलाल शर्मा ने बताया कि रविवार सुबह 10 बजे मंदिर का मेन गेट खोला तो अंदर के चार दरवाजों के कुंडे टूटे मिले। चोर गढ़ परिसर के पीछे से कंवरपति ड्योढ़ी की दीवार फांदकर मंदिर के आंगन में पहुंचे थे। लोगों ने बताया कि यहॉं के मंदिरों से पहले भी कई ऐतिहासिक मूर्तियां गायब हो चुकी हैं, जिनका आज तक कोई पता नहीं चला।

वहीं चार दिन पहले पुलिस ने झालावाड़ जिले के गंगधार में नयाखेड़ा राम मंदिर से हुई चोरी का खुलासा किया है और चोरी के मुख्य आरोपी मुजीबुर रहमान उर्फ कालू भाई और चोरी का माल खरीदने वाले दिनेश सोनी को गिरफ्तार किया है। वहीं एक अन्य आरोपी गुड्डू सैयद अभी फरार है।

पुलिस की सतर्कता के बाद भी स्थिति बेहद खराब है। मंदिरों में पुजारियों के पद खाली पड़े हैं। एक ही पुजारी कई कई मंदिरों में पूजा करा रहा है या वे स्थानीय सेवागीरों के भरोसे चल रहे हैं। कई मंदिरों में अस्थायी पुजारी की व्यवस्था है।

कोटा संभाग की बात करें, तो यहॉं देवस्थान विभाग के अधीन 41 मंदिर हैं, जिनमें सिर्फ 10 पुजारी व सेवागीर नियुक्त हैं। जिले में 23 मंदिरों में पुजारी के 18, सेवागीर के 13 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें पुजारी और सेवागीर के 13-13 पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। बूंदी जिले के 9 मंदिरों में पुजारी का 1 और सेवागीर के 6 पद रिक्त हैं। बारां के 4 मंदिरों में पुजारी के 3 और सेवागीर के 2 पद रिक्त हैं। झालावाड़ के 6 मंदिरों में पुजारी के 4 और सेवागीर के 5 पद रिक्त हैं। इस प्रकार संभाग के 42 मंदिरों की सेवा सिर्फ 10 पुजारियों और दो सेवागीरों के भरोसे चल रही है।

कोटा के गढ़ पैलेस में गुरु मथुरेश जी, नवनीतप्रिया, बृजराजजी, गोवर्धनजी, कोट्या भैंरुजी- 5 मंदिर हैं, जिनकी पूजा एक ही पुजारी होतीलाल शर्मा के जिम्मे है। वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं और अस्थाई रूप से नियुक्त हैं। 31 जनवरी को तीन मंदिरों से पांच मूर्तियों की चोरी के बाद भी 

यहॉं अधिक कुछ नहीं बदला है।

चोरों के साथ ही अतिक्रमणकारियों के हौंसले भी बुलंद है। एक रिपोर्ट के अनुसार,

राजस्थान में देवस्थान विभाग द्वारा प्रबंधित एवं नियंत्रित राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिर और आत्मनिर्भर मंदिरों की कुल भूमि 7294.43 हेक्टेयर है, जिसमें से 2768.6064 हेक्टेयर भूमि पर 1773 अतिक्रमियों का कब्जा है, जिनके विरुद्ध विभिन्न न्यायालयों में 263 वाद विचाराधीन हैं।

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