रामदेव मंदिर के लिए मेघवाल समाज को जमीन दान कर ठाकुर पुत्रों ने पिता का वचन निभाया 

रामदेव मंदिर के लिए मेघवाल समाज को जमीन दान कर ठाकुर पुत्रों ने पिता का वचन निभाया 

रामदेव मंदिर के लिए मेघवाल समाज को जमीन दान कर ठाकुर पुत्रों ने पिता का वचन निभाया रामदेव मंदिर के लिए मेघवाल समाज को जमीन दान कर ठाकुर पुत्रों ने पिता का वचन निभाया 

राजस्थान के सिवाना क्षेत्र कस्बे के निकटवर्ती गांव मवड़ी के ठाकुर मेघसिंह भायल और उनके भाई समुद्र सिंह भायल ने गांव के मेघवाल समाज को बाबा रामदेव मंदिर के लिए लाखों की भूमि दान की है। दरअसल वर्ष 1997 में भायल बन्धुओं के पिता ठाकुर गणपत सिंह ने यह जमीन मौखिक रूप से गॉंव के मेघवाल समाज को मंदिर बनाने के लिए दी थी। इस जमीन पर बाबा रामदेव का मंदिर तो बन गया, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में जमीन मेघवाल समाज के नाम रजिस्टर नहीं हुई। भायल बंधुओं ने कल विधिवत रूप से तहसील कार्यालय सिवाना में भूमि के पंजीकृत दस्तावेज मेघवाल समाज को सौंप दिए। जमीन का वर्तमान बाजार मूल्य 30 लाख रुपए बताया जा रहा है।

भूमि दान के बाद भायल बन्धुओं की माता ने कहा कि उनके पति और सास ने मन्दिर हेतु भूमि दान का मेघवाल समाज को वचन दिया था, मेरे पुत्रों ने अपनी दादी और पिता की भावनाओं का सम्मान करते हुए आज वह वचन निभाया है। मेरे पति का स्वर्गवास हो चुका है। मुझे अपने परिवार और बेटों पर गर्व है।

वहीं भायल बंधुओं ने कहा कि हम उस देश के वासी हैं, जहॉं हमारे पूर्वजों ने वचन निभाने के लिए प्राणों की भी परवाह नहीं की। हमने तो केवल अपना पुत्र धर्म निभाया है, पिता के दिए हुए वचन को निभाना पुत्र का परम धर्म होता है। पिता द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना हमारे लिए गर्व की बात है।

बाबा रामदेवजी के अनन्य भक्त थे ठाकुर साहब भायल

इस पहल के लिए मवडी गांव के मेघवाल समाज के वरिष्ठजन गणेशाराम, भजाराम, राणाराम और भभूताराम ने बताया कि ठाकुर साहब स्वर्गीय गणपतसिंह भायल बाबा रामदेव के अनन्य भक्त थे। मेघवाल समाज के प्रति वो हमेशा स्नेह रखते थे। वे पूरे हिन्दू समाज को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे।

पूरे मामले पर मेघवाल समाज के अंकित कहते हैं, समाज तो समरस ही है, नेता अपने वोट के लिए हिन्दू समाज में विभाजन पैदा करते आए हैं। नेता और मीडिया न हो, तो सब ठीक है। दुर्भाग्य से मीडिया नकारात्मक समाचार अधिक दिखाता है, इससे लगता है सब जगह बस यही हो रहा है। सकारात्मक खबरें दबी रह जाती हैं। और नेताओं को देखिए,

नेता प्रतिपक्ष जातीय जनगणना कराने पर अड़े हैं। वह हिन्दुओं को बांटने का प्रयास कर रहे हैं और आम हिन्दू जन जात पांत से परे सामाजिक समरसता और सौहार्द के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

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