S-400 भारतीय सेना में शामिल होने को तैयार, थर्राए चीन-पाकिस्‍तान

पाथेय डेस्क

नई दिल्ली, 06 नवम्बर । आज मॉस्‍को में होने वाली 19वें भारत-रूस इंटरगर्वमेंटल कमिशन ऑन मिलिट्री एंड मिलिट्री टेनिकल कॉपोरेशन की बैठक होनी है। इस बैठक में रूस की एस-400 मिसाइल भारतीय सेना में शामिल होने पर भी चर्चा होगी। रूसी मिसाइल अक्‍टूबर 2020 में शामिल होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समय मॉस्‍को में हैं। वह इस बैठक में हिस्‍सा लेंगे। बता दें कि दोनों देशों के बीच एस-400 पर करार अक्‍टूबर 2018 में हुआ था। यह सौदा करीब 543 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 40 हजार करोड़ रुपये है। भारत की नजर इसी सौदे पर टिकी है।

S-400 की खूबियों से पाकिस्‍तान और चीन की बेचैनी बढ़ी
अभी एस-400 S-400 भारतीय सेना में शामिल नहीं हुआ है, लेकिन चीन और पाकिस्‍तान की बेचैनी बढ़ गई है। उनकी यह बेचैनी अनायास नहीं है। इसके खासियत जान कर आप भी दंग रह जाएंगे। भारतीय सेना को इसका बेसब्री से इंतजार है। एस-400 रूसी सेना का रक्षा कवच के रूप में जाना जाता है। अब यह भारत की सेना में शामिल होगा।
इसकी खूबी यह है कि यह एक बार में दुश्‍मन पर एक साथ 36 प्रहार कर सकता है। इसके मिसाइल सिस्‍टम में 12 लांचर हैं। यह दुश्‍मनों की मिसाइलों पर रक्षा कवच है। यह चीन और पाकिस्‍तान की 36 न्‍यूक मिसाइलों एक साथ संभाल सकता है। यह चार सौ किलोमीटर की दूरी से आ रही मिसाइल को निशाने पर जाने से पहले ध्‍वस्‍त कर सकती है। इतना ही नहीं अमेरिका की सबसे एडवांस एफ 35 को गिराने में सक्षम है। एस-400 एक साथ 100 से लेकर 300 लक्ष्‍यों को एक साथ चिन्हित कर सकता है। दुश्‍मन की किसी भी हमले को यह 600 किलोमीटर दूरी पर चिन्हित करके उस पर हमला क रने में सक्षम है। इतना ही नहीं वह दुश्‍मन के इरादे को भांप कर 400 किलोमीटर पहले ही प्रहार करके नष्‍ट करने में सक्षम होगा।

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