स्वामी भक्त पन्नाधाय
राम गोपाल पारीक
वह देखती रही पलंग को, जिस पर चंदन सोया था।
उस पर सोने खातिर कैसे, कुंवर उदयसिंह रोया था।।
स्वामी भक्त उस पन्नाधाय की, आज परीक्षा होनी थी।
राजकुंवर की जगह यहां, चंदन की हत्या होनी थी।।
बनवीर की खड़ग पूछती, कहां उदय सिंह सोया था।
अपनी ममता के टुकड़े को, आज उसी ने खोया था।।
राजवंश की यह निशानी, लेकर दर-दर डोली थी।
कितनी ठोकर खाई उसने, फिर भी कुछ ना बोली थी।
कुंवर उदय सिंह रहा पूछता, मां चंदन अब कहां गया।
कैसे कहती नहीं रहा वो, इस दुनिया से चला गया।।
जब अपने बच्चों को मांएं, ऐसी कथा सुनाएंगी।
पन्ना जैसी स्वामी भक्त को, कभी भुला ना पाएंगी।।