समर्पण दिवस के रूप में मनाई गई बाबा साहब आप्टे जयंती
समर्पण दिवस के रूप में मनाई गई बाबा साहब आप्टे जयंती
उदयपुर, 8 सितम्बर। इतिहास संकलन योजना के संकल्पाकार उमाकांत केशव आप्टे उपाख्य बाबा साहब आप्टे ने भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। बाहरी लोगों द्वारा छिपाए गए भारतवर्ष के गौरवपूर्ण इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने का उनका संकल्प था।
यह बात इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रोफेसर महावीर प्रसाद जैन ने भारतीय इतिहास संकलन समिति उदयपुर इकाई की ओर से बाबा साहब आप्टे की 121वीं जयंती पर आयोजित गोष्ठी में कही। प्रो. जैन ने कहा कि साधारण परिवार में जन्मे बाबा साहब आप्टे ने लोकमान्य तिलक, बापूजी अणे, डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार जैसे राष्ट्र नायकों से प्रेरणा प्राप्त कर अपना जीवन भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए समर्पित कर दिया।
इस अवसर पर इतिहास संकलन समिति के क्षेत्रीय संगठन सचिव छगनलाल बोहरा ने कहा कि व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं का त्याग कर समाज और देशहित के लिए जीवन अर्पित कर देने वाले विरले लोगों को ही देश हजारों वर्षों तक याद करता है। बाबा साहब आप्टे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम प्रचारक के रूप में संगठन विस्तार, भारतीय इतिहास, संस्कृति के पुनर्स्थापन के लिए रात-दिन अनथक प्रयास किए। इतिहास संकलन योजना उसी महापुरुष के स्वप्नों का साकार रूप है।
बाबा साहब आप्टे की जयंती समर्पण दिवस के रूप में मनाई गई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रान्तीय अध्यक्ष मोहनलाल श्रीमाली ने की। वरिष्ठ इतिहासविद डॉ. देव कोठारी, डॉ. जीवन खरकवाल, डॉ. विवेक भटनागर, डॉ.मनीष श्रीमाली, चैनशंकर दशोरा, डॉ. कैलाश गुर्जर, डॉ. महामाया प्रसाद चौबीसा आदि ने बाबा साहब आप्टे को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारत के गौरवशाली इतिहास को अपने सत्य स्वरूप में प्रकट कर पुनर्स्थापित करने का संकल्प व्यक्त किया।