मन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित, वायनाड में सेवा कार्य करते हुए बलिदान हुए दो संघ स्वयंसेवक

मन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित, वायनाड में सेवा कार्य करते हुए बलिदान हुए दो संघ स्वयंसेवक

मन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित, वायनाड में सेवा कार्य करते हुए बलिदान हुए दो संघ स्वयंसेवकमन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित, वायनाड में सेवा कार्य करते हुए बलिदान हुए दो संघ स्वयंसेवक

वायनाड के अट्टमाला में भूस्खलन के बाद बचाव कार्य करते समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दो स्वयंसेवकों, सरथ और प्रजीश की मृत्यु हो गई। घटना शनिवार, 3 अगस्त 2024 की है। बचाव कार्य चल ही रहा था कि एक और भूस्खलन हुआ, जिसने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया और कइयों की जान बचा चुके सरथ व प्रजीश वीरगति को प्राप्त हो गए। प्रजीश का पार्थिव शरीर 500 मीटर नीचे से प्राप्त हुआ, जबकि सरथ का शरीर अभी तक नहीं मिला है।

सेवा कार्य करना स्वयंसेवकों का स्वभाव
हर आपदा में बचाव व राहत कार्य चलाना व उसमें प्रशासन का सहयोग करना संघ स्वयंसेवकों का स्वभाव है। “वह जीवन भी क्या जीवन है, जो काम देश के आ न सका” जैसे संघ गीत उनकी प्रेरणा बनते हैं। यही कारण है कि देश में जब भी कहीं आपदा आती है, ये भूरी निकर या पैंट वाले बचाव कार्यों में अग्रिम पंक्ति में खड़े नजर आते हैं।

वर्तमान में आप केरल के वायनाड में भी इन्हें हर घटना स्‍थल पर चारों ओर बचाव कार्य करते देख सकते हैं। स्वयंसेवकों ने मेप्पाडी में एक सहायता डेस्क स्थापित किया है और राहत प्रयासों का सक्रिय रूप से समन्वय कर रहे हैं। सैकड़ों प्रभावितों को भोजन और सहायता प्रदान की जा रही है। तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के स्वयंसेवक भी राहत प्रयासों में शामिल हुए हैं।

केरल की 2019 व 2018 की बाढ़ के दौरान भी स्वयंसेवकों ने अद्वितीय राहत गतिविधियां चलाई थीं, जिसके लिए उनकी सर्वत्र प्रशंसा हुई थी। आज स्थिति यह हो गई है कि जहॉं भी किसी आपदा में मानव सेवा की आवश्यकता होती है, लोगों की नजरें स्वत: ही संघ सेवकों को ढूंढने लगती हैं। वायनाड में भी जब पहला भूस्खलन हुआ और इसकी जानकारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को मिली, तो उत्तर केरल प्रांत के संघचालक केके बलराम ने स्वयंसेवकों और सेवा भारती के कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे पीड़ितों की सहायता के लिए जुट जाएं। इस आह्वान के बाद 651 स्वयंसेवक राहत कार्य में लगे। कार्यकर्ताओं ने सबसे पहले जहां-तहां फंसे लोगों को बाहर निकाला। फावड़े और अन्य उपकरणों के माध्यम से रास्तों को साफ किया। इससे घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने में और आम लोगों की आवाजाही में सहायता मिली। कार्यकर्ताओं ने पीड़ितों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की। इसके लिए एक अलग से रसोई घर चालू किया गया। यहां खाना तैयार कर प्रभावित लोगों तक पहुंचाया गया। इसके साथ ही कार्यकर्ताओं ने पीड़ितों के लिए कपड़ों आदि की व्यवस्था की। पानी हटने के बाद कार्यकर्ताओं ने प्रभावित क्षेत्रों में कीटाणुनाशक पाउडर का छिड़काव किया, ताकि लोग किसी बीमारी की चपेट में न आ जाएं। यही नहीं, सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने 37 से अधिक मृत लोगों का अंतिम संस्कार भी किया। केरल सेवा भारती के पास अनेक ऐसे वाहन हैं, जिनमें अंतिम संस्कार की सुविधा है। एक वाहन में तीन एलपीजी सिलेंडर लगे रहते हैं। इसी गैस से नारियल के रेशों को जलाकर लगभग डेढ़ घंटे में एक शव का अंतिम संस्कार हो जाता है।

केरल आपदा में देखने में आया कि सरकारी तंत्र संघ के स्वयंसेवकों के बाद प्रभावित लोगों तक पहुंचा। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने स्वयंसेवकों के सेवाकार्य की प्रशंसा की है।

प्रजीश व सरथ के बलिदान को याद करते हुए राष्ट्रोदय के ध्येय के साथ रविवार को धनबाद में पौधारोपण किया गया। कुल लगाए गए 40 पौधों में आम के दो पौधों के नाम प्रजीश और सरथ रखते हुए स्वयंसेवकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस आपदा में लोगों ने एक बार फिर देखा कि संघ के स्वयंसेवक सेवा में किस समर्पण के साथ जुटते हैं।

वायनाड के अट्टमाला में भूस्खलन के दौरान अपने पड़ोसियों को बचाने के प्रयास में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दो स्वयंसेवकों, सरथ और प्रजीश की मृत्यु हो गई।

सेवा भारती की चिताग्नि

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