जहॉं चाह वहां राह, संस्कृत सीख रहे पाक विस्थापित बच्चे
जहॉं चाह वहां राह, संस्कृत सीख रहे पाक विस्थापित बच्चे
जोधपुर के गंगाना के कच्ची बस्ती क्षेत्र में रहने वाले पाक विस्थापित हिंदू परिवारों के बच्चों ने संस्कृत भाषा में नई उपलब्धि प्राप्त की है। ये बच्चे न केवल संस्कृत में श्लोक और प्रार्थना करते हैं, बल्कि एक-दूसरे से संवाद भी सरलता से संस्कृत में करते हैं। इस अद्भुत पहल के पीछे स्थानीय शिक्षकों और समाज के सहयोग का बड़ा योगदान है। पाकिस्तान में प्रताड़ित होकर आए ये परिवार यहॉं आकर बहुत प्रसन्न हैं। अपने बच्चों को वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते देख उनकी प्रसन्नता और बढ़ जाती है। कहते हैं, जहॉं चाह वहॉं राह।
20 अप्रैल 2022 को इन विस्थापित बच्चों के लिए प्राथमिक स्कूल की शुरुआत हुई। आरम्भ में लगभग 6 महीनों तक आर्थिक और भौतिक संसाधनों की कमी के चलते स्कूल को सड़क किनारे पेड़ के नीचे चलाना पड़ा।
स्कूल को स्थिर रूप देने के लिए स्थानीय शिक्षक भभूताराम और कॉलोनीवासियों ने प्रयास किए। उन्होंने खुला मैदान तैयार किया, जिसमें धीरे-धीरे कच्ची बाड़ और ईंटों की दीवारें खड़ी की गईं। लोगों के सहयोग से यहां एक मंदिर का निर्माण भी हुआ। एक वर्ष तक स्कूल खुले आसमान के नीचे तिरपाल लगाकर चलाया गया।
बाद में सामुदायिक प्रयासों से स्कूल के लिए 10×30 फुट का टीन शेड तैयार किया गया। जोधपुर विकास प्राधिकरण ने स्कूल के लिए 2 हजार वर्ग मीटर भूमि निःशुल्क आवंटित की।
स्कूल में शुरुआत में 35-40 बच्चों का नामांकन हुआ था, अब यह संख्या बहुत बढ़ चुकी है। छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक अतिरिक्त शिक्षक की नियुक्ति की गई। शिक्षक भभूताराम ने लगभग एक लाख रुपये का निजी योगदान दिया, जिससे बच्चों को आवश्यक संसाधन मिल सके। सभी भामाशाहों ने भी लगभग पांच लाख रुपये का सहयोग किया, जिससे स्कूल में वॉटर कूलर, एयर कूलर, साउंड सिस्टम और खेल सामग्री उपलब्ध कराई गई।
हालांकि, स्कूल के पास अभी भी स्थायी भवन नहीं है। केवल एक कमरे की सुविधा होने के कारण बच्चों को खुले आसमान के नीचे बैठकर ही पढ़ाई करनी पड़ती है। गर्मियों में कक्षा लगाना कठिन हो जाता है।
संस्कृत शिक्षा का अनूठा प्रयास
इस स्कूल में बच्चों को संस्कृत के श्लोक और प्रार्थनाएं सिखाई जा रही हैं, जिससे उनकी भाषा समृद्ध हो रही है और संस्कारों का विकास हो रहा है। संस्कृत भाषा में पारंगत इन बच्चों की प्रगति ने पूरे क्षेत्र में शिक्षा के प्रति नई आशा जगाई है।
जोधपुर के इस स्कूल ने सीमित संसाधनों के बाद भी पाक विस्थापित बच्चों की शिक्षा और संस्कारों को नई दिशा दी है। यह पहल समाज के लिए एक प्रेरणा है, जिसमें शिक्षा और संस्कारों का मेल देखने को मिलता है। स्कूल के स्थायी भवन की आवश्यकता को देखते हुए समाज और प्रशासन से और सहयोग की आशा की जा रही है।