स्कूल में नौकरी करनी है तो चुटिया हटाकर आइए, प्रिंसिपल ने भोजशाला, ज्ञानवापी केस में वादी अध्यापक को धमकाया, फिर बर्खास्त किया

स्कूल में नौकरी करनी है तो चुटिया हटाकर आइए, प्रिंसिपल ने भोजशाला, ज्ञानवापी केस में वादी अध्यापक को धमकाया, फिर बर्खास्त किया

स्कूल में नौकरी करनी है तो चुटिया हटाकर आइए, प्रिंसिपल ने भोजशाला, ज्ञानवापी केस में वादी अध्यापक को धमकाया, फिर बर्खास्त कियास्कूल में नौकरी करनी है तो चुटिया हटाकर आइए, प्रिंसिपल ने भोजशाला, ज्ञानवापी केस में वादी अध्यापक को धमकाया, फिर बर्खास्त किया

लखनऊ। लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS) में शिक्षक कुलदीप तिवारी को उनके धार्मिक विचारों और प्रतीकों के कारण नौकरी से निकाल दिया गया है। कुलदीप तिवारी ने इस घटना की जानकारी एक वीडियो के माध्यम से दी और जिलाधिकारी को भी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि उन्हें धार्मिक टिप्पणियाँ करने, माथे पर तिलक लगाने, कलावा पहनने और शिखा रखने के कारण नौकरी से निकाल दिया गया।

घटना का विवरण

कुलदीप तिवारी ने लखनऊ के जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर अपने विरुद्ध की गई अनुचित कार्रवाई की शिकायत की है। शिकायत में कुलदीप तिवारी ने बताया कि वह वर्ष 2009 से विद्यालय में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।

एक धर्मनिष्ठ हिन्दू होने के कारण वे प्रतिदिन विद्यालय जाते समय माथे पर तिलक लगाते थे। इसके साथ ही उन्होंने शिखा भी रखी है। विद्यालय की प्राचार्या जयश्री कृष्णन और उप-प्राचार्या रीता फ्लेमिंग ने हमेशा इसका विरोध किया और उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी। उन्होंने समय-समय पर उन्हें अपने केबिन में बुलाकर अपमानित भी किया। शिकायत के अनुसार उनसे कहा गया था- “अगर CMS में नौकरी करनी है तो चुटिया हटाकर आइए। तिवारी के अनुसार प्रिंसिपल ने उनसे कहा, “आपने भोजशाला, ज्ञानवापी और मजारों को ध्वस्त किए जाने को लेकर जो भी केस किए हैं, वे या तो वापस लीजिए अन्यथा तत्काल प्रभाव से सीएमएस से त्यागपत्र दीजिए।” इस पर तिवारी ने कहा- “मैं जो भी कर रहा हूँ वो पूर्ण रूप से कानूनी है और जनहित में न्यायालयों के समक्ष विचाराधीन है। कोई भी केस वापस नहीं हो सकता।” उन्होंने कहा कि उनका कोई भी कार्य न तो सीएमएस के विरुद्ध है और न ही स्कूल की छवि बिगाड़ने के लिए किया गया है।

इसके बाद तिवारी जब 22 मार्च को भोजशाला मामले में शुरू हुए ASI सर्वे में शामिल हुए और सर्वे संबंधी प्रगति पर सार्वजनिक बयान दिया, तो स्कूल प्रशासन भड़क गया। प्रिंसिपल ने केस वापस लेने के बजाय सर्वे सम्बंधी बयान देने पर आपत्ति जताई और उनसे कहा कि, “आप स्वत: त्यागपत्र दे दें तो बेहतर होगा, वरना हम आपको बर्खास्त कर देंगे। पाई-पाई के मोहताज हो जाओगे फिर सड़क पर बैठकर हिन्दुत्व की रोटी खाना।” इसके बाद कारण बताओ नोटिस जारी करके उन्हें 1 जुलाई को बर्खास्त कर दिया गया।

कुलदीप तिवारी ने बताया कि सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में कक्षा 12वीं तक की शिक्षा दी जाती है। शहर के 65 हजार से अधिक बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं। शहर में इस स्कूल की 20 से 24 शाखाएं हैं। इस स्कूल की स्थापना इस्लाम की एक शाखा बहाई संप्रदाय में कन्वर्ट हुए जगदीश अग्रवाल ने की थी। स्कूल के अधिकांश शिक्षक या तो मुसलमान हैं या ईसाई। इस स्कूल में इफ्तार पार्टी का भी आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि बहाई संप्रदाय इस्लाम का ही एक रूप है। स्कूल पर कन्वर्जन के प्रयास किए जाने के आरोप लगते रहे हैं। स्कूल न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन आयोजित करता है। इसमें 50 से 60 देशों के न्यायाधीश भाग लेते हैं। तिवारी ने यह भी गंभीर आरोप लगाया है कि काले धन को सफेद करने के लिए इस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है, कुलदीप तिवारी, इंदौर हाईकोर्ट में चल रहे भोजशाला प्रकरण के प्रमुख केस के वादी हैं। साथ ही काशी ज्ञानवापी प्रकरण के अति महत्वपूर्ण प्रमुख मामलों और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण में संबंधित न्यायालयों में चल रही जनहित याचिकाओं के वादी व पक्षकर हैं। वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी अवैध मजारों, मस्जिदों व अन्य गैरकानूनी मजहबी इमारतों को ध्वस्त किए जाने की माँग में वादी हैं। वे अपने द्वारा स्थापित संगठन ‘जन उद्घोष सेवा संस्थान’ के माध्यम से राष्ट्रीय कर्तव्य के रूप में कई गतिविधियां कर रहे हैं। उन्होंने कुछ महीने पहले प्रदर्शित फिल्म आदिपुरुष में ‘श्रीरामचरितमानस’ के अनुचित चित्रण के विरुद्ध इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में जनहित याचिका दायर की थी। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई भी की थी। इसके अलावा, तिवारी शरिया कानून के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में भी पक्षकार हैं। उनका संगठन हिन्दुओं के कन्वर्जन को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाता है। 29 अक्टूबर 2023 को कुलदीप तिवारी ने काशी-मथुरा-भोजशाला के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए लखनऊ में एक भव्य आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राष्ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन किया था। इसमें राष्ट्रीय स्तर के कई गणमान्य लोगों ने भाग लिया था। इस प्रदर्शनी के बाद भी उन्हें स्कूल के प्रिंसिपल ने चेतावनी दी थी कि या तो वे त्यागपत्र दे दें, नहीं तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा।

उन्हें 1 जुलाई 2024 को स्कूल की ओर से आधिकारिक पत्र मिला। इसके बाद तिवारी ने 4 जुलाई को लखनऊ के जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर इस संबंध में शिकायत की। अभी तक स्कूल प्रबंधन की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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