श्री महाकाल लोक : पुर्नस्थापित हुआ उज्जयिनी का प्राचीन वैभव
हेमेन्द्र क्षीरसागर
श्री महाकाल लोक : पुर्नस्थापित हुआ उज्जयिनी का प्राचीन वैभव
भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली, प्राचीन काल-गणना, ज्योतिष, संस्कृति का केन्द्र, महाकवि कालिदास एवं सम्राट विक्रमादित्य की गौरवशाली नगरी उज्जयिनी का प्राचीन वैभव अब नए स्वरूप “श्री महाकाल लोक” के रूप में स्वर्ग लोक होने जा रहा है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सदियों से भक्तों के लिए भगवान की आस्था का मुख्य द्वार रहा है, जिसे शिव लीलाओं की अद्भुत छटाओं के साथ विकसित किया गया। श्री महाकाल लोक प्रदेश और देशवासियों के आस्था और आकर्षण का केंद्र बनेगा। बतौर पौराणिक नगरी उज्जैन के वैभव, परंपराओं, धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक महत्व को पूरी तरह ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने श्री महाकाल क्षेत्र के समग्र विकास के लिए प्रभावी विकास योजना बनाई, जो मूर्तरूप ले रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 अक्तूबर को गरिमामय समारोह में योजना के प्रथम चरण के कार्यों का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सिंहस्थ-2016 में उज्जैन में विश्व स्तरीय अधो-संरचना का विकास किया गया।
अभूतपूर्व, परिकल्पना के प्रथम चरण में भगवान श्री महाकालेश्वर के आँगन में छोटे एवं बड़े रुद्र सागर, हरसिद्धि मन्दिर, चार धाम मन्दिर, विक्रम टीला आदि का विकास किया गया है। दूसरे चरण में महाराजवाड़ा परिसर का विकास किया जाएगा, जिसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का धरोहर के रूप में पुनर्पयोग, कुंभ संग्रहालय के रूप में पुराने अवशेषों का समावेश एवं इस परिसर का महाकाल मन्दिर परिसर से एकीकरण होगा। महिमामयी श्री महाकाल लोक का अद्भुत वैभव यह है कि यहां 9 फीट की 9 प्रतिमाएं यक्ष-यक्षिणी, सिंह, बटुक भैरव, सती, पार्वती, ऋषि भृंगी, विष्णु, नंदीकेश्वर, शिव भक्त रावण, श्री राम, परशुराम, अर्जुन, सती, ऋषि शंकराचार्य, शनि, ऋषि दधीचि विराजित हैं। श्री महाकाल लोक का प्रथम चरण, जिसे तकनीकी रूप से “मृदा परियोजना-1” कहा जाता है, पूर्ण हो चुका है। जिसे अब आम श्रद्धालुओं के लिये खोल दिया जाएगा। प्रथम चरण के कार्यों के खुलते ही हरि फाटक ब्रिज की चौथी भुजा से आकर श्रद्धालु जैसे ही त्रिवेणी संग्रहालय पहुंचेंगे, उन्हें बाबा श्री महाकाल के अलौकिक दर्शन होंगे।
“श्री महाकाल लोक” क्षेत्र विकास परियोजना की अनुमानित लागत 800 करोड़ रुपये है, जिसमें प्रथम चरण में 350 करोड़ रुपये से महाकाल चौक, महाकाल प्रांगण, मध्यांचल, महाकाल प्रसंग उद्यान, घाट एवं अवंतिका क्षेत्र, नूतन स्कूल परिसर और गणेश स्कूल परिसर का कार्य पूर्ण हो चुका है। महाकाल परिसर के प्रथम घटक में पैदल चलने के लिए उपयुक्त 200 मीटर लम्बा मार्ग बनाया गया है। इसमें 25 फीट ऊँची एवं 500 मीटर लम्बी भित्ति दीवार बनाई गई है। साथ ही 108 शिव स्तंभ, शिव की विभिन्न मुद्राओं सहित निर्मित हो चुके हैं, जो अलग ही छटा बिखेर रहे हैं। कमल सरोकार खुला हवादार, नाटक शाला तथा झील अग्रभाग क्षेत्र और ई-रिक्शा एवं आकस्मिक वाहनों के लिए मार्ग भी बनाए गए हैं। बड़े रुद्र सागर की झील में स्वच्छ पानी भरा गया है। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि पानी स्वच्छ ही रहे। सर्वसुविधा युक्त श्री महालोक की अलौलिकता देखते ही बनती है। स्तुत्य, उज्जयिनी का गौरव पुर्नस्थापित हुआ धरती के स्वर्ग लोक, श्री महाकाल लोक में। जय महाकाल…।