श्रीरामचरित मानस मंडल का पुण्यार्जन बैंक : पुण्यार्जन जन्म से पहले भी और मृत्यु के बाद भी

श्रीरामचरित मानस मंडल का पुण्यार्जन बैंक : पुण्यार्जन जन्म से पहले भी और मृत्यु के बाद भी

श्रीरामचरित मानस मंडल का पुण्यार्जन बैंक : पुण्यार्जन जन्म से पहले भी और मृत्यु के बाद भीश्रीरामचरित मानस मंडल का पुण्यार्जन बैंक : पुण्यार्जन जन्म से पहले भी और मृत्यु के बाद भी

बांसवाड़ा। श्रीरामचरित मानस मंडल द्वारा संचालित ‘पुण्यार्जन बैंक’ एक अनूठी धार्मिक पहल है, जिसमें सदस्य न केवल अपने जीवनकाल में बल्कि मृत्यु के बाद भी पुण्य कार्यों में भागीदारी करते रहते हैं। यह बैंक विशेष रूप से धार्मिक अनुष्ठानों को समर्पित है। इसका उद्देश्य सतत रूप से धार्मिक गतिविधियों का संचालन करना है।

मंडल का सदस्य बनने के लिए 1100 रुपये की राशि जमा करानी होती है। यह राशि मंडल की ओर से एक निश्चित जमा (एफडी) के रूप में सुरक्षित कर दी जाती है। एफडी पर मिलने वाले ब्याज का उपयोग धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों के लिए किया जाता है। मंडल की विशेष व्यवस्था के अंतर्गत, मूल राशि को यथावत रखा जाता है, ताकि धार्मिक गतिविधियां स्थायी रूप से चलती रहें। 

जन्म से पहले भी और मृत्यु के बाद भी

यह बैंक इतना अनोखा है कि सदस्यता जन्म से पहले भी ली जा सकती है। भक्त अपनी श्रद्धा के चलते गर्भधारण के समय ही अपने बच्चों के लिए सदस्यता प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रकार, बच्चा जन्म से पहले ही पुण्य कमाने की प्रक्रिया में शामिल हो जाता है। दूसरी ओर किसी सदस्य की मृत्यु के बाद भी उनके अंशदान से मिलने वाली ब्याज राशि का उपयोग धार्मिक कार्यों में किया जाता है। इस प्रकार, मृत्यु के बाद भी ‘पुण्यार्जन’ की प्रक्रिया जारी रहती है। मंडल के सदस्य अपनी भेंट राशि के माध्यम से निरंतर धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं।

यह मंडल उन भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है, जो अपने जीवन में और उसके बाद भी धर्म और श्रद्धा से जुड़े रहना चाहते हैं। श्रीरामचरित मानस मंडल में 1100 रुपये से लेकर 2100 रुपये तक की भेंट राशि देकर आजीवन सदस्य बनने की सुविधा है। इस पहल के अंतर्गत सबसे पहली रसीद भंडारिया हनुमानजी के नाम पर काटी गई। अब तक मंडल के 5000 से अधिक सदस्य बन चुके हैं।

महिलाओं की बढ़ती भागीदारी

मंडल में 1200 से अधिक महिलाएं आजीवन सदस्य हैं, जिनमें से 50 महिलाएं सक्रिय रूप से मंडल की गतिविधियों में योगदान देती हैं। मंडल के सदस्य न केवल राजस्थान बल्कि मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हैं। इसके अलावा, सउदी अरब, कुवैत, सिंगापुर और अमेरिका जैसे देशों में भी भक्त मंडल का हिस्सा बनकर पुण्यार्जन में सहभागी बन रहे हैं।

मंडल की स्थापना के समय ही ‘रामनाम बैंक’ की शुरुआत की गई थी। अब तक इसमें 92 करोड़ रामनाम लेखन संग्रहित हो चुके हैं। यह बैंक श्रद्धालुओं के लिए राम नाम के जप और लेखन को प्रोत्साहित करता है, जिससे उनकी आस्था और गहरी हो जाती है। इस प्रकार श्रीरामचरित मानस मंडल न केवल धार्मिक अनुष्ठानों और पुण्य कार्यों को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि समाज में धर्म और संस्कारों को स्थायी रूप से स्थापित करने में भी अपनी भूमिका निभा रहा है।

श्रीरामचरित मानस मंडल पनेश्वर शिवालय में 2010 से अखंड रामायण पाठ का आयोजन कर रहा है। मंडल की गतिविधियों ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि देश-विदेश में भी श्रद्धालुओं के बीच गहरी धार्मिक आस्था उत्पन्न की है।

अन्य प्रमुख उपलब्धियां

2001 से अब तक 92 करोड़ रामनाम लेखन संग्रहित।

2011 से अब तक 43 करोड़ पंचाधार लेखन भी संग्रहित।अब तक 7 लाख सुंदरकांड पाठ का सफल आयोजन।

चार बार 5 लाख हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन।

दो बार 11 लाख हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन।

दो बार 1008 रामायण पाठ का आयोजन।

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