दक्षिण अफ्रीकी उबुंतू और भारतीय संस्कृति में है समानता
दक्षिण अफ्रीकी उबुंतू और भारतीय संस्कृति में है समानता
जयपुर। अंतरराष्ट्रीय संस्कृति अध्ययन केंद्र, भारत के जयपुर चैप्टर द्वारा रविवार (15 सितंबर, 2024) को “Ubuntu – Essence of Africa’s Conviction Towards a Better World” विषय पर आभासी माध्यम (गूगल मीट) पर व्याख्यान आयोजन किया गया। आमंत्रित वक्ता दीप्ति कटारिया, जो पेशे से अभियंता हैं तथा मिस्र में रहती हैं, ने दक्षिण अफ्रीका की उबुंतु संस्कृति पर अपने विचार और अनुभव साझा किए। वक्तव्य में उबुंतु लोगों के सामान्यवादी और सभी को साथ रखने व देखने वाले दृष्टिकोण से भारत के वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा का जुड़ाव प्रकट हुआ। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला भी इस परम्परा के दर्शन से बहुत प्रभावित थे। मनुष्यों के अतिरिक्त यह विचार प्रकृति में भी निहित है। वक्ता दीप्ति ने हाथियों के एक झुंड का उदाहरण दिया, जो सुख दुःख में एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। इसके साथ ही उन्होंने इथोपिया की यूलिंगटू और जांबिया की गचा परम्परा की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि मनुष्य, जीव जगत और प्रकृति के अटूट, पारस्परिक अस्तित्व वाले सम्बंध पर ही इन प्राचीन संस्कृतियों के दर्शन आधारित हैं।
विभिन्न व्यवसाय तथा शिक्षा से जुड़े लगभग 15 लोगों ने व्याख्यान में भाग लिया। यह कार्यक्रम डॉ. अरुण सिंह के संयोजन में संपन्न हुआ।