छात्रों ने स्वदेश यात्रा के दौरान ली समाज सेवियों से प्रेरणा
छात्रों ने स्वदेश यात्रा के दौरान ली समाज सेवियों
स्वदेश यात्रा, जिसका उद्देश्य है भारत के विभिन्न गांवों में हो रहे समाज संरचना के कार्यों से भारत के सर्वोत्तम विश्वविद्यालयों के छात्रों को अवगत कराना। पिछले 12 वर्षों से चल रही यह यात्रा IIT दिल्ली के छात्रों में देशप्रेम एवं देश निर्माण जैसी भावनाओं को जागृत करती आयी है। अब तक यह यात्रा चित्रकूट, गोंडा, भुज, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र आदि कई स्थानों पर जा चुकी है। यात्रा का संपूर्ण व्यय छात्र स्वयं ही वहन करते हैं।
इस बार इस यात्रा ने राजस्थान के गांवों की ओर रुख किया। यात्रा के प्रथम दिन छात्रों ने जयपुर में सेवा भारती संस्था की सहायता से चल रहे ‘बिमला देवी आश्रम’ के बारे में जाना। बिमला देवी पिछले 21 वर्षों से आस-पास की बस्तियों में रह रहे कचरा-उठाने वाले बच्चों को ना केवल पढ़ा लिखा कर आत्म-निर्भर बना रही हैं बल्कि वे इन बच्चों की अपने आश्रम में देखभाल करके उन्हें संस्कारित कर अच्छा व्यक्ति बनने की प्रेरणा भी दे रही हैं। उनके इस संकल्प से आज उनके आश्रम में 350 बच्चे रहते हैं। कई बच्चे BA, LLB, BCom आदि की पढ़ाई कर आत्मनिर्भर बन चुके हैं।
यात्रा का रुख आगे बढ़ाते हुए दूसरे दिन सभी छात्रों ने तिलोनिया, टोंक स्थित बेयरफुट कॉलेज संस्था का दौरा किया। इस संस्था की शुरुआत 1972 में रॉय नामक एक व्यक्ति ने गॉंव में पानी की विकट समस्या सुलझाने के लिए की थी। उन्होंने वहाँ जाति-प्रथा पर रोक के लिए भी काम किया। संस्था समाज-संरचना के अनेक कार्यों जैसे कबाड़ से जुगाड़, गांव के लोगों को हैंडपंप ठीक करने और देश विदेश में महिलाओं को सोलर एनर्जी से निर्मित उपकरणों की ट्रेनिंग देने आदि पर भी काम कर रही है।
तीसरे और चौथे दिन छात्रों ने लापौड़िया गांव में पड़ाव डाला। यहॉं उन्होंने संकल्प और संगठन से बड़ी बड़ी समस्याओं को हल करने की सीख ली। ग्रामवासियों से बातचीत के बाद सभी ने अनुभव किया कि यदि देश के युवा संकल्प लेकर कार्य करें तो बाकी देश उनकी सहायता में जुड़ जाता है।
यात्रा के अंतिम दिन छात्रों ने जल पुरुष राजेंद्र सिंह की संस्था तरुण भारत संघ (अजमेर) का दौरा किया। राजेंद्र सिंह ने जल संरक्षण पर यहॉं बहुत काम किया है। गांवों में नदियाँ वापिस बहने लगी हैं। किसान एक वर्ष में तीन फसलें उगा रहे हैं।
सभी छात्र बिमला देवी, रॉय व राजेन्द्र सिंह की त्याग भावना से अत्यंत प्रभावित हुए। ये वे लोग हैं, जिन्होंने अपना घर परिवार तो संभाला ही सामाजिक कार्यों में भी बड़ा योगदान दिया।