जाते-जाते भी तीन सैनिकों को नवजीवन दे गए सूबेदार अर्जुन सिंह
जाते-जाते भी तीन सैनिकों को नवजीवन दे गए सूबेदार अर्जुन सिंह
एक सैनिक अपनी आखिरी सांस तक देश सेवा के लिए समर्पित रहता है। इसका साक्षात उदाहरण हैं दिवंगत जवान अर्जुन सिंह, जिन्होंने लगभग तीस वर्ष तक जम्मू—कश्मीर रायफल्स बटालियन में रह कर देश की सेवा की और मरणोपरांत सेना के तीन अन्य जवानों को नवजीवन दे गए।
70 वर्ष की आयु में गत 14 मई को अर्जुन सिंह संगोत्रा को ब्रेन हैमरेज हुआ। इस आघात के कारण वे कोमा में चले गए। चिकित्सकों ने काफी इलाज के बाद उन्हें ब्रेन डैड घोषित कर दिया। अर्जुन सिंह के निधन के बाद परिजनों ने चिकित्सकों से परामर्श कर उनका लिवर, किडनी व कॉर्निया दान करने की इच्छा जताई। इसके बाद हरियाणा के चंडीमंदिर क्षेत्र में उपस्थित भारतीय सेना के पश्चिमी कमांड के अस्पताल में विशेषज्ञों की एक टीम पहुँची। टीम ने सावधानीपूर्वक दिवंगत अर्जुन सिंह के दान दिए गए अंगों को निकाला और इन अंगों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एक घंटे में ही दिल्ली स्थित सैन्य छावनी पहुंचाया। सैन्य अस्पताल में भर्ती गंभीर रूप से बीमार तीन सैनिकों को अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी। अर्जुन सिंह के द्वारा दान किए गए अंग इन तीनों सैनिेकों के शरीर में ट्रांसप्लांट किए गए। विशेषज्ञों की टीम की देख—रेख में यह कार्य सफल रहा। अंगदान करने के लिए सैन्य अधिकारियों ने दिवंगत सूबेदार अर्जुन सिंह के परिजनों को सम्मानित किया।
इस प्रकार अर्जुन सिंह जाते-जाते भी तीन जवानों को नया जीवन दे गए। अब उनके अंगों को पाकर गंभीर रूप से बीमार ये सैनिक स्वस्थ होकर देश की सेवा करेंगे।
अर्जुन सिंह संगोत्रा हिमाचल प्रदेश के पालमपुर क्षेत्र के निवासी थे। वे सेना से सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
सशस्त्र बलों की अंगदान को बढ़ावा देने की पहल
एओआरटीए सशस्त्र बलों ने अंगदान के महत्व को समझते हुए वर्ष 2007 में सशस्त्र बल अंग पुन: प्राप्ति एवं प्रत्यारोपण कार्यक्रम (एओआरटीए) की शुरुआत की। इसका व्यापक उद्देश्य अंगदान के बारे में जागरूकता फैलाना, अंग पुन: प्राप्त कर प्रत्यारोपण के लिए समन्वय करना था। सेना के जवानों के साहस और दिलेरी का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि किसी भी क्षण आ सकने वाली मृत्यु से भयभीत न होते हुए ये मरणोपरांत अंगदान की भी शपथ ले रहे हैं। भारतीय प्रादेशिक सेना टीए ने दिल्ली कैंट स्थित सैन्य अस्पताल के अंग, पुनर्प्राप्ति और प्रत्यारोपण प्राधिकरण (एओआरटीए) में अंगदान करने संबंधी आवेदन जमा कराए हैं।
कई अन्य सैनिक भी ले चुके हैं देहदान का संकल्प
हिमाचल प्रदेश के ही सुंदर नगर निवासी 70 वर्ष से अधिक आयु के एक अन्य पूर्व सैनिक परमाराम चौधरी ने भी मरणोपरांत देहदान का संकल्प लिया है। 1996 में वे अपनी एक किडनी पहले ही दान दे चुके हैं। सुंदर नगर के ही एक और पूर्व सैनिक अमर सिंह ने भी देहदान का संकल्प लिया है। वे 17 साल सेना में सेवाएं दे चुके हैं।