सुखाड़िया विवि का मंडाला कार्यक्रम अरबन नक्सलवाद से प्रेरित- विवि छात्राएं

सुखाड़िया विवि का मंडाला कार्यक्रम अरबन नक्सलवाद से प्रेरित- विवि छात्राएं

सुखाड़िया विवि का मंडाला कार्यक्रम अरबन नक्सलवाद से प्रेरित- विवि छात्राएंसुखाड़िया विवि का मंडाला कार्यक्रम अरबन नक्सलवाद से प्रेरित- विवि छात्राएं

– विवि में महिला सशक्तीकरण के नाम पर पारिवारिक अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों की जांच हो

उदयपुर, 7 मार्च। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में चल रहे यूजीसी महिला अध्ययन केंद्र की ओर से 3-8 मार्च तक आयोजित होने वाला कार्यक्रम मंडाला पहले दिन से ही विवादों में है। विवाद के बाद इसमें बुलाए गए कहानीकार, अभिनेता व लेखक सैयद साहिल आगा का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। कार्यक्रम में डिबेट के विषय भी विवादास्पद हैं। बुधवार को छात्राओं ने कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा को ज्ञापन दिया। जिसमें कहा गया था कि लेखक सैयद साहिल आगा को बुलाना राष्ट्र‌विरोधी कार्य है। इसके अलावा डिबेट के विषय लैंगिक समानता मिथक, पुस्तक इनसाइड द हवेली, स्क्रीनिंग की फिल्म एमआरएस अलगाववादी विचारधारा को प्रचारित करने जैसे हैं। छात्राओं का आरोप है कि कार्यक्रम की रूपरेखा परिवार-विरोधी और विभाजनकारी विचारधारा को बढ़ावा देने वाली है। कार्यक्रम में परिवार के संरक्षक और विवाह संस्था को महिला की प्रगति में रुकावट के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

छात्राओं का कहना है कि कार्यक्रम में ऐसे विचार परोसे जा रहे हैं, जिनमें परिवार को महिला की प्रगति में बाधक बताया जा रहा है। माता-पिता पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि वे अपनी बेटियों को स्वतंत्रता नहीं देते, जबकि विवाह संस्था को महिला के विकास में रुकावट के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। छात्रों का आरोप है कि उन्हें रिबल किड्स बनने की प्रेरणा दी जा रही है, यानी अपने परिवार से अलग होकर एनजीओ से जुड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जा रहा है। छात्राओं ने इस कार्यक्रम को अरबन नक्सलवाद से प्रेरित बताते हुए कहा कि इसकी आयोजक प्रोफेसर का संपर्क दिल्ली के ऐसे संगठनों से है, जो समाज में अशांति फैलाने का कार्य करते हैं। जब छात्राओं ने इन विषयों पर प्रश्न उठाए, तो उन्हें धमकियां दी गईं और प्रतिक्रियावादी कहकर हतोत्साहित किया गया।

छात्राओं ने कुलपति सुनीता मिश्रा से मांग की कि विश्वविद्यालय में महिला सशक्तीकरण के नाम पर पारिवारिक अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों की जांच हो। उन्होंने सुझाव दिया कि महिला सशक्तीकरण को लेकर ऐसे कार्यक्रम होने चाहिए, जो प्रेरणादायक महिलाओं रानी लक्ष्मीबाई, सावित्रीबाई फुले, वीरांगना कालीबाई, द्रौपदी मुर्मू, कल्पना चावला और साइना नेहवाल जैसे व्यक्तित्वों से सीख लेने को प्रेरित करें। छात्राओं ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय में मेवाड़ राजपरिवार की छवि धूमिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत इनसाइड द हवेली नामक पुस्तक के अंश पढ़ाए जा रहे हैं, जिसमें मेवाड़ की बहुओं को दमन का शिकार दिखाया गया है।

छात्राओं ने शाहीन बाग आंदोलन के दौरान हिंदुओं को तुगलक कहने वाले सैयद साहिल आगा का कार्यक्रम रद्द होने पर संतुष्टि जताई। वैसे यह पहली बार नहीं है, जब सुखाड़िया विश्वविद्यालय में इस तरह के विवाद सामने आए हैं। 2015 में प्रो. अशोक वोहरा द्वारा हिंदू देवी-देवताओं पर विवादित टिप्पणी करने के कारण हंगामा हुआ था। इसी प्रकार 2024 में हिमांशु पंड्या को पीएचडी कोर्स वर्क पढ़ाने के लिए बुलाया गया, जिनके सोशल मीडिया पोस्ट में आतंकवादी अफजल गुरु का समर्थन पाया गया। लेखक सैयद साहिल भगवान श्रीराम व अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर के विरुद्ध आग उगल चुके हैं।

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