सम सामयिकी आलेख निरंतर बढ़ती मनमानी एवं हिंसक प्रवृत्तियाँ लोकतंत्र के लिए घातक 4 years ago Pathey Kan प्रणय कुमार लोकतंत्र में जन-भावनाओं एवं जन-आंदोलनों की महत्ता को खारिज़ नहीं किया जा सकता।…