पंचांग 21 जनवरी 2022
पंचांग 21 जनवरी 2022 सुविचार पत्रं नैव यदा करीरविटपे दोषो वसन्तस्य किं नोलूकोऽप्यवलोकयते यदि दिवा…
पंचांग 21 जनवरी 2022 सुविचार पत्रं नैव यदा करीरविटपे दोषो वसन्तस्य किं नोलूकोऽप्यवलोकयते यदि दिवा…
पंचांग 20 जनवरी 2022 सुविचार यथा धेनु सहस्रेषु वत्सो गच्छति मातरम्। तथा यच्च कृतं कर्म…
पंचांग 19 जनवरी 2022 सुविचार जीवन्तं मृतवन्मन्ये देहिनं धर्मवर्जितम्। मृतो धर्मेण संयुक्तो दीर्घजीवी न संशयः।।…
पंचांग 17 जनवरी 2022 सुविचार अहो स्वित् विचित्राणि चरितानि महात्मनाम्। लक्ष्मीं तृणाय मन्यन्ते तद्भरेण नमन्ति…
पंचांग 16 जनवरी 2022 सुविचार आत्मापराधवृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्। दारिद्र्यरोग दुःखानि बन्धनव्यसनानिच।। भावार्थ दरिद्रता, रोग, दुःख…
पंचांग 15 जनवरी 2022 सुविचार पुनर्वित्तं पुनर्मित्रं पुनर्भार्या पुनर्मही। एतत्सर्वं पुनर्लभ्यं न शरीरं पुनः पुनः।।…
पंचांग 14 जनवरी 2022 सुविचार तिलवत् स्निग्धं मनोऽस्तु वाण्यां गुडवन्माधुर्यम्। तिलगुडलड्डुकवत् सम्बन्धेऽस्तु सुवृत्तत्त्वम्।। भावार्थ मकर…
पंचांग 13 जनवरी 2022 सुविचार धर्माऽऽख्याने श्मशाने च रोगिणां या मतिर्भवेत्। सा सर्वदैव तिष्ठेच्चेत् को…
पंचांग 12 जनवरी 2022 सुविचार धर्मं धनं च धान्यं गुरोर्वचनमौषधम्। संगृहीतं च कर्तव्यमन्यथा न तु…
पंचांग 11 जनवरी 2022 सुविचार त्यज दुर्जनसंसर्ग भज साधुसमागमम्। कुरु पुण्यमहोरात्रं स्मर नित्यमनित्यतः।। भावार्थ हमेशा…
पंचांग 10 जनवरी 2022 सुविचार उत्पन्नपश्चात्तापस्य बुद्धिर्भवति यादृशी। तादृशी यदि पूर्वा स्यात्कस्य स्यान्न महोदयः।। भावार्थ…
पंचांग 9 जनवरी 2022 सुविचार दाने तपसि शौर्ये च विज्ञाने विनये नये। विस्मयो न हि…
पंचांग 8 जनवरी 2022 सुविचार तावन्मौनेन नीयन्ते कोकिलश्चैव वासराः। यावत्सर्वं जनानन्ददायिनी वान प्रवर्तते।। भावार्थ कोयल जब तक…
पंचांग 7 जनवरी 2022 सुविचार दूरस्थोऽपि न दूरस्थो यो यस्य मनसि स्थितः। यो यस्य हृदये…
पंचांग 6 जनवरी 2022 सुविचार जले तैलं खले गुह्यं पात्रे दानं मनागपि। प्राज्ञे शास्त्रं स्वयं…
पंचांग 5 जनवरी 2022 सुविचार बहूनां चैव सत्त्वानां रिपुञ्जयः। वर्षान्धाराधरो मेघस्तृणैरपि निवार्यते।। भावार्थ एकता की…
पंचांग 3 जनवरी 2022 सुविचार येन देवा: पवित्रेणात्मानं पुनते सदा। तेन सहस्त्रधारेण पावमानी: पुनन्तु न:।।…
पंचांग 2 जनवरी 2022 सुविचार सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम्। वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः…