सम सामयिकी आलेख रहने लायक नहीं रहेगी यह धरा, यदि प्रकृति का शोषण इसी गति से चलता रहा 2 years ago Pathey Kan प्रहलाद सबनानी रहने लायक नहीं रहेगी यह धरा, यदि प्रकृति का शोषण इसी गति से…