मनु से लक्ष्मीबाई तक…
मनु से लक्ष्मीबाई तक… मैं अपनी झांसी किसी को नहीं दूंगी का हुंकार लगाने वाली…
मनु से लक्ष्मीबाई तक… मैं अपनी झांसी किसी को नहीं दूंगी का हुंकार लगाने वाली…
प्रणय कुमार ज़रा कल्पना कीजिए, दोनों हाथों में तलवार, पीठ पर बच्चा, मुँह में घोड़े…