कला का विमर्श समाज को जोड़ने वाला हो- डॉ.मोहनराव भागवत
कला का विमर्श समाज को जोड़ने वाला हो- डॉ.मोहनराव भागवत
• 2,000 से अधिक कलाकार अखिल भारतीय कला साधक संगम में हुए शामिल
बेंगलुरु। संस्कार भारती द्वारा बेंगलुरु में चल रहा चार दिवसीय “अखिल भारतीय कलासाधक संगम” पूर्ण हुआ। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर उपस्थित रहे।
समापन समारोह में अपनी बात रखते हुए डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि कला का विमर्श समाज को जोड़ने वाला हो, इसका प्रयोग गलत दिशा में करने वालों का प्रतिकार करने का कर्तव्य संस्कार भारती का है। मंदिर की लड़ाई 500 वर्षों तक चली, अब जाकर मंदिर बना। इस यज्ञ में सभी का योगदान बराबर रहा, जिसमें कला भी शामिल है। संगठन की ध्येयनिष्ठा तय हुई तो कला की दुनिया में भारत का विमर्श स्थापित होगा, मानवता का बंधुत्व भाव मजबूत होगा। “भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किये चलो” रूपी मंत्र को मन में रखकर कला साधकों को कला के माध्यम से देशसेवा के लिए आगे आना चाहिए।
श्री श्री रविशंकर ने कला साधकों को संबोधित करते हुए देश के ऐतिहासिक वर्णनों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत पुरातन है, नित्य नूतन है और यही सनातन है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र भक्ति और देव भक्ति एक समान ही है। उन्होंने राममंदिर निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने के निर्णय का स्वागत किया।
इस दौरान वर्ष 2024 के पद्म पुरस्कार से सम्मानित देश के अलग-अलग राज्यों से आए कलाकारों तथा रामलला की मूर्ति निर्माण करने वाले शिल्पकार अरुण योगीराज और गणेश भट्ट को भी सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने सम्मानित किया।
कार्यक्रम में संस्कार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष वासुदेव कामत, भगवान कृष्ण की भूमिका निभाने वाले नीतीश भारद्वाज, हेमलता एस. मोहन, मैसूर मंजुनाथ, राष्ट्रीय महामंत्री अश्विन दलवी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह मनमोहन वैद्य, 2024 के पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित राजदत्त, रामलला की मूर्ति के शिल्पकार अरुण योगीराज आदि अनेक लोग उपस्थिति थे।