दुनिया ने समझा गाय के गोबर का महत्व, जापान में चला जहाज, रॉकेट उड़ाने की तैयारी

दुनिया ने समझा गाय के गोबर का महत्व, जापान में चला जहाज, रॉकेट उड़ाने की तैयारी

दुनिया ने समझा गाय के गोबर का महत्व, जापान में चला जहाज, रॉकेट उड़ाने की तैयारीदुनिया ने समझा गाय के गोबर का महत्व, जापान में चला जहाज, रॉकेट उड़ाने की तैयारी

• खेती के साथ गैस और बिजली तथा विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है गाय के गोबर का उपयोग

जयपुर। हमारे देश में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। इसके पंचगव्यों में से एक गोबर को अब तक सिर्फ खेतों में खाद व कंडों के रूप में जलाने के लिए काम में लिया जाता था, लेकिन अब दुनियाभर में गाय के गोबर की उपयोगिता सिद्ध हो चुकी है। दुनिया में बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी गोबर बहुत कारगर साबित हो रहा है। कई देशों में इससे बिजली बनाई जा रही है। जापान तो गोबर की ऊर्जा से पानी में चलने वाले जहाज का सफल परीक्षण भी कर चुका है। यह उन लोगों की आंखें खोलने के लिए काफी है जो हिन्दुओं की संस्कृति का मजाक बनाते हैं और गाय को एक साधारण पशु मानकर इसका वध कर रहे हैं व गोबर को मात्र एक अपशिष्ट बता रहे हैं।

गोबर का उपयोग और उसके लाभ

गाय के गोबर का उपयोग पहली बार भारत में किया गया था। किसान अपने खेतों को उपजाऊ बनाए रखने और अच्छी फसलों के खाद के रूप में इसे काम में लेते थे। इसके अलावा गोबर से घर-आंगन की लिपाई भी की जाती थी। साथ ही विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का निर्माण भी होता था। इसके बाद गोबर का उपयोग बायोगैस के रूप में होने लगा। गोबर गैस प्राकृतिक गैस और अन्य जीवाश्म ईंधन का एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है। यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में सहायता कर सकता है, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में ऑफ-ग्रिड घरों के लिए स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों तक पहुंच बढ़ा सकता है। गोबर में बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा होती है। इस ऊर्जा का उपयोग ईंधन, प्रकाश आदि के लिए किया जा सकता है। प्लांट से निकलने वाले गोबर का खाद के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं। 

जापान ने गोबर की ऊर्जा से किया जहाज का सफल परीक्षण

गोबर की लोकप्रियता न केवल विकासशील देशों बल्कि दुनिया भर में बढ़ रही है। इसका सबसे बड़ा उदहारण जापान है, जहां गोबर की ऊर्जा से पानी पर चलने वाले जहाज का सफल परीक्षण किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त जापान गाय के गोबर का प्रयोग रॉकेट के ईंधन के तौर पर करने की भी तैयारी कर रहा है। जापान की स्पेस इंडस्ट्री ने एक प्रोटोटाइप रॉकेट इंजन का परीक्षण किया है, जिसका ईंधन गाय के गोबर से तैयार किया गया है। इस रॉकेट को बायोमीथेन से उड़ाया गया है, जो गोबर से निकलने वाली एक गैस है। इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज के मुख्य कार्यकारी ताकाहिरो इनागावा ने बताया कि इसमें प्रयुक्त बायोमीथेन पूरी तरह से दो स्थानीय डेयरी फार्मों में गाय के गोबर से उत्पन्न की गई थी। इनागावा ने कहा, हम ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि यह पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि इसलिए कर रहे हैं कि इसे स्थानीय स्तर पर उत्पादित किया जा सकता है। यह बहुत किफायती है और अच्छे प्रदर्शन व शुद्धता वाला ईंधन है। हम ऐसा करने वाले पहले निजी व्यवसायी हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह मान लेना अतिश्योक्ति होगी कि इसे पूरी दुनिया में दोहराया जाएगा। मैं कह सकता हूं कि आने वाले समय में इसका अधिक प्रयोग देखा जा सकता है। गोबर से रॉकेट उड़ाने वाली इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज और एयर वॉटर फर्म का मानना है कि आने वाले समय में इस ईंधन का प्रयोग करके अंतरिक्ष में सैटेलाइट भी स्थापित किए जा सकेंगे। एयर वाटर के एक इंजीनियर टोमोहिरो निशिकावा ने कहा कि जापान के पास संसाधनों की कमी है, ऐसे में उसे घरेलू स्तर पर उत्पादित, कार्बन-न्यूट्रल ऊर्जा को सुरक्षित करना चाहिए। इस क्षेत्र की गायों से मिलने वाले गोबर में बहुत संभावनाएं हैं।

ब्रिटेन के किसानों ने गोबर से बनायीं बैटरियां

ब्रिटिश किसानों के एक समूह के अनुसार, उन्होंने गाय के गोबर से ऐसा पाउडर तैयार किया गया है, जिससे बैटरियां बनाई गई हैं। गाय के एक किलोग्राम गोबर से ब्रिटेन के किसानों ने इतनी बिजली तैयार कर ली है कि उससे 5 घंटे तक वैक्यूम क्लीनर चलाया जा सकता है। ब्रिटेन के आर्ला डेयरी ने इन बैटरी को काउ बैटरी का नाम दिया है। 

भारत में भी गोबर से बिजली बनाने का काम शुरू

ग्लोबल वार्मिंग से दुनिया में बहुत चिंता है। हर जगह हरित ऊर्जा की बात हो रही है, इसलिए सरकार ने गोबर से बिजली बनाने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ में गाय के गोबर से बिजली बनाए जाने की परियोजना अक्टूबर 2023 में शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत ग्रामीणों से गोबर खरीद कर बिजली बनाई जा रही है। छत्तीसगढ़ के हर गांव में गोबर से बिजली पैदा करने के लिए मवेशी रखने वाले स्थान पर एक यूनिट भी लगाई जा रही है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, आदित्यपुर (झारखंड) की सहायक प्रोफेसर दुलारी हेंब्रम के अनुसार, गाय के गोबर और मूत्र से उत्पादित वैकल्पिक ऊर्जा (मीथेन) का प्रयोग अभी चार पहिया वाहन चलाने व बल्ब जलाने के लिए हो रहा है, लेकिन इससे निकलने वाली हाइड्रोजन गैस को उच्च कोटि के ईंधन के रूप में विकसित किया जा सकता है। इससे देश में बिजली की समस्या भी दूर हो सकती है। यही नहीं, इसे रॉकेट में प्रयुक्त होने वाले ईंधन के सस्ते विकल्प के रूप में भी विकसित किया जा सकता है।

गोबर ही भविष्य की ऊर्जा

जिस तेजी के साथ दुनियाभर में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है, उसकी पूर्ति गाय का गोबर कर सकता है। बायोगैस एक प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत है, जो पर्यावरण के लिए उपयुक्त है।

जैविक खेती के लिए वरदान बना गाय का गोबर

बीते चार-पांच दशकों में देश में खेती के लिए खाद के रूप में रासायनिक खादों को चलन काफी बढ़ा है। इससे फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन कई तरह के दुष्प्रभाव भी अब सामने आ रहे हैं। सरकारें भी ऑर्गेनिक फार्मिंग पर जोर देने लगी हैं। रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों को देखते हुए कई किसान अब वापस जैविक खाद पर लौट रहे हैं। इससे खेतों की उर्वरता बढ़ रही है। खेतों के अलावा जैविक खाद बनाने और फिर इसे बेचने का बिजनेस भी एक बड़े बाजार के रूप में उभरा है। गाय का गोबर पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह सभी प्रकार की फसलों और पौधों के लिए सही प्रकार का उर्वरक बनाता है। साथ ही यह जैविक रूप से खेतों में पोषक तत्वों का संतुलन वापस लाता है। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि गोबर भविष्य में ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत सिद्ध होने वाला है।

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