राजस्थान विधानसभा की वार्षिक डायरी की शुरुआत इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से

राजस्थान विधानसभा की वार्षिक डायरी की शुरुआत इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से

राजस्थान विधानसभा की वार्षिक डायरी की शुरुआत इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सेराजस्थान विधानसभा की वार्षिक डायरी की शुरुआत इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से

हिन्दू समाज में भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अनुसार जन्म से लेकर मृत्यु तक एक व्यक्ति के जीवन पर तिथियों और ग्रहों का विशेष प्रभाव रहता है। भारतीय कालगणना विश्व में आज भी सर्वाधिक प्रमाणिक है। इसके आधार पर ही पंचांग बनता है। लगभग 200 वर्ष पहले तक सम्पूर्ण भारतीय समाज पंचांग के अनुसार ही चलता था। राज काज भी पंचांग के अनुसार होता था। बाद में अंग्रेजी कैलेंडर आने से कुछ चीजें बदल गईं। राज काज अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार होने लगा। लेकिन हिन्दू समाज अपने अनुष्ठान, संस्कार, उत्सव, त्यौहार आज भी पंचांग के अनुसार ही मनाता है।

लेकिन अब राजस्थान सरकार ने पुरानी संस्कृति को पुनर्जीवित करते हुए विधानसभा की वार्षिक डायरी (दयानंदिनी 2024-25) के नवीन संस्करण की शुरुआत भारतीय नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (9 अप्रैल) से की है। इसमें हिन्दी तिथियों के साथ साथ अंग्रेजी की तारीखें भी दी गई हैं। भारतीय पंचांग के अनुसार यह वर्ष का प्रथम दिन है। अब तक के सभी कार्यकालों में राजस्थान की विधानसभा के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब वार्षिक डायरी की शुरुआत भारतीय कैलेंडर के अनुसार हुई है।

 

डायरी में तिथि अनुसार महापुरुषों की जयंतियां अंकित हैं। महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, छत्रपति शिवाजी, महर्षि दयानंद सरस्वती, मीरा बाई, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, महावीर स्वामी आदि महापुरुषों के रंगीन चित्र भी दिए गए हैं। प्रति वर्ष के अनुसार इस वर्ष भी डायरी में सभी विधानसभा के सभी 200 सदस्यों के नाम, पते, फोन नंबर आदि प्रकाशित किए गए हैं। प्रदेश के प्रमुख अधिकारियों के नाम, पद और फोन नंबर भी दिए गए हैं। डायरी में विधानसभा की गतिविधियों को भी उल्लेखित किया गया है।

इस अवसर पर विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि सनातन संस्कृति का कैलेंडर और तिथियां ग्रहों के आधार पर निश्चित होती हैं। हर मनुष्य के जीवन में ग्रह आधारित तिथियों का विशेष महत्व होता है। जीवन में अनेक बाधाओं का समाधान भारतीय कैलेंडर के ग्रह और तिथियों के अनुरूप ही होता है। उन्होंने कहा कि विधानसभा का संचालन भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। ऐसे में भारतीय कैलेंडर पर आधारित वार्षिक डायरी का विशेष महत्व रहेगा। देवनानी ने कहा कि पूर्व में सनातन संस्कृति के अनुरूप ही नए वर्ष की शुरुआत होती थी, लेकिन अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के अनुरूप 1 जनवरी से नया वर्ष मान लिया। भारत की सनातन संस्कृति के महत्व को देखते हुए मैंने इस बार विधानसभा की वार्षिक डायरी 9 अप्रैल से शुरू की है। विधानसभा की कार्यप्रणाली को सभी से अवगत कराने के लिए विधानसभा स्थित संग्रहालय सभी के लिए खोल दिया गया है।

ज्ञात हों भारतीय कैलेंडर के अनुसार यह वर्ष विक्रम संवत 2081 है। इस वर्ष का समापन चैत्र शुक्ल द्वितीया (31 मार्च, 2025) को होगा।

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