भारत को समझने के लिए महाभारत पढ़ने की आवश्यकता है- चितरंजन त्रिपाठी
भारत को समझने के लिए महाभारत पढ़ने की आवश्यकता है- चितरंजन त्रिपाठी
30 सितंबर, नई दिल्ली। रविवार को संस्कार भारती, दिल्ली प्रान्त द्वारा कला एवं साहित्य को बढ़ावा देने के क्रम में कला संकुल में मासिक नाट्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। ‘आधुनिक रंग-लेखक में भारतीय दृष्टि एवं चुनौतियाँ’ विषय पर बात करने लिए बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी और प्रसिद्ध नाट्य समीक्षक अनिल गोयल उपस्थित रहे।
चितरंजन त्रिपाठी ने भारतीय संस्थाओं पर बात करते हुए रंगमंच के क्षेत्र में लेखन सामग्री की भारी कमी होने की बात कही। समाज को गलत तरीके से प्रस्तुत करने वाले नाट्य लेखनों को उत्तर देने के लिए सही दृष्टिकोण पर काम नहीं किया गया। उन्होंने आज के लेखकों से भारत को समझने के लिए महाभारत को पढ़ने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे आप कला और अपने इतिहास को बेहतर समझ पाएंगे। आज का युवा नाटक देखना चाहता है, उसमें रुचि भी रखता है, लेकिन उसके लिए लेखन भारतीय दिशा में रखना बहुत आवश्यक है।
हम जब लोक को समझ जाएंगे तो नाट्य को बेहतर करना भी सीख जाएंगे। लोक नाट्य लोगों के बीच तैयार होता है, लोगों के लिए तैयार होता है, लोक नाट्य उन्हीं के बीच में चल रहे व्यवहार को ध्यान में रखकर लिखे जाते हैं। इसे केवल लोक ही जीवित रख सकता है।
इसी विषय पर बात करते हुए वरिष्ठ नाट्य समीक्षक अनिल गोयल ने कहा कि 90 के दशक में कई नाट्यकारों ने भारतीय इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का काम किया। उन्होंने युवा रंग लेखन में कमी को आज की सबसे बड़ी चुनौती बताया। नाट्य जगत को हमेशा अच्छे लेखकों की कमी अनुभव हुई है। फिल्म क्षेत्र को बेहतर लेखक मिले, लेकिन नाट्य जगत में इसकी कमी देखी गई। 1962 और 71 की लड़ाई पर फिल्मों का लेखन हुआ लेकिन किसी ने इस पर प्रभावी नाटक नहीं तैयार किया। पॉलिटिकली करेक्ट बनने के प्रयास में हमने सदैव कड़े विषयों को नाटक क्षेत्र से दूर रखा है।
संगोष्ठी के उद्घाटन में संस्कार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले, चितरंजन त्रिपाठी, अनिल गोयल, कुलदीप शर्मा उपस्थित रहे थे।