जनजातीय क्षेत्रों की भूमि वक्फ के दायरे से बाहर, वनवासी कल्याण आश्रम ने जताया आभार

जनजातीय क्षेत्रों की भूमि वक्फ के दायरे से बाहर, वनवासी कल्याण आश्रम ने जताया आभार

जनजातीय क्षेत्रों की भूमि वक्फ के दायरे से बाहर, वनवासी कल्याण आश्रम ने जताया आभारजनजातीय क्षेत्रों की भूमि वक्फ के दायरे से बाहर, वनवासी कल्याण आश्रम ने जताया आभार

नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025। वक्फ संशोधन बिल पर दोनों सदनों की मुहर लग गई। इस बिल में देशभर के जनजातीय क्षेत्रों की भूमि को वक्फ के दायरे से बाहर कर दिया गया है। वनवासी कल्याण आश्रम और अन्य संगठनों के सतत प्रयासों के बाद, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में इसकी घोषणा की। लोकसभा में इस विधेयक के पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े, वहीं राज्यसभा में बिल का 128 सांसदों ने समर्थन किया और विपक्ष में 95 वोट पड़े। अब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा, वहां से स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा।

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम इस संशोधन के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा था। आश्रम ने देशभर के विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों से प्रमाण जुटाकर यह दिखा दिया कि संविधान की पाँचवीं और छठी अनुसूचियों के अंतर्गत संरक्षित जनजाति समाज की भूमि को भी वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किया जा रहा था, जो संवैधानिक और कानूनी रूप से अनुचित था। इस विषय को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष रखा गया, जिसके बाद जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से सिफारिश की कि वक्फ अधिनियम में संशोधन किया जाए ताकि जनजातीय समुदायों की भूमि को इस सीमा से बाहर रखा जा सके।

बिल पारित होने के बाद देशभर के जनजातीय समुदायों में हर्ष और संतोष का वातावरण है। वहीं वनवासी कल्याण आश्रम ने सरकार का आभार व्यक्त किया है। लंबे समय से जनजातीय क्षेत्रों में वक्फ संपत्ति के दावे और कानूनी विवादों के कारण अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो रही थीं। कई क्षेत्रों में जनजातीय समाज को अपनी ही पारंपरिक भूमि पर अधिकार प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।

वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यदेव सिंह ने इस विधेयक को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह निर्णय देश के जनजातीय समुदायों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा में एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह कदम संविधान के अनुरूप और वनवासी समाज की अस्मिता की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस विधेयक के पारित होने के बाद अब जनजातीय क्षेत्रों में वक्फ बोर्ड के दावों को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू होगी। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी वनवासी क्षेत्र की भूमि को वक्फ के अंतर्गत दर्ज न किया जाए और यदि ऐसा हुआ है तो उसे निरस्त किया जाए।

इस निर्णय को लेकर देशभर में विभिन्न संगठनों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। यह संशोधन न केवल जनजातीय समाज के अधिकारों की रक्षा करेगा बल्कि भारत में भूमि से जुड़े विवादों को भी कम करेगा।

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