उत्तर प्रदेश : लव जिहाद में फंसाया तो होगी उम्र कैद, सरकार लायी नया विधेयक
उत्तर प्रदेश : लव जिहाद में फंसाया तो होगी उम्र कैद, सरकार लायी नया विधेयक
उत्तर प्रदेश सरकार ने लव जिहाद पर कठोर कदम उठाते हुए विधानसभा में एक विधेयक प्रस्तुत किया है, जिसमें दोषियों के लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इस विधेयक का उद्देश्य जबरन रिलीजियस कन्वर्जन और धोखे से विवाह करने की घटनाओं को रोकना है। इस कानून में कई अपराधों की सजा बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई है।
उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक-2024 विधानसभा में मंगलवार को प्रस्तुत किया गया। यह पुराने उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 का ही संशोधन है।
विधेयक के मुख्य बिंदु
• इस विधेयक के अनुसार, जबरन या धोखे से रिलीजियस कन्वर्जन करवा कर शादी करने वाले व्यक्ति को उम्रकैद की सजा दी जाएगी।
• पीड़ित या उसके परिवार के सदस्य इस मामले में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। शिकायत के बाद पुलिस द्वारा मामले की गहन जांच की जाएगी।
• यदि किसी व्यक्ति को मतांतरण कर शादी करनी है, तो उसे जिला मजिस्ट्रेट को 60 दिन पहले सूचना देनी होगी।
• दोषी पाए जाने पर न केवल उम्रकैद की सजा होगी, बल्कि जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया है।
• लव जिहाद के मामलों की सुनवाई सत्र न्यायालय से नीचे की कोई अदालत नहीं करेगी। इसमें सभी अपराधों को गैर-जमानती बनाया गया है।
• नाबालिग, दिव्यांग, मानसिक रूप से दुर्बल, महिला, अनुसूचित जाति व जनजाति के व्यक्ति का मतांतरण करवाने पर न्यूनतम पांच वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक के कारावास तथा न्यूनतम एक लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।
• यदि कन्वर्जन के लिए किसी नाबालिग की तस्करी की जाती है, तो ऐसा करने वाले को आजीवन कारावास व जुर्माने की सजा है।
• इसके अलावा रिलीजियस कन्वर्जन के लिए फंडिंग को भी इस कानून के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसमें विदेशी संस्थाओं या किसी भी अवैध संस्था से हुई फंडिंग भी शामिल है। विदेशी फंड लेने पर न्यूनतम सात वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक की सजा हो सकती है। साथ ही 10 लाख रुपये जुर्माना हो सकता है।
2020 में भी बनाया गया था कानून
अवैध कन्वर्जन के मामले बढ़ने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा कानून बनाने का निर्देश दिया था। इसके अनुपालन में प्रदेश में नवम्बर 2020 में उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू किया गया था। इसके उपरांत विधानमंडल ने उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को स्वीकृति दी थी, जिसमें अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा तथा 50 हजार रुपये तक जुर्माना निर्धारित किया गया था। अब कानून का दायरा और सजा दोनों बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। सभी अपराधों को गैर जमानती बनाते हुए जमानत के आवेदन पर पहले लोक अभियोजक का पक्ष सुने जाने की व्यवस्था भी की गई है। इनका विचारण सेशन कोर्ट से नीचे नहीं होगा।