अब वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज पर वक्फ बोर्ड का दावा: 115 वर्ष पुरानी विरासत पर मंडराया संकट
अब वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज पर वक्फ बोर्ड का दावा: 115 वर्ष पुरानी विरासत पर मंडराया संकट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित 115 वर्ष पुराना उदय प्रताप कॉलेज (यूपी कॉलेज) वक्फ बोर्ड के दावे के कारण सुर्खियों में है। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस कॉलेज की भूमि को अपनी संपत्ति बताते हुए 2018 में कॉलेज प्रशासन को नोटिस जारी किया था। अब, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाए जाने की घोषणा के बाद यह प्रकरण और अधिक बढ़ गया है।
लखनऊ स्थित यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 2018 में वसीम अहमद नामक व्यक्ति के आवेदन के आधार पर कॉलेज की जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित करने का दावा किया। वसीम अहमद, जो भोजूवीर क्षेत्र का निवासी है, ने लखनऊ वक्फ बोर्ड कार्यालय में एक आवेदन देकर कहा कि कॉलेज परिसर में उपस्थित मस्जिद और मजार वक्फ संपत्ति हैं। इस आवेदन के आधार पर वक्फ बोर्ड ने कॉलेज प्रशासन को नोटिस भेजकर 15 दिनों के अंदर उत्तर मांगा।
कॉलेज परिसर में मस्जिद लगभग 100 मीटर की दूरी पर स्थित है, जहां मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ने आते हैं। वसीम अहमद के दावे और वक्फ बोर्ड के नोटिस ने कॉलेज के शिक्षकों, छात्रों और स्थानीय लोगों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया। मुसलमानों का कहना है, मस्जिद तो कॉलेज से भी पुरानी है।
कॉलेज प्रशासन ने वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह संपत्ति इंडाउमेंट ट्रस्ट के अंतर्गत है, जिसे बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस मस्जिद के आधार पर इस भूमि को वक्फ संपत्ति बताया जा रहा है, वह पूरी तरह अवैध है।
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह ने बताया कि परिसर में अवैध निर्माण के विरुद्ध पहले भी कदम उठाए गए थे। उन्होंने कहा, “कुछ लोग मस्जिद में रात के समय निर्माण सामग्री लाकर जबरन निर्माण कार्य कर रहे थे, जिसका सुरक्षाकर्मियों ने विरोध किया। इसकी सूचना पुलिस और प्रशासन को दी गई और अवैध निर्माण को रोका गया। इसके अतिरिक्त, मस्जिद में अवैध रूप से कॉलेज की बिजली लाइन का उपयोग किया जा रहा था, जिसे कटवा दिया गया।”
डॉ. सिंह ने आगे बताया कि वक्फ बोर्ड ने 2018 में नोटिस जारी किया था, जिसका उत्तर दिया गया था। इसके बाद बोर्ड की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
कॉलेज का इतिहास और महत्व
उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना 1909 में बहराइच के राजा उदय प्रताप सिंह जूदेव ने की थी। लगभग 500 एकड़ में फैले इस कॉलेज में डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज, पब्लिक स्कूल और अन्य शिक्षण संस्थान संचालित हैं, जहां 20,000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं। यह कॉलेज हेवेट क्षत्रिय हाई स्कूल के रूप में शुरू हुआ था, जो बाद में स्वायत्त महाविद्यालय में बदल गया। राजा जूदेव ने 1909 में ही ‘उदय प्रताप कॉलेज एंड हेवेट क्षत्रिय स्कूल इंडाउमेंट ट्रस्ट का गठन किया था, जिसके अंतर्गत यह कॉलेज संचालित है।
हाल ही में कॉलेज के स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे विश्वविद्यालय का दर्जा देने की बात कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह संपत्ति किसी भी स्थिति में वक्फ बोर्ड के अधीन नहीं जाएगी। योगी की इस घोषणा के बाद यह मामला फिर चर्चा में आ गया है।
वक्फ बोर्ड के इस दावे ने न केवल प्रशासनिक स्तर पर प्रश्न खड़े किए हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर गुस्सा और तनाव भी बढ़ा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उदय प्रताप कॉलेज परिसर में मस्जिद और मज़ार का निर्माण समाजवादी पार्टी की पिछली सरकार की शह पर किया गया था।