वक्फ बोर्ड: एक निरंकुश भूमाफिया
वक्फ बोर्ड: एक निरंकुश भूमाफिया
जयपुर। केन्द्र सरकार की ओर से वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत करने के बाद से देशभर में वक्फ बोर्ड को लेकर काफी चर्चा हो रही है। सरकार का कहना है कि वह वक्फ संपत्तियों में अनियमितताओं को दूर करना चाहती है। संशोधन के बाद गैर-मुस्लिम व्यक्तियों और मुस्लिम महिलाओं को भी केंद्रीय और राज्य वक्फ निकायों में शामिल किया जा सकेगा। सरकार ने इस विधेयक में 40 संशोधनों को स्वीकृति दी है। विपक्ष के विरोध के बाद इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया है। दरअसल, वक्फ बोर्ड जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति घोषित कर देता है। अवैध मजारों, नई-नई मस्जिदों की देश में बाढ़ आई हुई है। इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा अपने आप हो जाता है।
वक्फ अधिनियम-1995 से जुड़ा है वर्तमान विधेयक
देश में पहली बार 1954 में वक्फ एक्ट बना। इसी के अंतर्गत वक्फ बोर्ड का भी जन्म हुआ। इस कानून का उद्देश्य वक्फ से जुड़े कामकाज को सरल बनाना था। 1955 में इसमें पहला संशोधन किया गया। 1995 में एक नया वक्फ बोर्ड अधिनियम बना। इसके अंतर्गत हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई। बाद में वर्ष 2013 में इसमें संशोधन किया गया। जिसमें वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार दे दिए गए। सरकार का कहना है कि प्रस्तावित संशोधन में संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है। इससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा।
भारतीय सेना और रेलवे के बाद सबसे अधिक जमीन वक्फ बोर्ड के पास
वक्फ बोर्ड ने भारत में इतनी जमीन पर कब्जा कर लिया है कि स्वयं को छोटा देश घोषित कर सकता है। यह जमीन पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल से अधिक है। भारतीय सेना के पास लगभग 18 लाख एकड़ और रेलवे के पास लगभग 12 लाख एकड़ जमीन है। देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल 8 लाख एकड़ से अधिक जमीन है। यानि जमीन के मामले में वक्फ बोर्ड सेना और रेलवे के बाद तीसरे नंबर पर है। 2009 में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां 4 लाख एकड़ जमीन पर फैली थीं। 13 वर्षों में वक्फ बोर्ड की संपत्ति दोगुनी हो गई है। वक्फ बोर्ड की अनुमानित संपत्ति की कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। देश में उत्तर प्रदेश और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड समेत कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं।
जानिए, क्या कहता है 1995 में बना वक्फ एक्ट
पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के समय में बना 1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है, तो वह उस जमीन पर अपना दावा कर सकता है, वह जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं है यह सिद्ध करना सामने वाले का काम है। वक्फ बोर्ड ने यदि उसे अपना बता दिया तो आप उसके विरुद्ध कोर्ट में भी नहीं जा सकते। आपको वक्फ बोर्ड में ही अपील करनी होगी। वक्फ बोर्ड का निर्णय आपके विरूद्ध आया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते। तब आप वक्फ ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं, जिसके सारे सदस्य मुस्लिम ही होते हैं। वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि ट्रिब्यूनल के निर्णय को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है।
वक्फ बोर्ड द्वारा हिन्दू संपत्तियों पर किए गए प्रमुख कब्जे
– तेलंगाना वक्फ बोर्ड ने 5 स्टार मैरियट होटल को अपनी संपत्ति बताने वाली एक याचिका तेलंगाना हाईकोर्ट में दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने 27 अप्रैल, 2024 को खारिज कर दिया। वर्ष 1964 में अब्दुल गफूर नाम के एक व्यक्ति ने तब वायसराय नाम से चर्चित इस होटल पर अपना हक जताते हुए मुकदमा कर दिया था। लगभग 50 वर्षों तक वक्फ बोर्ड ने यह मामला कानूनी पेचीदगियों में उलझाए रखा। आखिरकार अंतिम निर्णय होटल मैरियट के पक्ष में आया।
– उत्तरप्रदेश के कानपुर में 20 जुलाई, 2024 को मुक्ता देवी मंदिर की भूमि को कब्रिस्तान के पक्षकारों ने मनमाने तरीके से वक्फ संपत्ति लिखा सांकेतिक बोर्ड लगा दिया। 21 जुलाई, 2024 को एसडीएम व सीओ राजस्व टीम के साथ पहुंची और जांच के बाद बोर्ड हटवा दिया।
– उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में प्रसिद्ध मीरा बाबा मठ पर वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों ने जून 2024 में फर्जी दस्तावेजों के जरिये अपना दावा ठोका। इसके बाद अखंड हिन्दू सेना ने हिन्दू परिवारों के साथ मिलकर कलक्ट्रेट का घेराव कर कब्जा मुक्त कराने की मांग की। हिन्दू संगठन के लोगों ने तहसील से रिपोर्ट निकालकर प्रशासन को सौंपा, जिसमें लिखा था कि खेड़ा गांव में वक्फ बोर्ड की कोई जमीन नहीं है। जबकि वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी यूनुस अली ने वक्फ की जमीन बताते हुए कब्जा करने का प्रयास किया था।
– वर्ष 2022 में तमिलनाडु के वक्फ बोर्ड ने एक हिन्दू बहुल गांव की लगभग 90 प्रतिशत जमीन को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया, जिसमें 1500 वर्ष पुराना एक चोल मंदिर भी है। दुनिया में तब इस्लाम का प्रादुर्भाव भी नहीं हुआ था।
– बेंगलुरू का ईदगाह मैदान भी विवादों में है। इस पर 1950 से वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा रहा है।
– सूरत नगर निगम भवन को भी वक्फ संपत्ति बताया जा रहा है। तर्क यह है कि इसे मुगलकाल में सराय के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है।
– कोलकाता के टॉलीगंज क्लब, रॉयल कलकत्ता गोल्फ क्लब और बेंगलुरु में आईटीसी विंडसर होटल के भी वक्फ भूमि पर होने का दावा है।
– महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में स्थित वडानागे के ग्रामीणों ने महादेव मंदिर से सटी भूमि हड़पने के विरोध में 24 मई, 2024 को बंद का आयोजन किया। वक्फ बोर्ड पर महादेव मंदिर और क्षेत्र की दुकानों से सटी जमीन हड़पने का आरोप है।
– मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भी यही विवाद है।
– राजस्थान के डूंगरपुर में वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधि ने पातेला क्षेत्र में 11.06 बीघा पर जमीन अधिकार जताया है। बोर्ड के प्रतिनिधि मोहम्मद सादिक ने खसरा नंबर 1308 पर अपना अधिकार जताते हुए बताया है कि इस जमीन पर कब्रिस्तान है और नगर परिषद इस पर कब्जा जमाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि यह भूमि कब्रिस्तान की भूमि है एवं राजस्थान वक्फ बोर्ड में दर्ज है,, जिसका पुराना खसरा नं. 1274 है एवं वर्तमान में 1307 रकबा 11.06 है जो कि रियासत से लेकर प्रथम पैमाइश द्वितीय पैमाइश तक राजस्व रिकॉर्ड में खसरा नं. 1274 रूप में कब्रिस्तान दर्ज है। वर्तमान में भी उक्त भूमि का अधिकतम भू भाग कब्रिस्तान के रूम में उपयोग हो रहा है। यह भूमि वक्फ के नाम होकर राजस्थान राजपत्र (गजट) में दर्ज है। मोहम्मद सादिक ने बताया कि रिकॉर्ड में त्रुटिवश नगर परिषद एवं वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज के बीच संपदा कोर्ट जयपुर में मुकदमा दायर हुआ था। इस मामले में नगर परिषद को वहां से हटने और हर्जाना भुगतान के आदेश हुए थे। इसी आशय को लेकर उक्त भूमि का मामला हाइकोर्ट जोधपुर में विचाराधीन है।
विधेयक को लेकर क्या कहते हैं प्रमुख मुस्लिम नेता और मौलवी व इमाम?
– ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना यासूब अब्बास का कहना है कि वक्फ बोर्ड बहुत भ्रष्ट है। वक्फ की जमीनों पर माफिया पूरी तरह से कब्जा कर चुका है। वे वक्फ की जमीन बेचने के लिए वक्फ नंबर मिटा देते हैं और फर्जी दस्तावेज बनाते हैं। इससे वक्फ को भारी नुकसान हो रहा है।
– ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशनन के चीफ इमाम, इमाम उमर अहमद इलियास ने कहा कि संशोधन उस प्रक्रिया का हिस्सा है जो समय-समय पर होती रहती है। वक्फ एक्ट में पहले भी संशोधन किए गए हैं। इस बात का ध्यान रखा जाए कि वक्फ की गरिमा को ठेस न पहुंचे। संशोधन करना समय की मांग है, इस पर राजनीति नहीं चर्चा होनी चाहिए।
– ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शाहबुद्दीन राजवी का कहना है कि केन्द्र सरकार वक्फ बोर्ड की मनमानी को रोकने के लिए जो बिल लेकर आई है, हम उसका स्वागत करते हैं।
– इस्लामिक स्कॉलर वजाहत कासमी ने कहा कि वक्फ बोर्ड की संपत्ति को नेशनल संपत्ति घोषित किया जाए।
– अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशी परिषद – एआईएसएससी के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने केन्द्र सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन के निर्णय का स्वागत किया है। चिश्ती ने आरोप लगाते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड अपने मौजूदा स्वरूप में तानाशाही तरीके से काम कर रहे हैं, जिसमें बिल्कुल भी पारदर्शिता नहीं है।
– मध्य प्रदेश के मुस्लिम वक्फ बोर्ड चेयरमैन सनवर पटेल ने वक्फ बोर्ड के संशोधन का स्वागत करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड बिल राष्ट्र के, जनता के, वक्फ की संस्था के हित में है। प्रदेश में वक्फ बोर्ड की 99 प्रतिशत जमीन पर गुंडे, बदमाशों और असामाजिक तत्वों का कब्जा है।
– भाजपा नेता नाजिया इलाही खान ने कहा कि वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज कल्याण समूह के रूप में काम नहीं कर रहा है। यह 1931 से 2024 तक भू-माफिया समूह को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।