तमिलनाडु के तिरुचेंदुरई गांव के बाद अब पटना के गोविंदपुर गांव पर वक्फ बोर्ड का दावा, एक महीने में खाली करने का नोटिस दिया
तमिलनाडु के तिरुचेंदुरई गांव के बाद अब पटना के गोविंदपुर गांव पर वक्फ बोर्ड का दावा, एक महीने में खाली करने का नोटिस दिया
तमिलनाडु के तिरुचिपल्ली स्थित तिरुचेंदुरई गांव पर दावे के बाद अब वक्फ बोर्ड ने पटना के फतुहा स्थित गांव गोविंदपुर पर अपना दावा जताया है। वक्फ बोर्ड का कहना है कि यह पूरा गांव वक्फ प्रॉपर्टी है, यहॉं कभी कब्रिस्तान था। यह गांव पटना सचिवालय से 35 किमी की दूरी पर स्थित है। गांव में 95 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दू है। अपने दावे को मजबूती देने के लिए वक्फ ने आनन-फानन में एक महीने के अंदर गांव को खाली करने का नोटिस भी जारी कर दिया। इस नोटिस ने ग्रामीणों के बीच भय और आक्रोश का वातावरण पैदा कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह दावा पूरी तरह से गलत है। वे किसी भी हालत में अपनी संपत्ति नहीं छोड़ेंगे।
मामला उच्च न्यायालय में पहुंचने पर, जब न्यायालय ने वक्फ बोर्ड से इस दावे के समर्थन में दस्तावेज मांगे, तो बोर्ड ने यह कह दिया कि उसके पास कोई वैध दस्तावेज़ नहीं है। इस पर न्यायालय ने कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि मामले की अगली सुनवाई की दिनांक जल्द ही निर्धारित की जाएगी। कई सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने वक्फ बोर्ड के इस कार्य की कड़ी आलोचना की है।
7 घरों में जारी किया नोटिस
जिन लोगों को बोर्ड ने नोटिस जारी किया है, उनमें रामलाल, राज किशोर, संदीप कुमार के नाम शामिल हैं। इनका कहना है कि यह जगह और संपत्ति हमारी पुश्तैनी है। यह 1908 के सर्वे के समय से है। कई वर्षों से हम लोग यहां रह रहे हैं। लेकिन लगातार वक्फ बोर्ड से नोटिस आ रहा है कि 30 दिनों के अंदर यहॉं से चले जाना है। गांव वालों के पास भूमि से संबंधित दस्तावेज भी हैं। फिर भी वक्फ बोर्ड का कहना है कि यह भूमि 1959 से उसके पास है। इसलिए उन्हें खाली करनी होगी।
वहीं गांववासियों का कहना है कि ‘वार्ड नंबर 6 के पूर्व वार्ड सदस्य मो. हासिम उर्फ बबलू 2023 नगर परिषद के चुनाव में जितेंद्र कुमार उर्फ भोंटू साव से हार गए। इसी खुन्नस को निकालने के लिए उन्होंने वक्फ बोर्ड की ओर से नोटिस दिलवाया है।’
जानकारी के अनुसार गांव के लोगों ने वक्फ बोर्ड से कहा है कि आपकी भूमि कैसे है साक्ष्य दिखाइए। तब बोर्ड द्वारा उर्दू में लिखा एक कागज का टुकड़ा गांव के लोगों को पकड़ा दिया गया, जिसमें कुछ भी स्पष्ट नहीं था। गांववासियों ने हिन्दी में ट्रांसलेट करने को कहा तो बोर्ड ने कहा कि हम नहीं दे सकते। इसके बाद गांववासी पटना हाई कोर्ट गए। जहां वक्फ बोर्ड एक भी साक्ष्य नहीं दे पाया कि भूमि वक्फ बोर्ड की है।
सबसे अधिक भूमि वफ्फ बोर्ड के पास
देश में सेना और रेलवे के बाद सबसे अधिक भूमि का मालिक वक्फ बोर्ड है। वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा भूमि मालिक है। अपने असीमित अधिकारों का लाभ उठाते हुए वक्फ बोर्ड ने केवल 13 वर्षों में अपने कब्जे की भूमि को दोगुने से भी अधिक कर लिया है। वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के अनुसार, देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं, जो 8 लाख एकड़ से अधिक भूमि पर फैली हैं।
उल्लेखनीय है, इससे पहले वक्फ बोर्ड तमिलनाडु के तिरुचेंदुरई गांव को भी अपनी संपत्ति बता चुका है। जिसके चलते ग्रामीण अपनी जमीन बेच तक नहीं पा रहे हैं। इतना ही नहीं, वह गांव में स्थित डेढ़ हजार वर्ष पुराने मंदिर को भी अपना बता रहा है। यह मंदिर चोल राजाओं ने बनवाया था, जो इस्लाम के जन्म से भी पुराना है।