देवरानी ने जेठानी को पानी गंदा करने का उलाहना दिया, तो जेठानी ने पिता से कहकर बनवा लिया अलग तालाब

देवरानी ने जेठानी को पानी गंदा करने का उलाहना दिया, तो जेठानी ने पिता से कहकर बनवा लिया अलग तालाब

देवरानी ने जेठानी को पानी गंदा करने का उलाहना दिया, तो जेठानी ने पिता से कहकर बनवा लिया अलग तालाबदेवरानी ने जेठानी को पानी गंदा करने का उलाहना दिया, तो जेठानी ने पिता से कहकर बनवा लिया अलग तालाब

ठेठ मरुस्थलीय जैसलमेर जिला रेत के ऊंचे ऊंचे धोरों के साथ ही अपने ऐतिहासिक जल स्रोतों के लिए भी प्रसिद्ध है। जिले के अधिकांश जल स्रोत- कुलधरा का उधनसर, कुलधरिया आदि, खाभा, जाजिया की जसेरी व बगतावरी तलाई, काठोड़ी, धनवा, खींया का मोतासर, बासनपीर, लवां की जानकी नाड़ी, भणियाणा गांव का भीम तालाब, पीथोड़ाई, नेडिय़ा, भू गांव आदि आज भी जल संरक्षण के अद्भुत उदाहरण हैं। रोचक बात यह है कि इनमें से अनेक का निर्माण महिलाओं की जिद या उनको सम्मान देने के लिए किया गया था।

जैसे- लवां गांव की जानकी नाड़ी सैकड़ों वर्ष पुरानी है। इसका निर्माण पालीवाल समाज ने लवां गांव में बसने के समय करवाया था। कहा जाता है कि जावणकी नाम की महिला ने एक गड्ढे में पानी भरा देखा। उसने ग्रामीणों के सहयोग से बड़ा तालाब खुदवाया व शिलालेख लगवाया। पालीवाल समाज ने इस तालाब को नाड़ी का रूप दिया और उस महिला के सम्मान में इसका नाम जावणकी रखा, जो बाद में जानकी हो गया।

इसी प्रकार जसेरी तलाई की कहानी भी अत्यंत रोचक है। इस तलाई का निर्माण डेढा गांव के जसराज पालीवाल ने बेटी के ससुराल वालों का उलाहना सुनने के बाद करवाया था। कहते हैं, जसराज की बेटी का विवाह जाजिया गांव में हुआ था, जो डेढा गांव से लगभग तीन किमी दूर है। एक दिन किसी बात पर बेटी के ससुराल वालों ने पानी को लेकर जसराज को उलाहना दिया, तो उन्होंने जाजिया में विशाल तलाई का ही निर्माण करवा दिया। यह तलाई जैसलमेर से लगभग 22 किमी दूर कुलधरा से आगे खाभा जाने वाली मुख्य सड़क के दाहिनी ओर स्थित है, जो दूर से देखने पर समुद्र की भांति दिखाई देती है। जसेरी तलाई लगभग 1200 बीघा आगोर में फैली होकर लगभग 15 बीघा में विस्तारित है। इसका पनघट आज भी जाजिया व आगोर डेढा की तरफ है।

ऐसी ही कहानी जाजिया के बगतेरी तालाब की है। इसका निर्माण टोही नाम की महिला ने देवरानी के उलाहने पर अपने पीहर कुलधरा जाकर पिता से जिद करके करवाया था। देवरानी ने जेठानी से कहा तुमने तालाब में पहले जाकर पानी भरा, इससे पानी हिलोरें खाकर गंदा हो गया। जेठानी को यह बात खटक गई, उसने अपने पिता से कहकर अपना अलग तालाब बनवाया। 

जैसलमेर जिले के खींया गॉंव की पूर्व सरपंच सायरों देवी पालीवाल बताती हैं कि खींया गांव में एपा खड़ीन के पास डावरडी नाड़ी डावी नाम की महिला के नाम से बनाई गयी थी। खींया गांव का जानडा तालाब खींवराज जानड पालीवाल ने बनवाया, जो जानडा गांव का रहने वाले थे। भाप गांव का मेघराजसर तालाब मेघराज पालीवाल ने शुरू किया, लेकिन उनकी मृत्यु होने पर, उनकी दो पत्नियों ने उसे पूरा किया, जो आज भी पति के प्रति उनके स्नेह की याद दिलाता है।

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