श्री गुरुजी जो बोलते थे, वैसा ही उनका आचरण रहता था- सरसंघचालक
श्री गुरुजी जो बोलते थे, वैसा ही उनका आचरण रहता था- सरसंघचालक
नागपुर, 11 सितम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि पूज्य गुरुजी के सारे काम धर्म के विश्लेषण से चलते थे, संघ का काम भी उसी प्रकार से चलता है। अपना समाज संगठित ही रहना चाहिये। आपसी सहयोग से हमें समर्थ होना पड़ेगा और समाज को भी समर्थ बनाना पड़ेगा। हम जो कुछ करते हैं, वह धर्म है। उसे निष्ठा और प्रामाणिकता से स्वीकारना होगा।
सरसंघचालक ने धरमपेठ महिला स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी के शिवाजीनगर स्थित सीताराम सभागृह में संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोळवलकर (श्री गुरुजी) के तैलचित्र का अनावरण किया। इस दौरान मंच पर धरमपेठ महिला स्टेट को-ऑप सोसायटी की अध्यक्ष नीलिमा बावणे एवं उपाध्यक्ष सारिका पेंडसे उपस्थित थीं।
कार्यक्रम में श्री गुरुजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि गुरुजी जो बोलते थे, वैसा ही उनका आचरण रहता था और जो आचरण करते थे, उसे ही बोलते थे। उनकी आत्मीयता का स्पर्श केवल स्वयंसेवक ही नहीं, अपितु उनके संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्य़क्ति को होता था। प्रामाणिकता का भाव होने के कारण अनुशासन में रहते थे। वे जहां कहीं भी जाते थे, वहीं के अनुशासन का पालन कठोरतापूर्वक करते थे।
सरसंघचालक ने धरमपेठ महिला को-ऑप सोसायटी की प्रशंसा करते हुए कहा कि, मातृशक्ति के उत्थान का महान कार्य यानि यह संस्था है। महिलाओं के स्वभाव में ही मूलतः वात्सल्य भावना रहती है, इसलिए वे सभी कार्य आत्मीयता से करती हैं। उनको अवसर दिया गया तो, पुरुष जो काम करते हैं वे सभी कार्य महिलाएं कर सकती हैं।
नीलिमा बावने ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी तथा आभार प्रदर्शन अंजनी राऊत ने किया। राष्ट्रगीत से कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम के पश्चात सरसंघचालक डॉ. भागवत ने संस्था परिसर में स्थापित गणेश जी की आरती की।