सूखी नदियां हुईं लबालब, तो छलकी खुशियां
सूखी नदियां हुईं लबालब, तो छलकी खुशियां
राजस्थान में इंद्रदेव ने इस बार जमकर खुशियां बरसायीं। चौमासा समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन राजस्थान के बांध और नदियां लबालब हैं। वर्षों से सूखी पड़ी नदियों में पानी की आस छोड़ चुके किसान उनमें बह रहा पानी देखकर प्रफुल्लित हैं।
जयपुर की ढूंढ नदी में 26 वर्ष बाद पानी आया है। इस नदी के बहाव क्षेत्र में कई स्थानों पर अतिक्रमण हो गया था, जिसे प्रशासन तो नहीं हटा पाया, लेकिन बारिश ने इसे हटाने में कोई भेदभाव नहीं किया। वहीं फागी क्षेत्र में बहने वाली बांडी नदी में भी इस बार पानी की आवक हुई है। इसी प्रकार मरुगंगा के नाम से प्रसिद्ध लूणी नदी में पानी आने से खुशी की लहर छा गई। अजमेर और जयपुर से होकर बहने वाली लूणी नदी जब बाड़मेर पहुंची, तो ग्रामीणों ने वैदिक मंत्रों से स्वागत किया। वहीं अरावली पर्वतमाला के पहाड़ों से बारिश का पानी आने से लगभग एक दशक बाद श्यामगंगा, जिसे सूकड़ी नदी के नाम से जाना जाता है, इसमें भी पानी आ गया। वहीं दौसा जिले के महवा क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों में पहली बार बाणगंगा नदी में पानी आया है। अलवर जिले की बीगोता नदी में 13 वर्ष बाद पानी आया। नदी के बहाव क्षेत्र में बने कई एनीकटों पर पानी भर गया है। ग्रामीणों ने कई स्थानों पर चुनरी ओढ़ा कर और कुमकुम लगाकर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया व ढोल नगाड़े बजाकर उनका स्वागत किया।
691 बांधों में से 335 पूरी तरह से लबालब
राज्य के 691 बांधों में से 335 पूरी तरह से भर चुके हैं और 247 बांधों में आंशिक रूप से पानी है। 109 बांध अभी ख़ाली हैं। राजस्थान का सबसे बड़ा पेयजल प्रोजेक्ट बीसलपुर बांध पूरा भर चुका है। इसके छह गेट खोलकर अतिरिक्त पानी की निकासी की जा रही है। इसके अलावा राणा प्रताप सागर, कोटा बैराज, जवाहर सागर, पार्वती, गुढ़ा बांध, बाघेरी का नाका लबालब हो चुके हैं। वहीं दौसा जिले के कई बांधों में पानी की चादर चल रही है। भारी बारिश के चलते क्षेत्र का जलस्तर भी बढ़ रहा है। दौसा जिला मुख्यालय के पास ही स्थित सूरजपुरा बांध में पिछले 6 साल में पहली बार पानी की आवक हुई है। इस बांध से क्षेत्र की करीब 50 हजार से अधिक जनसंख्या को पानी की आपूर्ति हो सकेगी। इसके अलावा जिले के मोरेल बांध, माधो सागर बांध, झिलमिली बांध व गेटोलाव बांध भर चुके हैं। लेकिन जयपुर का रामगढ़ बांध एक बार फिर रीता रह गया।
राजस्थान में औसत से 60 प्रतिशत से अधिक बारिश
प्रदेश में इस वर्ष औसत से 60 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। जल संसाधन विभाग के अनुसार, 1 जून से 8 सितंबर तक 621.92 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है, जबकि सामान्य बारिश 385.66 मिलीमीटर होती है। राज्य के 28 जिलों में तो सामान्य से 60 प्रतिशत या उससे भी अधिक बारिश हुई है। यहां तक कि रेगिस्तान में भी इस बार पूरे सीजन में औसत से दोगुनी बारिश हुई। जैसलमेर में 139.85 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई है। दौसा, करौली, टोंक और सवाई माधोपुर में एक हजार एमएम से अधिक बारिश दर्ज की गई। सिर्फ झालावाड़, डूंगरपुर और सिरोही ही ऐसे जिले है, जहां मानसून की बारिश का कोटा पूरा नहीं हुआ है। संभावना है कि इन जिलों में भी मानसून की बारिश का कोटा जल्द पूरा हो जाएगा।
इन जिलों में 60 प्रतिशत से अधिक बारिश
सामान्य से 60 प्रतिशत या उससे भी अधिक बारिश वाले जिलों में अजमेर, अलवर, अनूपगढ़, ब्यावर, बीकानेर, दौसा, डीग, धौलपुर, डीडवाना-कुचामन, दूदू, गंगानगर, गंगापुर सिटी, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, करौली, केकड़ी, खैरथल-तिजारा, नागौर, सवाईमाधोपुर, टोंक, कोटपूतली-बहरोड़, बालोतरा, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर ग्रामीण, फलौदी, बूंदी और चूरू शामिल हैं।
जोधपुर संभाग में सबसे अधिक वर्षा
सबसे अधिक बारिश वाला क्षेत्र जोधपुर संभाग रहा है जहां सामान्य से 117.88 प्रतिशत (453.27 मिलीमीटर) ज्यादा बारिश दर्ज की गई है, जबकि सामान्य बारिश यहां 208.04 मिलीमीटर होती है। वहीं अजमेर संभाग में सामान्य से 85.49 प्रतिशत और बीकानेर संभाग में 77.38 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। सबसे अधिक बारिश फलौदी जिले में हुई है। यहां 193.11 प्रतिशत ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है। फलौदी में सामान्य वर्षा 179.59 मिलीमीटर होती है, लेकिन इस बार 526.40 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
मौसम विभाग के अनुसार, राजस्थान में इस बार हुई बारिश ने पिछले 50 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बारिश से भूमि का जल स्तर 15 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है।