जब वीर शिवाजी आए
राम गोपाल पारीक
जब वीर शिवाजी आए
जब वीर शिवाजी आए,
जन-जन में जोश जगाए।
छाया था अंधेरा जैसे,
वो दीपक बनकर आए।
सूखा आंखों का पानी,
दिन डूब गए सपनों के।
उन मुगलों के चक्कर में,
सिर काट रहे अपनों के।
जब वीर शिवाजी आए….।
छाया था अंधेरा जैसे….।
आपस में हिन्दू लड़ते,
अपने ही उन्हें लड़ाते।
ऐसी थी दशा लोगों की,
वे झगड़े कौन मिटाते।
जब वीर शिवाजी आए……।
छाया था अंधेरा जैसे…….।
यह कैसा मोह प्राणों का,
वो प्राण बचा न पाए।
अपने स्वार्थ में डूबे,
दुश्मन को दोस्त बनाए।
जब वीर शिवाजी आए……।
छाया था अंधेरा जैसे……।
गो, ब्राह्मण और मंदिर,
इनका ना कोई रखवाला।
कटते गिरते मर जाते,
ना कोई सुनने वाला।।
जब वीर शिवाजी आए……।
छाया था अंधेरा जैसे……।