जो हिन्द महासागर को नियंत्रित करेगा, उसी का एशिया पर प्रभुत्व होगा
बलबीर पुंज
जो हिन्द महासागर को नियंत्रित करेगा, उसी का एशिया पर प्रभुत्व होगा
हाल की दो घटनाओं ने भारत की एक अनकही उपलब्धि को उजागर किया है। पहला मामला भारतीय नौसेना द्वारा 23 पाकिस्तानियों को सशस्त्र समुद्री डाकुओं से बचाने से जुड़ा है, तो दूसरा अमेरिका के बाल्टीमोर में मालवाहक जहाज ‘डाली’ की टक्कर से ढहे पुल और उसमें भारतीय चालकों की सूझबूझ से बची कई जानों से संबंधित है। यह घटनाक्रम स्वयं को उस ऐतिहासिक कड़ी से जोड़ता है, जिसमें भारत का सैकड़ों वर्षों तक वैश्विक समुद्री मार्गों पर न केवल वर्चस्व था, साथ ही दुनिया के सबसे समृद्ध जहाजों का कारखाना भी था।
भारतीय नौसेना ने 30 मार्च 2024 को अरब सागर में एक सफल सैन्य ऑपरेशन करते हुए 23 पाकिस्तानी नागरिकों को सोमालियाई समुद्री लुटेरों से बचा लिया। प्राणों पर आए संकट से बचने के बाद इन पाकिस्तानियों ने भारतीय नौसेना का ना केवल धन्यवाद किया, साथ ही कई बार ‘हिन्दुस्तान जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए। इससे पहले भारतीय नौसेना ने अरब सागर में सोमालिया के पूर्वी तट के पास से इसी वर्ष 29 जनवरी को 19 पाकिस्तानी नाविकों की भी जान बचाई थी। ईरानी ध्वज वाले जहाज का 11 समुद्री लुटेरों ने अपहरण कर लिया था। इसके बाद भारतीय नौसेना ने जहाज को दस्युओं से बचाने के लिए अपना युद्धपोत आईएनएस सुमित्रा बीच समुद्र में भेज दिया था। यही नहीं, 14 दिसंबर 2023 को भी सोमालियाई समुद्री डाकुओं ने ‘एमवी रुएन’ मालवाहक जहाज का अपहरण तब कर लिया गया था, जब वह भारतीय तट से लगभग 2600 किलोमीटर दूर था। इसके बाद 22-23 मार्च 2024 को अदन की खाड़ी और उत्तरी अरब सागर क्षेत्र में 40 घंटे के सैन्य अभियान के बाद भारतीय नौसेना ने युद्धपोत आईएनएस कोलकाता की सहायता से सोमाली तट पर अपहृत मालवाहक जहाज पर धावा बोलकर समुद्री डाकुओं को गिरफ्तार कर लिया। यह घटना समुद्री क्षेत्र में भारत के बढ़ते दबदबे और शक्ति का परिचायक है।
यह ठीक है कि गत 26 मार्च को एक दुखद हादसे में अमेरिका के बाल्टीमोर में एक विशालकाय मालवाहक जहाज ‘डाली’ की टक्कर से ढाई किलोमीटर लंबा ‘फ्रांसिस स्कॉट की’ पुल ढह गया था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई। परंतु जिस प्रकार जहाज के भारतीय चालक दल ने बुद्धिमत्ता, कर्तव्यबोध और कुशलता का परिचय दिया, उसने कई जिंदगियों को तबाह होने से बचा लिया। जहाज पर चालक दल के भारतीय सदस्यों ने हादसे से ठीक पहले मैरीलैंड अधिकारियों को मालवाहक जहाज के ‘पावर फेल’ होने की सूचना दे दी थी, जिसके बाद पटाप्सको नदी स्थित पुल पर यातायात संचालन पूरी तरह रोक दिया गया। यदि ऐसा न होता तो हताहतों की संख्या भयावह होती। इस घटनाक्रम पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस मालवाहक जहाज के 21 सदस्यीय चालक दल (20 भारतीय) की प्रशंसा करते हुए कहा, “जहाज पर सवार कर्मियों ने मैरीलैंड परिवहन विभाग को पहले सूचित कर दिया, जिसके कारण स्थानीय अधिकारी पुल पर यातायात को रोक पाने में सफल रहे। बेशक, इससे कई लोगों की जान बच गई।”
‘डाली’ उन कई जहाजों में से एक है, जो व्यापक रूप में या फिर पूरी तरह भारतीय नाविकों द्वारा संचालित है। वैश्विक जहाजरानी यातायात, जिस पर दुनिया का 90 प्रतिशत से अधिक वस्तुओं का व्यापार निर्भर है, वह वर्तमान समय में भारत के बिना अधूरा है। नाविक-आपूर्ति करने वाले देशों में भारत, चीन और फिलीपींस के बाद तीसरे स्थान पर है। भारतीय नौवहन महानिदेशालय के अनुसार, वैश्विक नाविकों में भारत 10 प्रतिशत का योगदान देता है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जहाजों पर भारतीय नाविकों की कुल संख्या 2013 में 1,08,446 थी, जो 2017 में बढ़कर 1,54,339 हो गई, जिसमें 62 हजार से अधिक समुद्री अधिकारी हैं। जहां अधिकांश चीनी नाविक अपने देश के जहाजों पर काम करते हैं, वहीं भारतीय नाविक राष्ट्रीय-बहुराष्ट्रीय जहाजों पर तैनात हैं। इसलिए किसी भी देश के नागरिकों की तुलना में भारतीय नाविक अधिक वैश्विक हैं।
किसी भी क्षेत्र की सफलता में गुणवत्ता की भूमिका अपरिहार्य होती है। भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन की उस प्रतिष्ठित सूची में शामिल है, जो वैश्विक मानकों का अनुपालन करते हैं। इसमें शामिल होने हेतु किसी देश के पास उपयुक्त नाविक लाइसेंसिंग, प्रशिक्षण केंद्र, ध्वजांकित जहाजों पर नियंत्रण और राष्ट्रीय बंदरगाहों में विदेशी जहाजों की उचित जांच प्रणाली होना अनिवार्य है। यह भारतीय नाविकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक आकर्षक और प्रतिभावान बनाता है। कोरोनाकाल और रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में विशेषज्ञों का अनुमान है कि वैश्विक जहाजरानी में भारत का अनुपात अगले दशक में बढ़कर 20 प्रतिशत हो जाएगा।
यह कीर्तिमान कोई एकाएक प्रकट नहीं हुआ है। वास्तव में, समुद्र में भारत का ऐतिहासिक और विशिष्ट कालखंड रहा है। इतालवी यात्री, व्यापारी और खोजकर्ता मार्को पोलो के अनुसार, 13वीं शताब्दी से पहले तक भारतीय जहाजी बेड़े, विश्व के अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी विशाल और समृद्ध था। सदियों से प्राचीन भारत का ग्रीस सहित कई देशों के साथ संपर्क रहा है। यही नहीं, मराठा साम्राज्य के संस्थापक और वीर शिरोमणि छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘नौसेना के जनक’ के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने नौसेना तब बनाई थी, जब अधिकतर देशों के पास नौसेना के नाम पर केवल छोटी टुकड़ी हुआ करती थी। समुद्र में मराठा नौसेना पुर्तगालियों से कोंकण और गोवा की सुरक्षा हेतु थी। कहा जाता है कि तब छत्रपति शिवाजी की नौसेना में 20 युद्धपोत, 500 जहाज शामिल थे। उन्हीं के नौसेना के अष्टकोण रूपी नीले प्रतीक ने सितंबर 2022 में भारतीय नौसेना के झंडे पर ब्रितानियों के पुराने मजहबी प्रतीक सेंट जॉर्ज क्रॉस को प्रतिस्थापित किया है।
वर्ष 1897 में अमेरिकी इतिहासकार अल्फ्रेड थायर मेहैन ने कहा था, “जो हिन्द महासागर को नियंत्रित करेगा, उसी का एशिया पर प्रभुत्व होगा। यह महासागर इक्कीसवीं सदी में सात समुद्रों की कुंजी है और दुनिया की नियति इससे तय होगी।” विश्व का कुल 70 प्रतिशत कच्चा तेल, 33 प्रतिशत वैश्विक व्यापार और 50 प्रतिशत कंटेनर यातायात हिन्द महासागर क्षेत्र से होकर गुजरता है। इस पृष्ठभूमि में हालिया उपलब्धि पिछले 10 वर्षों में आमूलचूल आर्थिक-सामाजिक परिवर्तन के साथ वैश्विक समुद्री मानचित्र पर भारत की वापसी का द्योतक है।
(हाल ही में लेखक की ‘ट्रिस्ट विद अयोध्या: डिकॉलोनाइजेशन ऑफ इंडिया’ पुस्तक प्रकाशित हुई है)