बंगाल में महिलाओं के साथ हो रही क्रूरता के विरोध में महिला संगठनों ने किया प्रदर्शन
बंगाल में महिलाओं के साथ हो रही क्रूरता के विरोध में महिला संगठनों ने किया प्रदर्शन
जयपुर। पश्चिम बंगाल में महिलाओं के साथ हो रही क्रूरता एवं असभ्य व्यवहार के विरोध में राजस्थान के विभिन्न शहरों में महिला संगठनों ने प्रदर्शन किया और भारत के गृहमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में लिखा कि TMC विधायक हमीदुर्रहमान के दाहिने हाथ ताज़ेमुल, जिसके आतंक के कारण उसे JCB के नाम से भी जाना जाता है, द्वारा चोपरा गाँव के भरे चौराहे पर एक महिला को सरेराह पीटना, बर्बरता पूर्वक बाँस की छड़ी से मारना अत्यंत निंदनीय कृत्य है। भारत के प्रधान न्यायाधीश के बंगाल दौरे के समय वीडियो वायरल होने पर विधायक हमीदुर्रहमान का कहना कि “हमारे मुस्लिम राष्ट्र” में महिलाओं का ऐसा ही न्याय होता है, एक दुस्साहस पूर्ण कृत्य है। हम इसकी भर्त्सना करते हैं। ज्ञापन में कहा गया कि भारत में संविधान द्वारा न्याय होते हुए भी अवैध अदालतें क्यों? यह घोर अपराध है। गृहमंत्री भारत सरकार से निवेदन है कि इस अत्यंत ज्वलनशील स्थिति का संज्ञान लेते हुए शीघ्रातिशीघ्र आवश्यक कार्यवाही करें।
मरुधरा महिला मंच की इंदु चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में महिला मुख्यमंत्री होने के बाद भी वहां पर महिलाओं की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की घटना पर भारत सरकार द्वारा कठोर कार्यवाही की मांग की। वहीं नारी चेतना मंच की सरोज प्रजापत ने कहा कि पश्चिम बंगाल में संदेशखाली, कूच बिहार, उत्तर दिनजापुर (चोपरा) में महिलाओं के साथ हुई घटनाएं निंदनीय हैं। चोपरा में तो अवैध शरिया अदालत के “न्यायानुसार” महिला की जिस बर्बरता से पिटाई की गई, वह बहुत ही शर्मनाक और चिंताजनक है। पश्चिम बंगाल की न्याय व्यवस्था तो जैसे शब्दकोश तक ही सिमट कर रह गई है। ऐसी घटनाएं सभ्य समाज का मस्तक लज्जा से झुका देने वाली हैं।
विहिप की महिला उपाध्यक्ष नीलू खड़लोहिया ने कहा कि भविष्य में बंगाल में महिलाओं का शोषण और दर्दनाक उत्पीड़न सर्वथा निंदनीय है। भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाने वाली ये घटनाएं तालिबानी शासन का स्मरण कराती हैं। महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार व्यथित करने वाले हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने, पूरे मामले में दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने, पीड़ित महिलाओं के शारीरिक और मानसिक उपचार के साथ ही उनके पुनर्वासन की व्यवस्था करवाने की भी मांग की।
ज्ञापन देने वाले अन्य संगठनों में राष्ट्र सेविका समिति, चैतन्य मातृशक्ति समूह, माहेश्वरी महिला समिति, साधु मार्गी जैन संप्रदाय और महिला मोर्चा आदि शामिल थे।