स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और विश्वसनीय सूचना का श्रेष्ठ माध्यम है रेडियो  

स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और विश्वसनीय सूचना का श्रेष्ठ माध्यम है रेडियो  

अमित वर्मा

स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और विश्वसनीय सूचना का श्रेष्ठ माध्यम है रेडियो  स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और विश्वसनीय सूचना का श्रेष्ठ माध्यम है रेडियो   

आज विश्व रेडियो दिवस है, हर वर्ष 13 फरवरी को दुनियाभर में विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है। इस दिन प्रति वर्ष यूनेस्को विश्व के सभी ब्रॉडकास्टर्स, संगठनों और समुदायों के साथ मिलकर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता है। संचार के माध्यम के तौर पर रेडियो की भूमिका पर चर्चा होती है और लोगों को इस हेतु जागरूक किया जाता है। एक समय में रेडियो दुनियाभर में सूचना के आदान-प्रदान का मुख्य साधन था। लेकिन टेलीविजन और मोबाइल जैसी चीजें आने के बाद रेडियो का पहले जैसा उपयोग नहीं रहा। आज भी आपदा या आपातकालीन स्थिति में रेडियो का महत्व बढ़ जाता है। विश्व रेडियो दिवस का उद्देश्य दुनिया भर के युवाओं को रेडियो की आवश्यकता और महत्व के प्रति जागरूक करना है। इसे सूचना फैलाने के लिए सबसे शक्तिशाली और सस्ते माध्यम के तौर पर जाना जाता है।

रेडियो ने लोगों को शिक्षित करने में भी अहम भूमिका निभाई है। इसका उपयोग युवाओं को उन विषयों की चर्चा में शामिल करने के लिए किया गया, जो उनको प्रभावित करते हैं। इसने प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के दौरान लोगों की कीमती जानों को बचाने में सहायता की है। यह पत्रकारों के लिए एक प्लेटफॉर्म हुआ करता था, जिसके माध्यम से वे अपनी रिपोर्ट दुनिया तक पहुंचाते थे और अपनी कहानी सुनाते थे। 1945 में इसी दिन यूनाइटेड नेशंस रेडियो से पहली बार सूचना का प्रसारण हुआ था।

पहला विश्व रेडियो दिवस 2012 में मनाया गया। 13 फ़रवरी 2024 को मनाए जाने वाले विश्व रेडियो दिवस की थीम है, ’रेडियो सूचना देने, मनोरंजन करने और शिक्षित करने वाली एक सदी’। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 2024 का उत्सव रेडियो के इतिहास और समाचार, नाटक, संगीत व खेल पर इसके शक्तिशाली प्रभाव पर प्रकाश डालता है। रेडियो की इंटरनेट, टेलीविज़न और समाचार पत्रों की तुलना में व्यापक भौगोलिक पहुंच है।

एक जमाना था जब संदेश प्रसारित करने के लिए कबूतर काम में लिए जाते थे। तकनीक के अभाव में वह दौर कितना रोचक रहा होगा, जब किसी को देश विदेश में क्या घटित हो रहा है की कोई जानकारी ही नहीं रहती थी। मगर बीसवीं सदी के रेडियो अर्थात आकाशवाणी के आविष्कार ने तो काया पलट ही कर दिया। अब एक यंत्र के माध्यम से दुनिया के किसी भी हिस्से में बैठकर देश दुनिया के समाचार प्राप्त किये जा सकते थे। आकाशवाणी अथवा रेडियो आधुनिक विज्ञान का एक ऐसा उपहार है, जिसने मानव समाज को सर्वाधिक प्रभावित एवं आकर्षित किया है। यह एक ऐसा श्रव्य माध्यम है, जो अनेक प्रकार की जानकारियाँ, शिक्षाएं, समाचार आदि देने के साथ साथ घर बैठे हमारा मनोरंजन करता है।

रेडियो का आविष्कार आज से 140 वर्ष पहले इटली के गुल्येल्मो मार्कोनी नामक वैज्ञानिक ने किया था। उसने शांत जल में पत्थर का टुकड़ा फेंकने से उत्पन्न लहरों से प्रेरणा पाकर रेडियो का आविष्कार किया था। सन् 1906 में रेडियो के माध्यम से संदेश भेजना आरंभ हुआ, जो धीरे धीरे पूरी दुनिया में फैल गया। लोगों को यह बेहद पसंद आता था। भारत के महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने सर्वप्रथम रेडियो और ध्वनि-विक्षेपक का सिद्धांत निकाला परन्तु, आर्थिक कठिनाइयों के कारण वे इसे व्यावहारिक रूप न दे सके। फलस्वरूप इटली के वैज्ञानिक मार्कोनी को रेडियो के अविष्कार का श्रेय दिया जाता है। नौसेना में रेडियो का बहुत उपयोग होता था। द्वितीय विश्व युद्ध के समय रेडियो के माध्यम से संदेश भेजे जाते थे। धीरे धीरे इसमें अनेक सुधार हुए और यह जेब में रखा जाने वाला ट्रांजिस्टर बन गया।

वर्ष 1921 में रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई थी, यह सूचना की क्रांति में बहुत बड़ा कदम था, जिसमें आकाशवाणी के माध्यम से इंग्लैंड से न्यूजीलैंड तक समाचार प्रसारण किया गया, इस अद्भुत आविष्कार ने सम्पूर्ण जगत को आश्चर्य में डाल दिया। सर्वप्रथम तो रेडियो पर केवल लोगों की बातचीत आदि का प्रसारण हो पाता था। मगर धीरे धीरे तकनीकी के सहयोग से इसके रूप में और विस्तार दिया गया तथा गीत, संगीत, कविता, कहानी एवं नाटक आदि का सीधा प्रसारण भी रेडियो के द्वारा किया जाने लगा। जब श्रोताओं की संख्या बढ़ने लगी, तो देश दुनिया में रेडियो स्टेशन भी बढ़ते गये और इसने एक इण्डस्ट्री का रूप ले लिया। जिसमें लाखों लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलने लगा। धीरे धीरे इस पर विज्ञापनों का प्रसारण भी होने लगा।

यह प्रतिदिन प्रातः से लेकर सायं तक ताजे समाचारों के अनेक बुलेटिन प्रसारित करके लोगों की जानकारियों को सहज ही अंतर्राष्ट्रीय आयाम प्रदान कर देता है। यह हमें नई से नई सूचनाएं, कृषि कार्य एवं मौसम की जानकारी भी देता रहता है। वह छात्रों के लिए परीक्षा उपयोगी विषयों का प्रसारण भी करता है। इसके द्वारा खोया, पाया, रेलवे और वायुयान आदि की समय सारणी तथा बाजार भाव दिखाए जाते हैं। पहले के समय में लोग रेडियो सुनना पसंद करते थे। लेकिन वर्तमान समय में बढ़ती टेक्नोलॉजी के कारण लोगों की रेडियो में रुचि कम हो गई है क्योंकि अब वे अपने पसंदीदा प्रोग्राम टीवी एवं स्मार्टफोन पर देख लेते हैं। रेडियो को बचाए रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सन् 2014 में मन की बात कार्यक्रम आरंभ किया था। जो आज भी प्रति रविवार प्रसारित होता है।

 

भारत में रेडियो का इतिहास

भारत में रेडियो का आरंभ सन 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब से हुआ था। इस समय मद्रास से ब्रॉडकास्टिंग की जा रही थी। लेकिन यह कार्य मात्र वर्ष 1927 तक ही चल पाया। तत्पश्चात आर्थिक समस्याओं के कारण इसे बंद कर दिया गया। सन् 1927 में ही कुछ बड़े व्यापारियों द्वारा मुंबई तथा कोलकाता से रेडियो पर ब्रॉडकास्टिंग शुरू की गई। बाद में भारत सरकार ने इसे ले लिया और सन् 1936 में इस ब्रॉडकास्टिंग का नाम ऑल इंडिया रेडियो रख दिया गया। रेडियो ने स्वतंत्रता संग्राम में बड़ी भूमिका निभाई। सन् 1942 में महात्मा गांधी ने रेडियो पर ही भारत छोड़ो आंदोलन की अलख जगायी। सुभाष चंद्र बोस का नारा “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” भी रेडियो के माध्यम से देश के कोने कोने तक पहुंचा। स्वाधीनता के पश्चात सन् 1957 में इसे आकाशवाणी कहा जाने लगा। वर्तमान समय में हम इसे एफएम के नाम से जानते हैं। आज देश में लगभग 420 आकाशवाणी केंद्र एवं 450 सामुदायिक रेडियो स्टेशन अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जो कि इसकी लोकप्रियता का पैमाना हैं।

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