जयपुर की बेटियों ने वर्ल्ड यूथ मुए थाई चैंपियनशिप में जीते मेडल
हौंसला जीता, हारी परिस्थितियां
जयपुर। जयपुर की कच्ची बस्ती में रहने वाली दो बेटियों मनीषा और मुस्कान ने तुर्की में हुई आईएफएमए वर्ल्ड यूथ मुए थाई चैंपियनशिप में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीता है।
मनीषा मैकेनिक की बेटी है, जिसने इस चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है वहीं, ई-रिक्शा चलाने वाले की बेटी मुस्कान ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर पूरी दुनिया को ये बता दिया है कि जीतने के लिए परिस्थितियां नहीं बल्कि हौंसला चाहिए।
दोनों ही जवाहर नगर स्थित झुग्गी झोपड़ी की रहने वाली हैं। कच्ची बस्ती की तमाम तकलीफों और चुनौतियों का मुकाबला करते हुए दोनों बेटियों ने आज अपने परिवार और शहर का नाम अतंरराष्ट्रीय मंच पर गौरवान्वित किया है। अपने बारे में मनीषा और मुस्कान ने बताया कि उनके पास खेल के लिए तो बहुत दूर की बात है, पढ़ने के पैसे भी नहीं थे। लेकिन दोनों ने हिम्मत नहीं हारी।
ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली सत्रह वर्षीय मनीषा की मानें तो पिता मैकेनिक के साथ साथ सैंकड हैंड कार बेचने का काम भी करते है। मां फूलवती देवी गृहिणी हैं। दोनों भाईयों के खेल शौक को देखते हुए उसे खेल के प्रति रूचि जागी।
इसके बाद खेल को ही करियर के रूप में चुनने का सोचा। लेकिन परिस्थितियां पक्ष में नहीं थी। करीब साल भर पहले ‘उड़ान प्रोजेक्ट’ के तहत खेले जाने स्पोर्टस के बारे में पता चला। इसके बाद उसके करियर की शुरूआत हुई। कुछ दिनों की ट्रेनिंग के बाद दो बार जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया। मुए थाई की अलग-अलग कैटेगेरी में गोल्ड और ब्रांन्ज मेडल जीता। इस दौरान रिश्तेदारों ने काफी ताने दिए। लेकिन मेरे परिवार ने किसी की परवाह नहीं की।
वहीं अहारह साल की मुस्कान की कहानी भी कुछ इसी तरह की है। जब वह 6 साल की थी तो पहली बार उसने स्कूल देखा। मां-पिता ने उसे स्कूल में प्रवेश दिला दिया, लेकिन बाद में आर्थिक परेशानी के चलते स्कूल छोड़ना पड़ा। मां लक्ष्मी वर्मा गृहिणी हैं। विमुक्ति संस्था ने परिवार की मदद की। यहां उसे खेल के बारे में जानकारी मिली और फिर चल पड़ी सफलता की राह पर।