जैसलमेर : आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से पैदा हुआ दुनिया का पहला गोडावण

जैसलमेर : आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से पैदा हुआ दुनिया का पहला गोडावण

जैसलमेर : आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से पैदा हुआ दुनिया का पहला गोडावणजैसलमेर : आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से पैदा हुआ दुनिया का पहला गोडावण

जैसलमेर। जिले के सुदासरी गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में भारत ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है, जहां आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (कृत्रिम गर्भाधान) के माध्यम से गोडावण का चूजा पैदा किया गया है। इसे दुनिया का पहला मामला बताया जा रहा है, जब गोडावण को कृत्रिम प्रजनन प्रक्रिया से सफलतापूर्वक प्रजनित किया गया है। यह कदम इस विलुप्तप्राय पक्षी प्रजाति को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

कैसे हुआ कृत्रिम गर्भाधान?

डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) आशीष व्यास ने बताया कि यह पहली बार है जब गोडावण को कृत्रिम गर्भाधान से प्रजनित किया गया है। इस प्रक्रिया के लिए मेल गोडावण, जिसका नाम “सुदा” है, को आर्टिफिशियल मेटिंग के लिए लगभग आठ महीने की ट्रेनिंग दी गई। सुदा के स्पर्म को एकत्रित कर सुदासरी ब्रीडिंग सेंटर में ले जाया गया, जहां 20 सितंबर को “टोनी” नामक मादा गोडावण को स्पर्म से कृत्रिम गर्भाधान कराया गया। इसके बाद 24 सितंबर को टोनी ने अंडा दिया, जिसे वैज्ञानिकों द्वारा अच्छी देखभाल के साथ रखा गया। अंततः 16 अक्टूबर को अंडे से चूजा बाहर निकला।

विदेशी अनुभव और भारतीय प्रयास

यह प्रक्रिया इंटरनेशनल फंड फॉर हुबारा कंजर्वेशन फाउंडेशन, अबू धाबी के अनुभव पर आधारित है, जहां तिलोर पक्षी पर इस तकनीक का सफल परीक्षण किया गया था। भारत के वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के वैज्ञानिकों ने वहां जाकर इस तकनीक को सीखा और गोडावण पर परीक्षण शुरू किए। यह प्रयास भारत के वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो गोडावण की घटती जनसंख्या को बढ़ाने में सहायक होगा।

डेजर्ट नेशनल पार्क: गोडावण का संरक्षित घर

जैसलमेर स्थित डेजर्ट नेशनल पार्क को गोडावण का सबसे संरक्षित क्षेत्र माना जाता है। यहाँ लगभग 70 क्लोजर हैं, जिनमें गोडावण के प्रजनन के अनुकूल स्थितियाँ बनी हुई हैं। वर्तमान में, पार्क में गोडावण की संख्या 173 है, जिसमें से 128 फील्ड में स्वतंत्र रूप से घूम रहे हैं और 45 ब्रीडिंग सेंटर में रखे गए हैं।

आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन की इस सफलता के बाद, अब गोडावण के स्पर्म को संरक्षित करने के लिए एक स्पर्म बैंक बनाने की योजना है, जो इस पक्षी की जनसंख्या को बढ़ाने में सहायक होगा। इसके साथ ही, इस चूजे का नामकरण ‘एआई’ के नाम पर करने की योजना भी बनाई जा रही है।

गोडावण की संख्या में कमी आने के मुख्य कारण

1. ब्रिटिश शासन में शिकार

ब्रिटिश शासन के दौरान गोडावण का लगातार शिकार किया गया, जिससे इसकी जनसंख्या में भारी गिरावट आई। शिकार केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं, बल्कि इसे खेल के रूप में भी देखा जाता था, जिससे गोडावण के प्रजनन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

2. बच्चों का शिकार

गोडावण के चूजे अपने शुरुआती तीन महीनों में बड़े शिकारियों जैसे बाज़ और अन्य मांसाहारी जानवरों के लिए आसान शिकार होते हैं। इस अवधि में इनका जीवित रहना कठिन होता है, जो इनकी जनसंख्या में कमी का एक बड़ा कारण है।

3. जहरीली खाद का प्रभाव

फसलों में प्रयोग की जाने वाली रासायनिक और जहरीली खादें गोडावण के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। यह उनकी प्रजनन क्षमता और संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

4. ओरण भूमि और हरित क्षेत्र में कमी

गोडावण के निवास स्थानों, जैसे ओरण भूमि (पारंपरिक सामुदायिक चारागाह), और अन्य हरित क्षेत्रों में कमी आई है। इससे उनके प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं, जो उनके जीवित रहने और प्रजनन के लिए आवश्यक हैं।

5. इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार

सड़कों, इमारतों और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से गोडावण के प्राकृतिक आवास में बाधाएं उत्पन्न हुई हैं। इससे उनका रहन-सहन और प्रजनन प्रभावित होता है।

6. क्रिटिकल मोर्टलिटी का सहन न कर पाना

गोडावण की मृत्यु दर (मोर्टलिटी रेट) अधिक है, विशेषकर शुरुआती जीवन के दौरान। इन्हें सहन न कर पाने के कारण इनकी जनसंख्या लगातार घटती रही है।

7. रेडिएशन और हाईटेंशन लाइन

ऊँचे वोल्टेज वाली बिजली की लाइनों और रेडिएशन के कारण गोडावण के लिए खतरा बढ़ गया है। उड़ते समय ये पक्षी अक्सर बिजली के तारों से टकरा जाते हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।

8. प्राकृतिक वातावरण का क्षरण

जलवायु परिवर्तन, मानवीय हस्तक्षेप और अन्य पर्यावरणीय कारकों के कारण गोडावण के प्राकृतिक आवास का क्षरण हो रहा है, जिससे उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

इन सभी कारणों से गोडावण की जनसंख्या में लगातार गिरावट आई, और यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई।

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