वो सड़क पर नमाज पढ़ सकते हैं, लेकिन आप सार्वजनिक स्थल पर योग शिविर नहीं लगा सकते
वो सड़क पर नमाज पढ़ सकते हैं, लेकिन आप सार्वजनिक स्थल पर योग शिविर नहीं लगा सकते
बूंदी। सड़कें जाम कर, पूरा आवागमन रोक कर मुख्य बाजार तक में नमाज पढ़ना तो जैसे मुसलमानों का अधिकार हो गया है। राजस्थान सरकार भी उन्हें रोकने के बजाय उन पर फूल बरसाती है। लेकिन हिन्दू समाज अगर मुसलमान न चाहें तो सार्वजनिक स्थल पर योग शिविर तक नहीं लगा सकता। योग दिवस के अवसर पर जारी एक सरकारी नोटिस और प्रशासन के रवैये से तो ऐसा ही लगता है।
मामला बूंदी का है। यहॉ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर नगर परिषद, बूंदी द्वारा मुस्लिम समुदाय के दबाव में आ कर एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें पूछा गया कि क्या आयोजकों ने सार्वजनिक स्थल पर योग व व्यायाम शिविर लगाने के लिए अनुमति ली है? नोटिस पर तारीख 19 जून लिखी हुई है और 21 जून यानि कल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर यहॉं योग शिविर का आयोजन होना था।
दरअसल बूंदी शहर में नवल सागर तालाब के पास ईदगाह व गणेश व्यायामशाला स्थित हैं। दोनों के बीच स्थित खुली जगह सरकारी भूमि (सिवाय चक) है। इसी पर योग दिवस के अवसर पर योग शिविर का आयोजन होना था। इस पर मुस्लिम समुदाय ने नगर परिषद, बूंदी को शिकायत कर दी कि योग दिवस पर गणेशशाला के बाहर स्थित सरकारी भूमि पर शिविर लगाया जा रहा है, जिसकी स्वीकृति नहीं ली गई है। प्रतिक्रिया स्वरूप नगर परिषद ने बिना सोचे समझे मुस्लिम समुदाय के दबाव में आकर यह तुगलकी फरमान जारी कर दिया कि गणेश व्यायामशाला, बूंदी के संचालक व प्रतिनिधि सदस्यों ने यहां योग व व्यायाम शिविर लगाने की अनुमति नहीं ली है और बिना अनुमति शिविर लगाने से कानून व्यवस्था बिगड़ रही है। अत: आपको नोटिस भेज कर सूचित किया जा रहा है कि आपके द्वारा लगाए गए शिविर को तत्काल प्रभाव से बंद कर अवगत करवाया जाए। परिणाम यह हुआ कि योग दिवस पर लोगों ने नवल सागर की पाल पर योगाभ्यास किया, वह भी पुलिस की उपस्थिति में, जबकि उसी स्थान (सरकारी जमीन) पर ईद की नमाज पढ़ी जाती है।
सरकार के इस आदेश की चारों ओर आलोचना हो रही है। मामले को लेकर हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने संभागीय आयुक्त को ज्ञापन देकर शिकायत भी की है। ज्ञापन में कहा गया है कि योग के लिए नियमानुसार अनुमति मांगी गई थी, लेकिन नगर परिषद व पुलिस ने दबाव में आकर अनुमति नहीं दी। ऐसे में मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
वहीं सर्व हिन्दू समाज का कहना है, यहॉं नमाज के लिए तो अनुमति दी जाती रही है, फिर योग के लिए अनुमति नहीं देना समझ से परे है। अधिकारियों ने ऐसा क्यों किया उनसे यह पूछा जाना चाहिए।