अब चीनी खिलौनों का स्थान भारतीय खिलौने लेंगे

चीनी खिलौनों का स्थान भारतीय खिलौने लेंगे

निवेदिता

चीनी खिलौनों का स्थान भारतीय खिलौने लेंगे

आत्मनिर्भर भारत का जोश अब दिल-दिमाग से बाहर निकल कर आकार लेने लगा है। बड़ा समाचार उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा से आ रहा है। यह योजना पूरी होते ही भारतीय बच्चों के दिलों में चीनी खिलौनों का स्थान भारतीय खिलौने ले लेंगे।

आत्मनिर्भर भारत की मुहिम में यूपी सरकार ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेस वे के पास खिलौना क्लस्टर तैयार करने की योजना बना चुकी है। वहां सौ एकड़ भूमि का चयन कर 600 करोड़ की लागत से अंतर्राष्ट्रीय स्तर की टॉय सिटी का कार्य शुरू कर दिया गया है।

इसका उद्देश्य भारत के बाजार में चीनी खिलौनों का स्थान लेने का है ताकि करीब ढाई हजार करोड़ के खिलौना बाजार पर चीनी एकाधिकार (अनुमानित 75 प्रतिशत हिस्सा) को न केवल समाप्त कर दिया जाये, वरन आज के हालात को देखते हुए चीन को बोरिया बिस्तर समेटने के लिए मजबूर कर दिया जाये। इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए भारत सरकार ने इस वर्ष के बजट में खिलौनों पर लगने वाले आयात शुल्क को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया था। यह शुल्क विदेशी खिलौनों को महंगा करते हुए भारतीय खिलौनों के लिए अवसर तैयार करेगा। इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रत्यक्ष लाभ होगा। भारत – चीन तनाव के बदले हालात में यह आत्म निर्भरता की गति में बूस्टर डोज़ का काम करेगा।

लगभग 6 माह में टॉय सिटी का आधारभूत ढांचा तैयार हो जाएगा। शुरूआत में 50 एकड़ भूमि पर अस्सी से अधिक खिलौना फैक्ट्री स्थापित की जा रही हैं।

इस क्लस्टर के माध्यम से सरकार का ध्यान इस बात पर रहेगा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए उस श्रेणी के खिलोने तैयार किये जाएँ जो भारतीय बच्चों के मन को तो आकर्षित करें ही साथ ही शिक्षा, चिकित्सा, खेल आदि क्षेत्रों में इनका उपयोग किया जा सके।

अभी खिलौना मार्केट के व्यापारियों की समस्या यह है कि तकनीकी प्रतिस्पर्धा में भारतीय खिलौने पिछड़ते रहे हैं और ऐसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए उन्हें न चाहते हुए भी चीन के सामान को रखना पड़ता है। यूपी सरकार शीघ्र ही इस कमी को पूरा करने के लिए खिलौना क्लस्टर के कार्य को शीघ्र पूरा करने पर जोर दे रही है। जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से नजदीकी टॉय सिटी के लिए अंतर्राष्ट्रीय विपणन से जुड़ने का आसान मार्ग प्रशस्त करेगी।

निस्संदेह यह बात सिर्फ बच्चों की मांग पूरा करने के लिए खिलौने बनाने की ही नहीं है, बड़ी संख्या में इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। इसके लिए यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी ने 40 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार देने की शर्त रखी है। लॉकडाउन में प्रदेश वापस लौटे श्रमिक वर्ग के लिए भी यह राहत का अवसर होगा। यूपी सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से एक बड़ा मार्केट शेयर चीन की झोली में जाने से बचेगा। आज के युग में किसी भी देश को हराने का अर्थ उसको आर्थिक मात देना भी होता है और भारत ने अब यह मन बना लिया है।

(लेखिका स्तम्भ लेखन, सामाजिक सुधार और जनजागरण के क्षेत्र में कार्यरत हैं)

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