किसान संघ का लाभकारी मूल्य की मांग को लेकर प्रदेशभर में धरना- प्रदर्शन
जयपुर, 08 सितम्बर। भारतीय किसान संघ ने बुधवार को एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी धरना कार्यक्रम के अंतर्गत राजस्थान के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे। संघ के आह्वान पर धरने में बड़ी संख्या में किसान जुटे। किसान संघ ने कलेक्टर के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लाभकारी मूल्य नीति की मांग की है।
भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री कैलाश गैंदोलिया ने बताया कि भारतीय किसान संघ की प्रबंध समिति की बैठक 7-8 अगस्त को दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर आयोजित की गई थी। जिसमें भारतीय किसान संघ द्वारा गठित 36 प्रांतों के पदाधिकारियों की उपस्थिति में तय किया गया था कि सरकार 31 अगस्त तक भारतीय किसान संघ को वार्ता के लिए बुलाए या लाभकारी मूल्य देने संबंधी कोई नीति घोषित करे। जिस पर अभी तक सरकार की कोई सकारात्मक पहल नहीं दिखाई दी है। ऐसे में भारतीय किसान संघ आज आंदोलन करने पर विवश है।
उन्होंने कहा कि किसानों को उपज का पूरा मूल्य नहीं मिलने के कारण निर्धन किसान कर्जदार होता जा रहा है। सरकार द्वारा घोषित एमएसपी केवल छलावा साबित हुई है, इसका लाभ केवल कुछ प्रतिशत किसानों को ही मिल पाता है। केवल मूल्य घोषित करने से कुछ नहीं होगा, उस मूल्य पर उपज की खरीदी भी होनी चाहिए। चाहे खरीदी मंडी में हो या फिर बाहर या सरकार के द्वारा खरीदी जाए। घोषित मूल्य से कम पर खरीदी अपराध माना जाए। यह बिना कठोर कानून के संभव नहीं है। भारतीय किसान संघ लाभकारी मूल्य मिलने तक आंदोलन जारी रखेगा। संघ प्राइवेट बिल के माध्यम से लाभकारी मूल्य देने संबंधी कानून बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ करेगा।
भारतीय किसान संघ के जयपुर प्रांत मंत्री सांवरमल सोलेट ने कहा कि किसान को उसकी उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिलने से किसान नाराज हैं। किसान को उसकी उपज का लाभकारी मूल्य मिले इसके लिए कानून बनाने की मांग को लेकर पूरे देश में भारतीय किसान संघ हल्ला बोल कार्यक्रम कर रहा हैं। सभी जिला मुख्यालय पर सांकेतिक रूप से सरकार के विरुद्ध आक्रोश जताया गया है।
उल्लेखनीय है कि किसान संघ तीनों कृषि कानूनों को किसानों के हित में मानता है। केन्द्र सरकार की ओर से आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में सुधार कानून, कृषि ऊपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून लाए गए हैं। इन कानूनों को लेकर भारतीय किसान संघ की ओर से चार सुझाव दिए गए हैं। जिसमें सरकार को बताया था कि सभी प्रकार की खरीद समर्थन मूल्य पर होने का कानूनी प्रावधान होना चाहिए। वहीं निजी व्यापारियों का राज्य एवं केंद्र स्तर पर पंजीयन आवश्यक हो तथा उनकी बैंक सिक्योरिटी हो। जो एक पोर्टल के द्वारा सबके लिए उपलब्ध रहे। इस संदर्भित जो भी विवाद हों उनके समाधान के लिए स्वतंत्र कृषि न्यायालयों की व्यवस्था हो और सब विवादों का निपटारा किसान के गृह जिले में ही होना चाहिए। इसके अलावा इन अध्यादेशों में ‘किसान’ की परिभाषा में कार्पोरेट कंपनियां भी एक किसान के रूप में आ रही हैं। उसको भी तर्कसंगत बनाकर जो केवल कृषि पर ही निर्भर हैं, उन्हें ही इस परिभाषा में किसान माना जाए।