कोरोना से लड़ने के हथियार- योग और आयुर्वेद
21 जून – अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
डॉ. स्वतन्त्र शर्मा
आज कोरोना संक्रमण के भय के कारण हम लम्बे समय से अपने घरों में बंद हैं। जिससे हमारे शरीर, मन, बुद्धि और प्राण प्रभावित हो रहे हैं। इनके संकुचित हो जाने के कारण शरीर में तमस, आलस्य एवं तनाव का आविर्भाव होता जा रहा है। आधुनिक विज्ञान सिद्ध कर चुका है कि सभी रोगों की जड़ तनाव है और यह हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर बना देता है। मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अत्यंत मजबूत एवं सर्वश्रेष्ठ है किंतु तनाव के कारण यह विषाणुओं के आगे पस्त हो जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हमें यह संदेश देता है कि यदि हम घर से बाहर नहीं निकल सकते तब भी हमें घर पर ही योगाभ्यास नित्य करने की आदत विकसित करनी चाहिए। योगाभ्यास से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो जाती है और यदि किसी कारण कोरोना वायरस संक्रमण हो भी गया तो भी यह वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से समाप्त हो जाता है। वैज्ञानिक शोधों से यह सिद्ध हो गया है कि योग केवल शरीर, मन, बुद्धि तथा प्राण का विज्ञान ही नहीं अपितु जीवन जीने की कला है और आज पूरी दुनिया इस कला के चमत्कारिक परिणामों का लाभ उठा रही है। हमें यह गौरव होना चाहिए कि हमारे ऋषि-मुनियों और संतों ने अपने ज्ञान को पेटेंट कर सीमित न करके सबके लिए सहज और सुलभ कराया और सर्वे भवन्तु सुखिनः की संकल्पना विश्व को दी।
योग शास्त्र में यम नियम के अभ्यास से व्यक्ति जहां आंतरिक एवं बाहरी व्यवहार के आचरण की शिक्षा प्राप्त करता है; वहीं आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार द्वारा व्यक्ति अपने जीवन की ऐसी उच्च अवस्था को प्राप्त कर लेता है जिससे वह जीवन की प्रत्येक कठिनाई को विवेकयुक्त बुद्धि का उपयोग करते हुए हंसते हंसते दूर कर सकने की क्षमता प्राप्त कर लेता है। योग अभ्यास से चित्त के विक्षेप जिनके कारण मन उद्वेलित, अशांत एवं तनावग्रस्त होता है, उन कारणों के निवारण के साथ-साथ ही चित्त को प्रसन्न बनाए रखने के लिए चित्त प्रसादन के उपायों का वर्णन भी योगशास्त्र का अंग है। अभ्यास एवं वैराग्य, क्रिया योग एवं अष्टांग योग के तहत योग हमें आत्म बल प्रदान करता है जिससे हम आध्यात्म आधारित विकास प्राप्त कर सकते हैं। विकास की इस वैदिक संकल्पना को अभ्युदय और निःश्रेयस के रूप में जाना जाता है और इसे प्राप्त करने का व्यवहारिक मार्ग केवल योग है।
विवेकानंद केंद्र ने आवर्तन ध्यान की पद्धति विकसित की है, जिसमें विभिन्न आयु वर्गों व व्यवसायों से जुड़े लोगों के लिए योग मॉड्यूल विकसित किए गए हैं। जिनके द्वारा पांच से पंद्रह मिनट के छोटे-छोटे कैप्स्यूल अभ्यासों यथा विभागीय श्वसन, पूर्ण यौगिक श्वसन, सूक्ष्म व्यायाम, चेयर सूर्यनमस्कार, क्रीड़ा योग इत्यादि का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अतिरिक्त आज कोरोना काल में ई प्लेटफार्म पर यू-ट्यूब, फेसबुक और सोशल मीडिया के द्वारा ई योग वर्ग, ई संस्कार वर्ग, ई स्वाध्याय वर्ग लगाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त विवेकानंद केंद्र के राजस्थान प्रांत द्वारा हाल ही में दस दिन का ऑनलाइन योग प्रशिक्षण यू-ट्यूब के द्वारा दिया गया जिससे हजारों की संख्या में लोग लाभान्वित हुए हैं। यू-ट्यूब पर #YogKarona सर्च करके इस योगाभ्यास का लिंक खोला जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हमें अवसर प्रदान कर रहा है कि भले ही हम पूर्व की तरह सामूहिक योगाभ्यास के लिए एकत्रित नहीं हो सकते हैं किंतु घर पर रहकर ही हम इन अभ्यासों को करें। चाहे वह भारत सरकार का आयुष मंत्रालय द्वारा प्रदत्त योग प्रोटोकोल का अभ्यास हो अथवा विवेकानंद केंद्र का योग सत्र, इन सभी के द्वारा हम घर बैठे न केवल योगाभ्यास सीख सकते हैं अपितु इसके व्यवहारिक उपयोग के लिए हम विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा प्रदत्त आधिकारिक ज्ञान भी घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं।
कोरोना वायरस ने जिस भय को आज समाज में व्याप्त कर दिया है, उस भय का सकारात्मक पक्ष यह भी है कि हम अपनी भूल चुके नित नूतन – चिर पुरातन संस्कृति की शरण में पुन: लौट रहे हैं। हमारी संस्कृति प्रकृति के पांचों तत्वों को पूज्य मानकर उनके सरंक्षण एवं संवर्द्धन की बात करती है जो हमारे अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। देर सवेर पूरी दुनिया को हमारी संस्कृति की वैज्ञानिकता को स्वीकार करना ही पड़ेगा क्योंकि इसके बिना पूरे संसार का अस्तित्व ही खतरे में है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सभी से यही निवेदन है कि आज पूरा विश्व योग के महत्व को जान रहा है। अतः हमारी यह परंपरागत जिम्मेदारी है कि इस योग विद्या को अपनाकर हम अपना और अपने समाज का व्यापक स्तर पर कल्याण करें और अपने राष्ट्र को रोगमुक्त एवं योगयुक्त बनाने के लिए कृत संकल्पित हों।
(लेखक विवेकानन्द केन्द्र, राजस्थान के योग प्रशिक्षण प्रमुख हैं)