गर्व के आगे फीके पड़े सारे दुख : वीरांगना पत्नी ने बलिदानी पति की चिता को दी मुखाग्नि

जयपुर, 05 मई। जम्मू- कश्मीर के हंदवाड़ा में वीरगति को प्राप्त हुए कर्नल आशुतोष शर्मा का मंगलवार को जयपुर में सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। भारत माता की जय, जब तक सूरज चांद रहेगा- आशुतोष तुम्हारा नाम रहेगा जैसे गगन भेदी नारों के बीच बलिदानी की वीरांगना पत्नी पल्लवी ने अपने पति की चिता को मुखाग्नि दी तो हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। देश पर सर्वस्व न्यौछावर करने वाले पति के बलिदान के गर्व के आगे पल्लवी के सारे दुख फीके नजर आए।

तिरंगे को सीने से लगाए दुख को आंचल में छिपाकर गर्व के साथ सैल्यूट करते हुए वीरगति प्राप्त पति को अंतिम विदाई देती पल्लवी शर्मा कहती हैं कि- “आशुतोष टाइगर की तरह रहे और टाइगर की तरह ही विदा हुए। उन्होंने तन मन के साथ राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है, ऐसे में उनके बलिदान पर हमें दुख व्यक्त करने का कोई अधिकार नहीं है।” वीरांगना के ये शब्द सुनकर वहां उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति ने पूरे जोश के साथ शहीद अमर रहे व भारत माता के जयघोष से आसमान को गुंजायमान कर दिया। हुतात्मा आशुतोष की पत्नी पल्लवी तथा भाई पीयुष शर्मा ने उन्हें मुखाग्नि दी।

उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में रविवार को आतंकियों से नागरिकों को बचाने के दौरान मुठभेड़ में सेना की 21वीं राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफीसर कर्नल आशुतोष शर्मा वीरगति को प्राप्त हो गए थे। हुतात्मा कर्नल की पार्थिव देह सोमवार को जयपुर पहुंची थी। मंगलवार सुबह सैन्य क्षेत्र स्थित 61 कैवलरी आर्मी पोलो ग्राउंड में उसे दर्शनार्थ रखा गया। वहॉं सैन्य अधिकारियों, परिजनों व अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर बलिदानी को नमन किया। इसके बाद राजकीय सम्मान के साथ नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई।

आतंकियों के लिए डर का दूसरा नाम थे आशुतोष

मूलतः उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर निवासी शहीद आशुतोष का परिवार पिछले लगभग 15 वर्षों से जयपुर के वैशाली नगर इलाके में रहता है। सेना की 21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर रहे कर्नल आशुतोष अपने आतंकरोधी अभियानों में साहस और वीरता के लिए दो बार वीरता पुरस्कार का सम्मान पा चुके हैं। इतना ही नहीं, बलिदानी आशुतोष कर्नल रैंक के ऐसे पहले कमांडिंग ऑफिसर थे, जिन्होंने पिछले पांच साल में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में अपनी जान गंवाई हो। कर्नल आशुतोष काफी लंबे समय से गार्ड रेजिमेंट में रहकर घाटी में तैनात थे और वह आतंकियों को सबक सिखाने के लिए जाने जाते थे। शहीद आशुतोष को कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर अपने कपड़ों में ग्रेनेड छिपाए हुए आतंकी से अपने जवानों की जिंदगी बचाने के लिए वीरता मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।

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