गोरक्षक हिन्दू जेल में और गोतस्कर खुले में, क्यों?
राजस्थान में अलवर जिले के रामगढ़ में तीन वर्ष पूर्व हुए गोतस्कर रकबर खान कांड में एक के बाद एक हिन्दू युवाओं को अन्यायपूर्ण ढंग से गिरफ्तार किया जा रहा है। हाल ही में हिन्दू अधिकारों हेतु कार्य करने वाले नवल किशोर शर्मा को गिरफ्तार किया गया है।
मेवात की वर्तमान स्थिति किसी से छिपी नहीं है। आज यहाँ घर-घर में हथियार हैं। यहाँ का हिंदू अब मेवात छोड़कर जयपुर, गुरुग्राम, दिल्ली व अलवर सहित बड़े शहरों की ओर पलायन कर जाता है क्योंकि यह क्षेत्र रहने लायक ही नहीं बचा है। यहाँ चोरी, पशु व हथियारों की तस्करी, गोहत्या, तोड़फोड़, लूट तथा महिलाओं से दुर्व्यवहार जैसे अपराध बढ़ते जा रहे हैं। फलस्वरूप मेवात के गाँव तीव्रता से हिन्दू विहीन हो रहे हैं।
उपरोक्त प्रकरण में बहुत सारे संशयास्पद बिंदु हैं-
- घटनानुसार, मेवात का रकबर व उसका साथी गाय लेकर जा रहे थे। देखें कि गाय मध्यरात्रि में राजस्थान से हरियाणा ले जाई जा रही थी! क्या उन्हें दिन में समय नहीं मिला था?
- आधी रात में ये गाय को किसी वाहन से न ले जाकर पैदल ले जा रहे थे ! क्यों? क्या गाड़ी की आवाज से लोगों के जागने का भय था या मेवात में गाडियाँ खत्म हो गई थीं?
- ये लोग किसी रास्ते से नहीं अपितु खेतों से होकर गाय को ले जा रहे थे, क्यों? क्योंकि इन्हें डर था कि रास्ते में कोई इन्हें देख लेगा।
- जिसका खेत था उस युवक धर्मेन्द्र ने चोर समझकर उनका पीछा किया। धर्मेन्द्र अपने खेत में था। अब देखिए दूसरे राज्य का जो व्यक्ति रात बारह बजे चोरीछिपे किसी के खेत से होते हुए गाय लेकर जा रहा है वह व्यक्ति असलम तो आज गवाह है तथा जिस युवा किसान धर्मेन्द्र का खेत था, जिससे अनुमति लिए बिना ये दो लोग उसके खेत में घुस आए थे, वह युवा किसान आज जेल में है!
- यह गाय न तो दूध देती थी तथा न ही गर्भवती थी। फिर भी तस्करों के कथनानुसार वे गाय को दूध के लिए ले जा रहे थे
- इससे बड़ा आश्चर्य है कि वे लोग गाय को किसी से खरीद कर भी नहीं लाए थे। तो क्या वह हवा में प्रकट हुई थी?
अब तक आप समझ गए होंगे कि उस गोमाता को मध्यरात्रि में चोरीछिपे ले जाने का असली उद्देश्य गोहत्या के अतिरिक्त क्या रहा होगा?
ध्यान रहे कि रकबर को अच्छी भली, ठीकठाक स्थिति में पकड़कर पुलिस को सौंप दिया गया था। उसे पुलिस की गाड़ी में बैठा कर ले जाने का फोटो भी उपलब्ध था, किंतु बाद में उसकी संदिग्ध मृत्यु पर राजनीति के कुचक्र ऐसे घूमे कि हिंदू युवाओं को हत्यारा बताकर इसे लिंचिंग का रूप दे दिया गया। जो नवल शर्मा रामगढ़ से पुलिस के साथ गया और पुलिस के साथ ही वापस आया, अब उसे भी हत्या का आरोपी बनाकर जेल में ठूँस दिया गया है। यही तो न्याय है !
प्रश्न उठता है कि जब नवल शर्मा के साथ पुलिस गई है और यदि नवल शर्मा अपराधी है तो पुलिस अपराधी क्यों नहीं है?
मेरा प्रश्न हिंदू तथा गाय के नाम पर वोट मांगने वाली तत्कालीन भाजपा सरकार से भी है क्योंकि वर्तमान कांग्रेस सरकार का एजेंडा तो साफ ही है। उनका वोट बैंक ही मुस्लिम है तो उनसे कुछ कहना ही क्यों? परन्तु आपने सत्ता में रहते हुए मेवात के हिंदुओं के लिए क्या किया? तथा अब आप विपक्ष में हैं तो हिंदुओं पर हो रहे इस अन्याय पर वर्तमान सरकार के विरुद्ध खड़े होने का साहस आप में क्यों नहीं है?
आज अकेले अलवर जिले में एक वर्ष में सैकड़ों पशु चोरी होते हैं, जिनका आर्थिक मूल्य करोड़ों में है (धार्मिक दृष्टि से तो गोमाता का कोई मूल्य लग ही नहीं सकता)। पुलिस आज तक एक भी बछड़े को खोज नहीं पाई है। प्रतिवर्ष दर्जनों घटनाओं में ये तस्कर पुलिस पर सीधा फायर कर देते हैं। तब सामान्य व्यक्ति इनका सामना कैसे करे? गत दिनों मुंडावर में गोतस्कर रात को पिकअप से एक किसान पुत्र का पैर तोड़ गए थे।
क्या कभी न्यायपालिका या सरकार ने अथवा विधानसभा में कभी किसी ने पूछा कि इन सैकड़ों किसानों की गाय, भैंस कहाँ गईं? सरकार पशुओं की सुरक्षा कर नहीं सकती, किसान रात को रखवाली करता है तो मारपीट होती है तथा रामगढ़ जैसी घटना होती है तो गोतस्करों की जगह किसानों को ही धर लिया जाता है।
न्यायपालिका जब इन किसान पुत्रों को अपने ही पशुधन या खेत की रखवाली का अधिकार नही देती, सीधे जेल भेज देती है तो फिर चोरियों व तस्करी के लिए सरकार को भी दोषी ठहराना चाहिए। चोरी हुए पशुओं को बरामद करना भी सरकार का दायित्व है अन्यथा प्रत्येक किसान को मुआवजा मिलना चाहिए।
यह कैसा न्याय है कि किसान के पशुधन की सुरक्षा सरकार व न्यायपालिका कर नही सकती, किंतु किसान जब स्वयं यह काम करता है तथा तस्करों से उसकी झड़प हो जाती है तो किसान को ही जेल भेज दिया जाता है! सरकार हमें बताए कि जब मध्यरात्रि में हमारे खेत से कोई गो माता या पशु चुरा ले जाए तो हम क्या करें? घर मेरा, खेत मेरा और रात में कोई गोतस्कर या चोर आ जाए तो हम उससे कहें कि भाई आप हमारी गोमाता व पशु ले जाओ? जीवित रहे तो परिश्रम करके नए पशु पालेंगे, किंतु आप तस्कर महाशय को यदि खरोंच भी आ गई तो हम जीवन भर जेल में चक्की पीसते रहेंगे। इसलिए आप ले ही जाओ भाई! मैं आँखें बंद कर लेता हूँ। हिंदुओं को अपने ही देश में इतना विवश क्यों बनाया जा रहा है?
गोमाता को पहली रोटी देने की परंपरा आज की नहीं अपितु हजारों वर्षों से चली आ रही है। हमारे यहाँ नवजात को अपनी गोद में लेकर दादी माँ गाय को रोटी देने जाती है। तब से गो ग्रास का यह संस्कार उस हिंदू बालक में समाहित होता है तथा अंतिम समय तक साथ रहता है। वह स्वयं रोटी खाने से पहले गोमाता को रोटी खिलाता है। ऐसा व्यक्ति- एक हिंदू, अपनी गोमाता को कटते हुए कैसे देख सकता है?
आज आवश्यकता है कि हिंदू संगठित होकर ऐसे किसान परिवारों की सहायता करें जिनके बेटे अपनी गोमाता को बचाने के कारण जेल काट रहे हैं। धर्म बचाने के लिए यह आवश्यक है। मंदिर, मठों व संस्थाओं को भी आगे आकर ऐसे परिवारों के साथ खड़े हो जाना चाहिए। हमारे मंदिरों में दिया गया दान हमारे इस धर्मकार्य में लगना चाहिए न कि तस्करी को प्रश्रय देने वाले विधर्मियों पर खर्च होना चाहिए।
आज यूरोप के चर्च भारत में ईसाई रिलीजन के प्रसार हेतु फंडिंग कर रहे हैं तथा मुस्लिम देश भारत में गजवा ए हिन्द के लिए पैसा बहा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर हिंदू मन्दिरों की दानराशि का एक बड़ा भाग इन कथित अल्पसंख्यक संस्थानों पर खर्च होता है। इसे रोकना होगा। साथ ही मंदिर के चढ़ावे का खर्च केवल मंदिर रखरखाव, पुजारी हेतु मानदेय इत्यादि तक सीमित न रखकर धर्म रक्षार्थ व्यय करना होगा ताकि वनवासी इलाकों में छल से मतांतरण करने वाले मिशनरी व मेवात में गो हत्या करने वाले जिहादियों का विरोध किया जा सके।