गो संरक्षण व संवर्धन हेतु लिए जाने वाले टैक्स की राशि अब दूसरी मदों में भी खर्च होगी

गो संरक्षण व संवर्धन हेतु लिए जाने वाले टैक्स की राशि अब दूसरी मदों में खर्च होगी

गो संरक्षण व संवर्धन हेतु लिए जाने वाले टैक्स की राशि अब दूसरी मदों में खर्च होगी

गो संरक्षण व संवर्धन हेतु लिए जाने वाले टैक्स की राशि अब प्राकृतिक व अन्य आपदाओं से निपटने में भी खर्च होगी।
पिछले दिनों सरकार ने कोरोना संकट में राजस्व की भरपाई करने के लिए स्टाम्प ड्यूटी पर 10% सरचार्ज बढ़ा दिया था। और कहा था कि बढ़े हुए सरचार्ज का उपयोग कोरोना महामारी को लेकर सरकार द्वारा किए जा रहे खर्चों एवं कार्यों पर किया जाएगा। राज्य सरकार के इस निर्णय से स्टाम्प पर कुल सरचार्ज 30 फ़ीसदी हो गया। स्टाम्प पर 10% सरचार्ज इंफ्रास्ट्रक्चर और 10% सरचार्ज गो संरक्षण व संवर्धन के लिए पहले से ही लगा हुआ था। 10% सरचार्ज बढ़ाने के बाद भी सरकार ने अब गो संवर्धन पर होने वाले खर्च को कम करने का प्रावधान किया है।

अब राज्य सरकार गो संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम 2016 एवं राजस्थान स्टांप अधिनियम 1988 की धारा 36 के अधीन संग्रहित अधिभार से प्राप्त राशि गो माता और उसकी नस्ल के संरक्षण और संवर्धन के प्रयोजन के लिए ही उपयोग की जाएगी – के प्रावधान में संशोधन कर इस राशि का उपयोग प्राकृतिक या अन्य आपदाओं जैसे कोविड आदि में भी करना चाहती है। सरकार के इस निर्णय से सर्व समाज में रोष है।

सरकार के इस कृत्य के विरोध में राजस्थान के समस्त संत, गोशालाओं के संचालन मंडल एवं समस्त गो भक्तों द्वारा आंदोलन किया जाएगा। आंदोलन के दौरान कोविड-19 के दिशा निर्देशों एवं पंचायत चुनाव के लिए लागू आचार संहिता के नियमों का पालन किया जाएगा।

गोवंश संरक्षण संघर्ष समिति राजस्थान के अध्यक्ष महंत श्री दिनेश गिरि जी महाराज ने एक संवाददाता सम्मेलन में समिति की मांगों की जानकारी दी-

1) राजस्थान सरकार द्वारा गो संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम 2016 एवं राजस्थान स्टांप अधिनियम 1988 की धारा 3 के अधीन संग्रहित अधिकार से प्राप्त राशि जो कि गो माता और उसकी नस्ल के संरक्षण और संवर्धन के प्रयोजन के लिए ही उपयोग की जाएगी में किए गए संशोधन को निरस्त किया जाए।
2) एक वित्तीय वर्ष में 180 दिनों की दी जा रही अनुदान राशि को 365 दिन किया जाए।
3) प्रदेश में संचालित पंजीकृत गोशालाएं जिनको संचालित होते हुए दो साल हो चुके हैं, उन्हीं को अनुदान देने एवं 200 गोवंश की गोशाला को ही अनुदान दिए जाने की बाध्यता को समाप्त किया जाए एवं पंजीकृत गोशालाओं को अनुदान दिया जाए।
4) गोशालाओं को दी जाने वाली अनुदान राशि के भुगतान नियमों का सरलीकरण किया जाए।
5) राज्य में गोशालाओं को अनुदान देने हेतु बनी राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय समितियों में गोशालाओं के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाए।
6) गोचर भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाया जाए और उसे गो संवर्धन एवं संरक्षण हेतु आरक्षित किया जाए।
7) प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक नंदी शाला का निर्माण करवाया जाए।
8) राज्य में संचालित सभी गोशालाओं को पूर्व में बिजली बिल में छूट दी जा रही थी, जिसे समाप्त कर दिया गया है। अतः गोशालाओं को बिजली के बिलों में दी गई छूट को यथावत रखा जाए।
9) राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद द्वारा गांव में मांस की दुकानें खोलने की कार्रवाई को तुरंत प्रभाव से रोका जाए।
10) मनरेगा को गोशाला के कार्यों एवं किसानों के कृषि कार्यों से भी जोड़ा जाए।

उपरोक्त सभी मांगों को लेकर तब तक आंदोलन किया जाएगा जब तक राज्य सरकार द्वारा सभी मांगों को स्वीकार नहीं किया जाता। 21 सितंबर 2020 को संपूर्ण प्रदेश में तहसील स्तर तक धरना दिया जाएगा। अतः संघर्ष समिति राज्य सरकार से मांग करती है कि उपरोक्त मांगों को तुरंत स्वीकार करे।

दूसरी ओर जब सरकार पहले ही आपदा से निपटने के नाम पर दस प्रतिशत सरचार्ज बढ़ा चुकी है तो गोमुख से निवाला छीनना कहॉं तक उचित है।

 

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