जनजातीय समाज हिन्दू था, हिन्दू है, हिन्दू रहेगा
जयपुर। मीणा हिन्दू नहीं हैं या भील हिन्दू नहीं हैं जैसे नारों के साथ प्रकृति पूजक जनजातीय समाज को वृहद हिन्दू संस्कृति से अलग किए जाने के षड्यंत्र लम्बे समय से चल रहे हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि ऐसे षड्यंत्रों को समाज के अंदर से ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जनजातीय समाज अपनी जड़ों पर हो रहे प्रहार को अच्छी तरह समझ रहा है और जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में उन्हें चुनौती भी दे रहा है।
प्रदेश में जनजातीय समाज की जनसंख्या दक्षिणी राजस्थान और पूर्वी राजस्थान में सबसे ज्यादा है। इस समाज को हिन्दू समाज से अलग करने के षड्यंत्र दोनों हिस्सों में काफी समय से किए जा रहे हैं। दक्षिणी हिस्से में यह साजिश कुछ ज्यादा गम्भीर है, क्योंकि इस हिस्से में भारतीय ट्राइबल पार्टी जैसे संगठनों को जगह बनाने में कुछ हद तक सफलता मिल गई है। इसका कारण यह रहा कि इस क्षेत्र का जनजाति समुदाय आज भी बहुत हद तक अपने मूल परिवेश में ही रह रहा है और जनजातीय उपयोजना क्षेत्र घोषित होने के बावजूद सरकारी योजनाओं का बहुत अधिक लाभ इस क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल पाया है। इसी का फायदा उठा कर वामपंथी विचार की विष बेल यहां पनपाई गई है।
जबकि प्रदेश के पूर्वी हिस्से की स्थिति कुछ अलग है। यहां का जनजातीय समुदाय जिसमें मीणा समाज की बहुलता है, वहां शिक्षा का प्रसार अच्छा हुआ है और पूरे देश में मीणा समुदाय के अधिकारी-कर्मचारी हमें मिल जाते हैं। इस क्षेत्र में जनजातीय समुदाय का राजनीतिक नेतृत्व भी दमदार है। यही कारण है कि जो प्रयास दक्षिणी हिस्से में कुछ सीमा तक सफल हुए हैं, वे इस हिस्से में नहीं हो पाए हैं।
हाल ही में जयपुर के आमागढ़ किले के मंदिर की मूर्तियों व भगवा ध्वज को खंडित कर विवाद के माध्यम से अलगाववाद की विष बेल को पनपाने के प्रयास एक बार फिर किये गए, लेकिन विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मीणा समाज के ही जनपप्रतिनिधियों ने इसका जिस पुरजोर ढंग से विरोध किया उससे साफ हो गया कि जनजातीय समाज सजग है, वह इस षड्यंत्र को सफल नहीं होने देगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि आदिवासी दिवस पर “मीणा हिन्दू समाज का ही अंग है“ का उद्घोष करने वालों में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों से जुड़े हुए जनप्रतिनिधि शामिल थे।
इस अवसर पर दौसा जिले के नांगल प्यारी वास में स्थित आदिवासी मीणा हाईकोर्ट में भाजपा के राज्यसभा सदस्य डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के नेतृत्व में बडे कार्यक्रम का आयेाजन हुआ जिसमें दौसा से कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा, जौहरी लाल मीणा, जीआर खटाणा आदि भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम में किरोड़ी लाल मीणा ने साफ तौर पर कहा कि मीणा समाज प्रारंभ से ही हिंदू देवी देवताओं का मानता आ रहा है। लेकिन आजकल कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा विभाजनकारी बातें फैलाकर हिंदू समाज को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। मैं हिंदू एकता के लिए मरते दम तक काम करता रहूंगा और उनको उनके इरादों में सफल नहीं होने दूंगा। कार्यक्रम में हम सब हिन्दू हैं, हम सब मूल निवासी हैं, हिंदू एकता जिंदाबाद जैसे जोशीले नारे लगे और जनजातीय समाज को हिन्दू समाज से अलग करने के षड्यंत्र को करारा जवाब दिया गया।
कार्यक्रम में यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि मीणा हाईकोर्ट के इस ऐतिहासिक स्थान पर एक मंदिर का निर्माण किया जाएगा, जहां प्रमुख देवी-देवताओं सहित मीणा समाज के आराध्य मत्स्य भगवान की मूर्ति की भी निकट भविष्य में स्थापना की जाएगी, जिस पर सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया कि मत्स्य भगवान मुद्रित विशाल केसरिया झण्डा (सनातनी ध्वज) स्थाई रूप से लगाया जाएगा।
इसके साथ ही यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि सभी मीणा हिन्दू थे, हिन्दू हैं तथा हिन्दू रहेंगे क्योंकि इतिहास इस बात का गवाह है कि जब जब भी हमारी पुरातन संस्कृति या धर्म पर विदेशी आक्रांताओं या विधर्मियों ने प्रहार की कुचेष्टा की तो जनजातीय समाज ने तलवार, भाले और तीर कमान से प्रत्युत्तर देकर हिन्दू योद्धा के रूप में इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया है। प्रस्ताव में मीणाओें के हिन्दू होने के लिए कई मजबूत तर्क दिए गए। जैसे –
- मीणाओं की आस्था के केन्द्र शिवजी, राम, कृष्ण, बालाजी (हनुमानजी), भैरोंजी या कुल देवी (यथा पपलाज माता, कैलादेवी) के मंदिर प्रत्येक गाँव में स्थापित हैं और मीणा समाज दर्शन-पूजन करते रहते हैं। मीणा अपने जीवित माता-पिता को चारधाम की यात्रा करवाने को अच्छा मानते हैं।
- मीणा देवी-देवताओं की पैदल यात्रा, परिक्रमा एवं मनौती में पूरा विश्वास रखते हैं (जैसे गोवर्धन, पपलाज, गणेश जी, कैलादेवी)।
- मीणा जन्म से मृत्यु तक हिन्दू परम्परा के अनुसार 16 संस्कारों का निर्वहन करते हैं।
- मीणा मृत्यु के बाद अग्नि-संस्कार करते हैं, घर पर गरुड़ पुराण का पठन करवाते हैं, मृत्यु के बाद पवित्र नदी या सरोवर में अस्थि-विर्सजन करते हैं।
- पूर्वजों का श्राद्ध (पितृ तर्पण), फोटो पर माला चढ़ाना उनकी पूर्वजों की मूर्ति स्थापित कर पूजा करना मीणा जाति की परम्परा है।
- मीणा ईश्वर को साकार रूप में पूजते हैं।
- रामायण, गीता, महाभारत और मत्स्य पुराण जैसे ग्रंथों के प्रति मीणा अटूट श्रद्धा रखते हैं।
- मीणा मस्तक पर तिलक और हाथ पर मौली बंधवाते हैं।
- मीणा अपने गोत्र और निकट के रिश्ते में विवाह को वर्जित मानते हैं।
- मीणा होली, दिवाली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी जैसे पवित्र हिन्दू त्योहारों को उल्लास से मनाते हैं।
- मीणा अपने लोक गीतों और नृत्यों के माध्यम से हिन्दू देवी-देवताओं का स्मरण बड़ी श्रद्धा से करते हैं। जैसे कन्हैया गायन, हरि कीर्तन, पद-दंगल, ढांचा, रसिया, सुड्डा, हेला ख्याल, दंगल, महादेवजी का ब्यावला, नरसिंहजी रो मायरो, देवी का जागरण।
- मीणाओं के नाम रामनारायण, रामकेश, सीताराम, सत्यनारायण, सत्यराम, शिवशंकर, घनश्याम, रामखिलाड़ी, रामलाल, श्यामलाल, कृष्णलाल, विष्णु, महेश, मुरारीलाल, शिवजीराम, बजरंगलाल, पार्वती, जानकी सीता, ब्रह्मा इत्यादि हिन्दू अनुयायी होने का गौरव प्रदान करते हैं।
- मीणा हिन्दू योद्धा के रूप में इतिहास में अपनी पहचान रखते हैं।
- रीति-रिवाज, पहनावा, धर्म और संस्कृति की दृष्टि से जनजातीय होने के साथ-साथ मीणा हिन्दू थे, हिन्दू हैं और हिन्दू ही रहेंगे। मीणा समाज हिन्दू परम्पराओं एवं सनातनी मान्यताओं का मजबूत संवाहक है। जनजातीय के साथ-साथ हम हिन्दू हैं, इसका हमें गर्व है।
एक अन्य प्रस्ताव के माध्यम से मीणाओं को हिन्दू समाज से अलग करने वालों की निंदा भी की गई और कहा गया कि आज कुछ लोग अपनी राजनैतिक महत्वकांक्षाओं की पूर्ति के लिए हमारे धर्म रूपी प्राणों को हमसे छीनने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। उनका यह कृत्य घोर निंदनीय है और पूरे मीणा समाज को व्यथित कर रहा है। ऐसे लोग हमारे समाज के लोगों को भ्रमित कर हमसे हमारे धर्म के प्राण छीन लेने का घृणित षड्यंत्र रच रहे हैं। ऐसे लोगों की हम कठोर शब्दों में निंदा करते हैं। यह समाज मीन भगवान की सौंगध खाकर कहता है कि मीणा समाज के लोग हिन्दू थे, हिन्दू हैं और हिन्दू ही रहेंगे।
यह भी कहा गया कि राज्य के सत्ताधारी दल से कुछेक नेता अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने में लगे हुए हैं तथा जनजाति मीणा समाज के कुछ लोगों को भ्रमित कर हिन्दू धर्म के विरुद्ध भड़का रहे हैं जबकि जन्म से लेकर मरण तक समाज के सारे कार्य हिन्दू परम्परा से कराये जाते हैं। मुट्ठी भर लोग हमारी भावनाओं को भड़काकर पूरे समाज की आस्था एवं धार्मिक भावनाओं को आहत कर समाज को बदनाम कर रहे हैं, जिससे सामाजिक कटुताएँ पैदा हो रही हैं। समूचा मीणा समाज ऐसे लोगों की कठोर शब्दों में निंदा करता है और घोषणा करता है कि हम हिन्दू थे, हिन्दू हैं, हिन्दू रहेंगे, हिन्दू होने का हमें गर्व है, इसका प्रस्ताव पास किया जाता है।
ऐसे में जो आवाज प्रदेश के पूर्वी हिस्से से उठी है, उसे अब दक्षिणी हिस्से में भी उसी ताकत से पहुंचाने की जरूरत है ताकि वहां भी अलग पहचान के नाम पर समाज को तोड़ने के षड्यंत्रों का उत्तर दिया जा सके।